पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०५

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डिक्लरेशन डिठौना को किसी संपत्ति का अधिकार दिया जाय 13०-प्रवालत करना। गिरी पाना-अपने पक्ष में न्यायालय की माझा हिकी न दे। -प्रेमधन, मा० २, पृ० ३०३। वि० दे० प्राप्त करना । पर टिगरी-वह रुपया को मदालत एक 'डिगरी'। फरीक से दूसरे फरीक को दिखावे । डिक्लरेशन-सका पुं० [40] वह लिखा हुमा कागज जिसमें किसी डिगरीदार-मा. [पं.रिकी+फा० धार] वह जिसके पक्ष में मजिस्ट्रीट सामने कोई प्रेस सोलने, रखने या कोई समाचार- डिगरी हुई हो। पत्र या पत्रिका छापने पौर निकालने की जिम्मेवारी सी या डिगखाना--कि .हि. उग, डिगना] उगमगाना। हिखना घोषित को पाती है। जैसे,—(क) उन्होंने अपने नाम से मेलना। लड़ाना। प्रेस खोलने का डिक्लरेशन दिया है। (ख) वे अग्रदुत के डिगलाना--क्रि० स० [हिं० हिंगना] डिपाना। बालित करना। मुद्रक पौर प्रकाशक होने का डिक्लरेशन देनेवाले हैं। डिगवा-सपुं० [देश॰] एक चिड़िया का नाम । रिक्शनरी-संज्ञा श्री [म.] पदकोश । प्रभिधान । डिगाना-क्रि० स० [हिं० जिगना] १. इटाना। सासकाना। जगह दिगंबर-वि० [संदिगम्बर ] वस्त्ररहित । नग्न । दिगबर। से टालना । सरकाना हिलाना। उ.-पर पौड डिगवर होई। उहि प्रगमन मग निवहै संयोकि०-देना। सोई।-रसरतन, पृ. २४६ । २. बात पर जमा न रहना । किसी संकल्लमा सिवात पर स्थिर डिगना-कि०म० [सं० टिक (=हिलना । डोलना)] हिलना । न रखना । विचलित करना 180-परभर मुनि रेय रिगाय टलना । खिसकना । हटना । सरकना। जगह छोड़ना । पैसे,- करे यह सबकी हाँसी।- पलटू, पृ.२५। उस भारी पत्थर को कई पादमी उठाने गए पर वह बरा भी संयोक्रि०--देना। न रिगा। ...-प्रसवार विगत वाहन फिर, मिरै भूत भैरव विकठ। हम्मीर०,पु. ५८ । डिगुलाना-क्रि०म० [हिं• डग] दे० 'हिंगलाना"130-टिगत संयो.कि.---जाना। पानि डिगुलात गिरि बखि सब प्रज बेहास। कपि किसोरी परसि के सर सजाने लाल ।---बिहारी (प )। २ किसी बात पर स्थिर न रहना । प्रतिज्ञा छोड़ना। संकल्प डिगो'-सा श्री० [सं० वीषिका, बंगळ दोषी । बावली या वा सिद्धांत पर दृढ़ न रहना। बाद पर जमा न रहना। विषषित होना। तालाब) 1 पोखरा । बावली । जैसे, लालगियो । संयोक्रि०-जाना। डिग्गी -सच नी. [देरा०] हिम्मत ! साहस । जिगरा। डिगमिगाना--क्रि० स० [हिं० गमगाना] दे० 'डगमगाना। उ०- डिजाइन-बाबा [.] १. तर्ज । बनावट । बाका। रणपोर पाने से ये सभा ऐसी डिगमिगाने लगी पी जैसे डिटेक्टिक-संश० [पं०] जासुस । मुखबिर । गापरभेदिया। हामी के पढ़ने से नाव गिमिगाती है ।-श्रीनिवास पं०, पौ०-रिडेक्टिव पुलिस वह पुलिस जो विपकर मामलों का पु०८६ । (ब) हिंगमिपात पग चलन दुखारो। यही लकुट पता लगावे । बुफिया पुलिस। प्रबति सहारो। राकुंतला, पु. ८२। बिहार-वि० [हि. 3+पारा (प्रत्य॰)][वि. हिठारी] बिगमिगाना-क्रि० स... हिलाना। रिगाना। २. विचलित दृष्ठिवावा । देखनेशलापांचवाला। जिसकी आँख से सूझे। करवा । डिठि-साडी-[• ष्टि] दे० 'राष्टि' । उ०-प्रपर सुषा डिगरी---सबा बी० [40डिग्री] १. विश्वविद्यालय की परीक्षा में मिठी, दुषे परि बिठि, मधुसम मधुरे बानि रे।-विद्यापति, उत्तीर्ण होने की पदवी। पू० १०३ क्रि० प्र०---मिलना । लेना। डिठियार, डिठियारा--वि० [हिं॰] दे० 'बिठार'। उ.-(6) २.मंद। कला । समकोण का माग । तुलसी स्वारप सामुही परमारप तर पीठि । प्रष कहे दुस डिगरी--संज्ञा श्री. परिको भवापत का वह फैसला जिसके पाइहै शिठियारो केहि रोठि।-ससी (सब्द०)। (ब) परिप से किसी फरोक को कोई हक मिलता है। न्यायालय प्रटकर सेती पप डिठियारे राह बतावै ।-पसद, पु.७४। की यह माझा जिसके द्वारा लानेवाले पचों में से किसी को डिठाना-संक पुं० [हिं०] ३० डिठौना'। उ.-सब पचाती माती कोई स्वस्व या अधिकार प्राप्त होता है। वैसे-उस मुकदमें के पात्र किंतु देवी है डिठोंदा मात्र ।-साकेत, पु. १८०। में उसको रिपरी हो गई। विठोहरी-सक श्री. [हिं० टीठि+हरना पपवा देण०] एक पगली यौ०-डियरोवार। पैड फल का प्रीज जिसे तागे में पिरोकर पपों के गले में उन्हें नवर रचाने के लिये पष्ठनाते हैं। मुहा०-रिपरी पारी फराना - फेसवे के मुताबिक किसी - जापवाय पर कब्जा वगैरह करने की कार्रवाई कराना। विशेष-२० 'बजरबट्ट' या 'नजरबट्ट। म्यायालयनिर्णय अनुसार किसी संपत्ति पर प्रधिकार डिठौना---सम.[हिं० डीठ ] काजल का टीका जिसे लड करने का उपाय कराना। डिंगरी देवाप्रमियोग में किसी मस्तक पर नजर से बचाने को स्त्रियाँ चगा देती है। उ..- पक्ष में निर्णय करना। फैसले के जरिए से एक कायम (क) पहिरायो पुदि पसव रंगीवा। दीन्हों भाल ठिीमा