पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२३८

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टिकटिकी १८८४ टिकिया टिकटिकी3-~समा स्त्री हि.] दे. 'एकटको' । टिकनी-सका सी० [सं० तक, हितकला] सूत बटने की फिरकी। टि कठी-सश ली. [ सं० त्रिकाष्ठ या हिं. तीन काठ १. तीन सूत कातने का एक मौजार। तिरछी खडी की हई लकड़ियो का एक ढांचा जिससे विशेष--यह वास या लोहै की सलाई पर लगी हई काठ की पोस अपराधियो के हाथ पैर बांधकर उनके शरीर पर वेत टिकिया होती है जिसे नचाने या फिराने से उसमें सपेटा हमा या कोडे लगाए जाते हैं। टिकटिकी। २ ऊँची तिपाई जिस- सूत ऐंठकर कड़ा होता जाता है। पर अपराधियों को खड़ा करके उनके गले में फांसी का फदा टिकस---सा पु[ टैक्स ] महसूल। कर। जैसे, पानी का लगाया जाता है। ३ काठ का प्रासन जिसमें तीन ऊँचे पाए ठिकस, इनकम टिकस ! 30-सब पर टिकस लगा, धन लगे हो। तिपाई। ४ बुना हुमा कपडा फैलाने के लिये दो है मुझको पन्न।-भारतेंदु ग्रं०, मा० १, पृ० ४७३ । चडियों का बना हुमा एक ढाँचा। यह कपड़े की चौड़ाई के मुहा०टिकस लाना = महसूल या कर नियत होना। बराबर फैल सकता है।-(जुलाहे)। १. भरपी जिसपर शव थव टिकसारा-वि० [हिं० टिकना+सार (प्रत्त०) ] टिकाऊ । टिकने को भस्येष्टि मिया के लिए ले जाते हैं। वाला। टिकड़ा-सा हिं. टिकिया] [खी मल्पा० टिकड़ी] टिकाई-समा पु० [हिं० टीका] राजा का वह पुत्र जो राजा के चिपटा गोल दुका। धातु, पत्थर, स्वपरे या पौर किसी कड़ी पीछे राजतिलक का अधिकारी हो। युवराज। उत्तराधिकारी वस्तु का चक्राकार खर। २. प्रांच पर सेंकी हई छोटी मोटी राजकुमार। रोटी। माटी । प्रगाकही। टिकाऊ-वि० [हिं० टिक+माक (प्रत्य॰) ] टिकनेवाला। कुछ मुहा.--टिकढ़ा लगाना=पाग पर बाटी सेंकना या पकाना। दिनों तक काम देनेवाला । चलनेवाला । पायवार । ३ जड़ाळ या उप्पे के गहनों में कई नगों को जड़कर बनाया हुमा टिकान-सहा मी० [हिं० टिकना ] १. टिकने या ठहरने का मार। एक एक विभाग या मंश । २ टिकने या ठहरने का स्थान ! पडाव । चट्टी। टिकती-सका सी० [हिं० टिकदा ] छोटा टिकला। टिकाना-क्रि० स० [हिं० टिकन ] १ रहने के लिये जगह देना। टिकना--क्रि० प्र. [सं० स्थित या म(= नहीं)+टिक निवासस्थान देना। कुछ काल तक कि सो के रहने के लिये (=पलना)] १.कुछ काल तक के लिये रहना । ठहरना । स्थान ठीक करता । ठहराना । जैसे, इन्हे तुम मपने यहाँ रेरा करना। मुकाम करना। उ०-टिफि लीजियो रात में टिका लो। काह पटा जहाँ सोवत होय परेवा परे। -लक्षमण (शब्द०)। संयो॰ क्रि०—देना ।--तेना। संयो०क्रि०-बाना |--रहना ।-लेना । २. सहारे पर खड़ा करना था रोकना । मडाना। ठहराना। २ किसी धुली हुई वस्तु का नीचे बैठना । तल में जमना । तमनट स्थित करना । जमाना । जैसे,--(क) एक पैर जमीन पर के रूप में नीचे पंदे मे इकट्ठा होना। ३ स्थायी रहना। मच्छी तरह टिका लो, तब दूसरा पैर उठामो। (ख) इले कुछ दिनों तक चलना या बचा रहना। कुछ दिनों तक काम दीवार से टिकाकर खड़ा कर दो। (ग) बोझ को चबूतरे देना। जैसे,—यह पता तुम्हरे पैर में कितने दिन टिकेगा। पर टिकाकर योहा दम ले लो। ४ स्थित रहना। भड़ा रहना। इधर उधर न गिरना । संयोकि०-देना। सेना। । ठहरना। सहारे पर रहना। जमना या बैठना। जैसे,(क) + ३. किसी उठाए जाते हुए पोम में सहारे के लिये हाय यह गोला डे की नोक पर टिका हुमा है। (ख) इसपर तो सगाना। बोझ उठाने या ले जाने में सहायता देना । जैसे, पैर ही नहीं टिकता, कैसे बड़े हों। ५ युद्ध या लड़ाई में (क) पकेले उससे चारपाई न जायगी, तुम भी टिका लो। सामना करते हुए जमे रहना। ६. विश्राम के उद्देश्य से थोड़ी (ख) चार पादमी जब उसे टिकाते हैं, सब वह उठता है। देर के लिये कहीं रुकना। ७. प्रतिकूल समय या मौसम में संयो.क्रि०-देना ।—लेना। किसी पदार्य का विकृत न होना। ५. ध्यान पा निगाह का ४ देना। प्रस्तुत करना । स्थिर होना। टिकानी-सक बी. [ हिं• टिकाना ] छकड़ा गाड़ी की वे दोनों टिकरी-सका बी० [ff टिकिया १ नमकीन पकवान को बेसन लकडियां जिनमें पैजनी डालकर रस्सी से बांधते हैं। पौर मैदे की दो मोयनदार खोस्यों को एक में बेलकर और घी म हिना ] 1. स्थिति । ठहराव। २. में सलकर बनाया जाता है । २. टिकिया । ३. लिट्टी। स्थिरता । स्थायित्व । ३ वह स्थान जहाँ यात्री प्रादि ठहरते टिकरी- [हिं०टीका ] सिर पर पहनने का एक गहना । हों। पाव। टिकली'-शा स्त्री० [ हिटिकिया या टीका १ छोटी टिक्यिा। टिकापली-सच्चा श्री. [देश॰] एक प्रकार का मामूषण । उ0-- २. पन्नी या काम की बहुत छोटो बिदी के प्राकार को टिकिया टीका टीक टिकावली हीरा हार हमेल ।-छीत, पु० २५ । जिसे स्त्रियां शृगार के लिये अपने माथे पर चिपकाती है। टिकिया-सहा स्त्री० [सं० वटिका ] . गोल मोर निपटा छोटा सितारा। चमकी। ३ छोटा टीका। माथे पर पहनने की टुकड़ा । गोल और चिपटे माकार की छोटी वस्तु । चक्राकार छोटी बॅदी। "छोटी मोटी वस्तु । जैसे, दवा की टिकिया, कुनैन की टिकिया।