पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०४

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डिंगर सिको बदमाश । ठग। ३ वास । गुलाम । ४. नीच मनुष्य । निम्न राखत हो तेरिये । -तुलसी (शब्द०)। २ पशु का छोटा कोटि का व्यक्ति । ५. फेंकना । क्षेपण (को०)। . तिरस्कार पच्चा (को०)। ३ मूर्ख या जड़ मनुष्य । ४. एक प्रकारका (को०)। उदर रोग जो धीरे धीरे बढ़ता हुमा मंत्र में बहुत भयानक हो डिंगर-सम [ देश ] वह काठ को नटखठ पौपायों के गले जाता है। में बांध दिया जाता है। लिंगुरा।1०-फदिरा माला काठ डिभा-संवा पुं० [सं० दम्म] १ पाडवर । पाखड । २. ममिमान । की पहिरी मुगद इलाय । सुमिरन की सुध है नही ज्यों डिगर घमंड 1 30-करे नहि कछु डिभ कबहूँ, डारि मैं सोड।- बांषी गाय ।-कवीर (धन्द०)। षगवानी, पू० ३५।। डिंगल'--वि० [सं० हिङ्गर ] नीच । दूषित । डिंभक-सा पुं० [सं० डिम्भक ] १. [श्री सिमिका बच्चा । छोटा डिंगल-संकर श्री० [देश॰] राजपूताने की यह भाषा जिसमें भाट मोर बच्चा । २. पशु फा छोटा बच्चा (को०)। चारण फाष्य और वंशावली प्रादि लिखते चले माते हैं। डिंभचक्र-संवा पु०सं० डिम्मचक्र] स्वरोदय में वर्णित मनुष्यों के डिंगसा-संक पुं० [ देशपक प्रकार का चीड़। शुभाशुभ फल का सूचक एक ताधिक चक्र [को०]। विशेष—इस पैदासिया पवंत व्या चटगांव पौर वर्मा को डिभा-सका श्री० [सं० डिम्मा] छोटी बालिका । नन्ही बन्दी [को०] । पाहारियों में बहत होते हैं। इससे बहुत रढ़िया गोव या डिभिया-वि० [सं०दम, हि डिभ] पारंपर रखनेवाला । पाबडी। राल निकलती है। वारपीन का वेम भी इससे निकलता है। २ मभिमानी। घमडी।। डिंडस-सा पुं० [सं० टिएिडय हिंड या टिंग्सौ पाम की तरकारी डिंडसी-सबा श्री० [सं० टिएिडय] टिंड या टिससी नाम की डिडिक-सा पुं० [सं० शिएिडक] हंसोर भिखारी (को०] । तरकारी। डिडिभ-सका पुं० [सं०शिएटम ] पलसर्प रहा [को०] । डिकामाली-समालो० [देश०] एक पेड़ जो मध्य भारत तथा दक्षिण डिडिम-सक्ष पुं० [सं० डिण्डिम ] १. प्राचीन काल का एक बाजा में होता है। जिसपर चमग मढ़ा होता था। शिमरिमी। गडगिया । विशेष-इसमें एक प्रकार की गोंद या रास निकलती है वो २ करोंदा। कृष्णपाक फल । हीग की तरह पूगी रोग में दी जाती है। इसके लगाने से यो०-विडिमघोष । डिग्मिनाद । घाव जल्दी सूखता है और उसपर मक्खियां नहीं बैठतीं। डिंडिमी-सहा श्री [हिं० डिमदिमी] देरिडिम'। डिक्करी-समस्त्री [H] युवा प्रोरत । युवती (को०)। डिडिर-मश[सं० डिण्डिर १ समुद्रफेन । २ पानी का झाग । डिको-सछा सो [हि पक्का १ सीगो का पक्का! (से मेढे हिंडिर मोदक-सना पुं० [सं० चिण्डिरमोदक ] १. गृजन । देते है)। २. झपट । वार । माक्रमण ! पावर । २ सहसुन। डिंडिश-सम पु० [सं० डिगिड टिंड या टिंडसी नाम की तरकारी। डिक्टेटर-सचा पुं० [अ०] १. वह मनुष्य जिसे कोई काम करते का पूरा अधिकार प्राप्त हो। प्रधान नेता या पथप्रदर्शक । डेटती। शास्ता । २ वद् मनुष्य जिसे शासन की मदाधित सत्ता प्राप्त डिंडी-वाडी [ देश.] मछली फंसाने का पारा। (विशेषत.) हो । निरकुश शासक। उ०-देवता पवे शिक्टेटर, खोह से छोटी मछली। जिनके हाप सनै ।--मानव०, पृ०५६। डिंडीर-सका पुं० [सं० डिएरीर ] दे० 'डिडिर'। विशेष-डिक्टेटर दो प्रकार के होते हैं-(१) राष्ट्रपक्ष का डिंब-सपा पुं० [सं० डिम्ब ] . हलचल। पूमार। वावा । २ मौर (२)राज्य या मासरपक्ष का । जब देश में सकट उपस्थित भयध्यमि। ३ पालड़ाई। ४ अंग। ५ फेफड़ा। फुफ्फुस होता है तब देश या राष्ट्र उस मनुष्य को, जिसपर उसका ६ प्लीहा । पिलही। ७.कीड़े का छोटा बच्चा।८ मारभिक पूरा विश्वास होता है, पूर्ण अधिकार दे देता है कि वह जो अवस्था का भ्रण। है गर्भाशय (को०)। १०. कंदुक । गेंद चाहे सो करे। यह व्यवस्था सकट काल के लिये है। से, (को०)। ११ भय । र । भीति (को०)। १२ शरीर (को०)। सं० १९८०-८१ मे महात्मा गाधी राष्ट्र के डिक्टेटर या १३ सयोजात शिशु वा प्राणी (को०)। १४. मुखं (को०)। शास्ता थे। पर राज्य या शासनपक्ष का डिक्टेटर वही होता डिंधयुद्ध-सा पुं० [सं० डिम्बयुट ] दे० 'डिंवाहद' [को॰] । है जो बड़ा जबरदस्त होता है। जिसका सब लोगों पर बरा डिवाशय-सहा पुं० [सं० डिम्ब+प्राशय ] गर्भाशय । मातक छाया रहता है। जैसे, किसी समय इटखी का डिक्टेटर डिवाहव-सबा ० [सं० डिम्ब भाइव] सामान्य युद्ध । ऐसीलाई मुसोलिनी था। जिसमें राजा मादि सम्मिलित न हों। यौ०-डिक्टेटरशिप = निरकुश शासन । मधिनायकवाद । डिविका-सहा श्री. [सं. डिम्बिफा १. मदमाती स्त्री। २. मोना- डिक्टेशन-सहा पु० मिं. वह वाक्य जो लिखने के लिये बोला पाठा। श्योनाफ। ३ फेन । दुलबुला । युल्ला (को०)। पाय। इमला। डिंभ'-संज्ञा पुं० [सं० डिम्भ] १.बच्चा । छोटा बच्चा । उ०-मब डिको- सी. [मं०] १ माशा हुक्म । फरमान । २. न्यायालय हो उिभ, सो न बुझिए विखब मब मवलब नाही मान को वह भाज्ञा जिसके द्वारा सड़नेवाले पक्षो में से किसी पक्ष