पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२३९

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टिकिवा टिटिया विशेष-चकती पौर टिकिया में यह प्रतर है कि टिकिया का टिक्का-सबा पुं० [हिं. टीका ] [ मी० टिक्की] १. टोका। प्रयोग प्रायः ठोस भोर उभरे हुए मोटे दल की वस्तुणों के तिलक । विदी। २. उंगली में रंग भाषि लगाकर बनाया लिये होता है, पर पकती का प्रयोग कपड़े, चमड़े पादि महान हुमा खड़ा चिह्न। परत की वस्तुओं, लिये होता है। वैसे, कपड़े या चमड़े विशेष-2. 'टिक्की'। कीपकती, मैदे की टिकिया। ३. सुष । स्मरण । याद। २ कोयले की दुकनी को किसी लसीली चीज में सानकर बनाया निवका साहब-सज्ञा पुं० [हिं० टीका (= तिलक)+म. साहब] हुमा चिपटा गोल टुकड़ा जिससे चिलम पर पाग सुलगाते हैं। राजा का वह बड़ा लड़का जिसका यौवराज्याभिषेक होने को ३. एक प्रकार की चिपटी गोल मिठाई जो मोयनदार मैदे की हो । युवराज । -(पंजाब)। छोटी लोई को घी में तलने पर पानी में हवाचे से बनती टिक्की-सशास्त्री० [हिं० टिकिया ] १. गौस मोर चिपटा छोटा है। ४.बरतन के साचेका कपरी भाग जिसका सिरा बाहर टुकड़ा। टिकिया। निकला रहता है। ५. छोटी मोटी रोटी। पाटी। लिट्टी। मुहा०--टिक्की बमना, बैठना या लगनाप्रपोजनसिदि का टिफिया सबबी.हि. टीका ] १. माया। ललाट। २. माये उपाय होना। युक्ति खरना। प्राप्ति मापिका गैल होना। पर लगी हुई हिंदी। ३. ऊँगली में चूना, रप या पौर कोई गोटी जमना। वस्तु पोतकर सवाई हुईखड़ी रेखा पा पिह। विशेष-अनपढ़ सोग नित्य प्रति वेन च की वस्तु का लेखा २.पंगाकही। पाटी । लिट्टी। रखने के लिये इस प्रकार के चिह्न प्रायः दीवार पर बनाते हैं। टिक्की-सा पौ. [हिं० टीका ] उंगली में रंग या और कोई टिकरा- पु. [ देरा०] टीला। मीटा। यस्तु पोतकर बनाया हुमा गोल चिह्न। विदी। २ माथे पर । टिकरी-सका सी० [सं० तळू, हि. टकुमा] सूत घटने या कातने की बिदी। गोल टोका। ३. ताश की बूटी। साथ में बना को फिरकी । टिकसी। हमा पान प्रादि का चिह्न। टिकुरी पुं० [ देश० ] निसोय । पूर्नु । टिक्की'समा ही देश काखी सरसों। टिकुला-महा पुं० [हिं०] दे० "ठिकोरा'। टिकटिख- सौ. [हिं०] दे० 'टिकटिक'। टिकुली-मेश चौ.ft.] दे० 'टिकनी। टिखटी-सहा स्त्री० [हिं० टिकठी ] तम्ती। पटिया। 104 टिकुवा-सबा पुं० [हिं.] दे॰ 'टकुमा', 'टेकुमा । शिव तंत्र सटीक खुल्यो विक्षसत टिखटी पर। -का- सुषमा, टिकैत-सं० [हि. टीका+ऐत (प्रत्य॰)] 1. राजा का पु. ॥ वह पुत्र जो रावा के पीछे राजतिलक का अधिकारी हो। टिघलना--कि.म० [सं० तप+गलन ] पिघलना । मार से प्रवी. राजा का उत्तराधिकारी कमार। युवराज। २.अधिष्ठाता। भूत होना। सरदार। विशेष-३. "पिघलना। टिकोर-संकबी- ]. 'टकोर। टिपलाना-त्रि० स० [हिं० टिघलना ] पिघलाना । टिकोरा-सा • [सं० वटिका, हि. टिकिया ] ग्राम का छोटा टिचन-वि०प्र० पटेंशन तैयार । ठीक । दुरुस्त। पोर कम्पा फल । पाम का वह फर जिसमें पानी पड़ी। कि०प्र०करना ।-होना। हो। पाम की पद्रिया। टिकोला-संवा पु टिकोरा'। २. उचत । मुस्तैद । क्रि० प्र०—होना। टिकोना, टिकौना-संश पुं० [हि/टिक+मौना (प्रत्य॰)] पाषारटेका सहारा .-बिन टिकोनों उसने सपने टिटकारना- किस० [मनु.1 टिक टिक शब्द कर किमी- मन को संभाला पा, वे सब इस सूकंप में भी पा रहे पौर को पसने लिये उभारना। 'टिक टिक कर कना। वह झोपड़ा नीचे गिर पड़ा।--पोवान, पु. ११४॥ जैसे, घोड़े को टिटकारना । महा०-टिटकारी पर खगना = (पशु का) थारा पाकर काम टिक्कर-सा पु० [हि टिकिया 1.पड़ी टिकिया। २.हाथ की बनी छोटी मोटो रोटीवो सेंकी पर हो। पाठी । सिट्टी। करवा सकेत पाकर या बोचो पहचानकर पास पला माना। प्रगानी । ३ मालपुवा ।-(साधु) टिटकारी-सका सी• [हिं० टिटकारना] घोड़े या पन्य पशु को टिक्कस.भा.प्र.टैक्स ] कर । महसूप। उ०-टिक्स टिकटिक करके हॉफने की ध्वनि । -टमटमवासों ने पपमो सगारे कस कप्त छोडो अपना रोजगार-प्रेमपन, था. टिटकारियाँ भरनी शुरू की। ई.पू.२. २, पृ०३६। टिटिवार-सचा पु. [4. सतिम्मह.1 १. मनावश्यक झमट । २. ठकोसला प्रिपच।३ माडपर। टिक्का-मक्ष पुं० [ देश ] मुंगफली के पौधे का एक रोग। ४-२९