पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२४२

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टिनिया १८८८ टी क्रि० प्र०-माना। घटना । टीसी-1बी.1.टिएिटर होकी पाक्षिकाएकन दोबोटा घिय समोम पम पमहै। न लौकी परकारी टिलिवा-UE. [देश॰] १. सकड़ी का वह दुका पो छोटा, गठीला पौर टेढ़ा हो। गठीला पौर टेडा मेवा हुँदा । २ होती है। नाटा या ठिगना पादमी। ३. पापलुस पादमी। टी -म.वि.] 1.atar jमारेका भूटा। २.१.दिहा। टिलिया- मी० [३०] १. घोटी मुर्गी । २. मुर्गी का बया। टीदो--iewो [Ft. २. टिहो। --गिमि टीदो दम पुरा टिझोलिली-सबा • [पनु.] पीप की उँगनी हिमा हिलाकर मातुनधी (प.)। चिढ़ाने का चन्द -(सड़के)। टो-सबा • [.] पाय! विशेष-जन एक लड़का कोई वस्तु नहीं पाता या किसी बात में टीक-संगी• [U• दिमक] १. गले में पहनने छोने का पकृतकार्य होता है, वर दुसरे सरके उसके सामने हपेसी एक गहना को एमेदार या पाक बना। २. मारे में सोषी करके पोर पोष की उँगती हिमाकर दिसोसिसो' पहनने का पोने का एक गहना। कहकर चिढ़ाते है। टोगान-[4. टो(पाय), +गान (1)बह अमीन टिलेह-सवा पु० [देरा ] एक प्रकार का नेता विसरे शरीर रोहापाप होती है। पाप गोतामे,-माधान टो दुगंध निकलती है। पारनीतियों की रक्षा गोषनीप मोर म्यान है। विशेष-सका सिर सूपर के ऐसा मौर दुम बहुत छोटा हति टीका-int.हि. टिना हो। है। यह तलवों के बल पलता है और अपने गुपन से जमीन को मिट्टी खोदता है। सुमात्रा, जागा पादिरापुपों में यह टोफग- पु. [हि.टेकना गुनी। । यह संभा यामागे पापा जाता है। नरकोशे किसी भार को समान रहने पाकियो वस्तु टिलोरिया-समबी [ देख.] मुर्गी का बच्चा। को एक स्थिति में रहने लिये सपाई बात है। टिल्ला-स० [हि. ठेसना धक्का । टकोरस पोट !-बाजार)। मुहा०-सरोहन देनाको पोषों को सौपा मोर सुअल रखते यौ.---टिल्लेनवीसी । मिची सगाना। दिल्जेवाजी-साखौ.[हिटिसी+फानपीपी] १. निकृष्ट टोकना-कि.प.टिौका..टोकानमामि देना। सेवा । नौच सेवा । २. व्यर्य का काम। ऐसा काम जिस २ जेमती में समादिपोतकराया रेसा बनाना। कोई साम न हो। निठल्लापन । ३. हीसावामी । दान- टीका- 1ि .4 जियो उपनी में गोमा मटूल । बहाना। पदन, रोती, केसर, मिट्टी मारिपोवकर मस्तक, पारि क्रि०प्र०-करना। भगो पर गुगार मारिया यांप्रदायिक सबके तिरे नसावा टिसुभाई-सक्ष० [सं० मयु] मासू।-(पानी)। जाता है। विसका टिहुका-सबा खो' [देश॰] १. ठिठक । काव। २. यौना। कि प्रमा ३. चमक 1४ रूठना। ५. रोना । पवन । ६. डोयत मुहा०-टोकर टाकनारेको प्रतिदान करने के पहले टोका की कूक । सगाना। ३.-धेरी साए मेको साए ये टोटा- टिहकना-कि०प० [देरा०] १. ठिठकना।२ चौकना । ३. म्ठना कौर क., मा. ३, पृ. ५२ । टोका देना-टोका समाना। ४. चमकना । ५ रोना। ५, कोयल का एकना। मारे पर पिसे हुए पदन पारिसे पिड मनाना। टिहुकार-सहा श्री. [२०] कोयल को गुरु । विशेष-टोका पुबन के समय मा पोक गुम परसरों पर टिहकारना+-कि. म. [हि.टिहकार से नामिक पातु कोयन समाया जाता है। पात्रा के समय मोबानेवाशुम के लिये का कुरुना। उसके मापे पर टोका भगाते है। दिहुनी-मो . [सं० युएट, हि.पुटना] घुटना । २. कोहनी । २.विवाह स्थिर होने को रीति जिसमें कन्यापक्ष के लोग पर टिहका-सम बी० [ देश ] पोकने की क्रिया या भाव। पौ। मापे में वितरू सगाते हैं और कुछ दम्प पक्ष के सोमों को झनक । 3.---एक दाग बनवल, दूसर गैल टूटी। पिचरे देते है। इस रीति के होने पर विवाह का होना निश्चित काटम, उठति टिहकी।-कबीर (पन्द०)। घमय माना जाता है। विता टिहकना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'टिकना'। कि०प्र०--बाना !-बाना ।भेजना। टींगा-संपु० दिरा०] भय । योनि । ..दोनों मों के बीच मायेा मध्य बाम (पाटीका समावे टीटी-प्रकको [ मनु.] एक विशेष प्रकार की ध्वनि । टो टीकी है)। ४.सिौ समुदाम का हिरोमणि (किसी कुस, ध्वनि । उ-तब एकाकी सग कोई तिनों के पीपर में। मामी या बनसमूह में) भेष्ठ पुरुष। उ.--समाधान कर कर टीटों चुप हो बैठा. अपने सूने पिजर में।-दीप०, सो पबही कापरउ बहाँ दिनकर कुमटीधा -नसो पु.१५ (हद... पतिता रामसिंहासर पा मही पर द-स .[.टिएिरम( सी)] रट में बापने की इंडिया। बैठने का त्या