पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०९

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हुमाना बीहदारी जैसे बन रहा डीह । --कामायनी, पृ० १४५ । ३. मशास्त्रार्य करना हो पहले जाकर वह पत्र देख ले।-भारतेंदु ग्राम देवता । पं०, भा० ३, पृ. ५७४। डीहदारी-सधा डी. [ हि. डीह+फा. वारी] एक तरह का हफ डुग्गी-सका स्त्री॰ [ नु० ] दे० 'डगढ़गी'। जो उन जमीवारों को मिलता है जो अपनी जमीन देप डालते हुचना-क्रि० स० [हिं० दूवना ] दबना। चुकता न होना । 30- है। परीक्षदार उनको गांव का कोई अंश दे देता है जिससे नाचता है सूदखोर जह! कही ब्याज दुचता ।-कुकुर०, उनका निर्वाह हो। हंगा-सबा पु० [सं०तुङ्ग( चा)] १ ढेर । पटाला । उ०- डुडला-सहा . [ देपा.] एक प्रकार का वृक्ष जिसे दुदखा भी घर्ती स्वर्ग मसूम मा तब न माग बुझाय। उठहिं बज परि कहते हैं। इंग वे घूम रहो जग छाय।-जापसी (शब्द०) २ टोला। डूड़ा-सा पुं० [सं० दादुर] मेंढक । भीटा । पहाड़ी। डुड़का-सा पु० [ देश ] धान के पोषो का एक राग। हुंडा-सरा पुं० [ सै० या स्कन्ध (तना)] १.ठूठ । पेटों को डुडहा-सक्ष पुं० [हिं० डाइ] खेत में दो नालियों (घरहों) के सूखी डाल जिसमें पसे मादि न हों। उ०-रेव जू पनग भंग ' बीच की में। होमि के भसम संग प्रग मंग उमझो मखेवर ज्यो हुँ मैं - देव (शम्द०)। २ शिररहित मग । घर। १०-उरि र दुपटना-कि. स० [हिं० दो+पट] पुनना। पुनियाना। 3.- परत कई हय सु तुं। कई हथ्य परन क परिय दुर। पन्हवाइ उन पहिराइ भूषन वसन सुपर डुपटि 1- विश्राम (शब्द०)। -सुजान., पृ०२२ दुपटा -सपा पुं० [हिं० दुपट्टा ] दे० 'दुपट्टा'। उ०-बुपटा है रे हुंदु-सका पुं० [सं.हुएउम] दे० 'धुम'। फिरमपी मनु मनके दई कमची।- .,पु.१५। हुंदुभ-सबा पु. [सं० हुएदुम] पानी में रहनेवाचा साप जिसमें बहुत डुपट्टा-संघा [हिं०] दे० 'दुपट्टा'। कम विष होता है।रेदहा साप । ड्योढ़ा साप । डुप्लीकेट-वि० [4.1 द्वितीय । दूसरी । 3.--कमराव करते, इंदुम-सा [सं० हुण्डुम ] दे० 'डम'। चाबी अपने परिचित किसी एक मेस महाराज को देवी, हुंडुल-सका ई० [सं० हुण्दुल ] छोटा उपलू । डुप्लीकेट उमादत्त पास थी।-सन्यासी, पृ० १२३ । हुंदुक-संवा [सं० इन्दुक] दे॰ 'बाहुक' [को०] । डुबकना-क्रि० स० [हिं० टुरको] १ दूबना उतराना । २.पिताकुस हुंब~या पुं० [सं० हुम्ब, देशी ] डोम [को०] 1 होना । घबराना । उ०-इनही से सब डुबकत डोल मुकदम डुंबर-सना पुं० [सं० गुम्बर ] डंपर । पारवर । पौर दीवान । खान पान सब न्यारा राखें, मन में उनके मान । हुकासमा पु० [भनु० ] घुसा । मुक्का । -कधीर १०, भा॰ २, पृ०६४। डकडी-सबा श्री.हि टुकड़ी] दो घोड़ों की बग्घी। 30-खुव डुबकी-समस श्री० [हिं० डूबना ] १. पानी में डूबने की किया। हुड़ी पर चढ़ निफलती थी।-सैर फु०, पृ० १४! हुन्दी । पोता । बुड़की। उ.-हुबकी खाइ न काहुप पारा। दुकाडुकी-सक्षा स्त्री० [हिं० दुकना] १. पश्चिमिचौनी । ढुकौवल । डूब समुद्र में जीउ गवावा ।-इद्रा०, पृ० १५९ । दुकाढुकी। 30-प्रति गह्वर व अपर पाल । डुकाटुकी क्रि० प्र०-खाना ।—देना ।--मारना ।-लगाना ।--मना। खेलें बहुकाल ।-नद००, २६२ । मुहा०-उबकी मारना या लगाना=गायन हो जाना। किया-सहा श्री० [हिं. डोका] दे० 'डोकिया। २.पीठी की बमी हुई पिना तपी बरी जो पीठी ही कढ़ी में कियाना-कि. स. [हिं०डक] घुसों से मारना । धूसा लगाना । हुवाकर रखी जाती है। एक प्रकार का घटेर। का -सहा स्त्री. ] धूसेमानी । मापस में चूंसों की डुबइभी-पा श्री० [सं० दुन्दुभि ] दे० दुधि' । उ.बाजा मार 180-टुक्का दुक्की होन लगी।-पद्माकर प., पृ० २७ । वाजा हुबडभी, परणावा पाल्पो बीसलराव।-बी. रासो, डुगडुगाना-क्रि० स० [अनु० ] किसी पमना मढ़े वाले को लकडी बजाना। डुवधाना-क्रि० स० [हिं० दुबाना का प्रे०रूप] डुबाने का काम डुगडुगी-सा श्री [अनु.] चमडा मढ़ा हुपा पफ छोटा बाजा। कराना। कौसी द्वारगी। उ०-डगरमी सहर में बाषी हो।-फबीर डुबाना-क्रि० स० [हिं० पना] १. पावी या मोर किसी व मा०२, पु.१४11 पदार्थ के भीतर मलना । मग्न करना । गोता देना । पोरना। क्रि० प्र०-जाना ।-फेरना। २ चौपट करना न करना। सत्यानाथ करना । बरपाय मुहा०-डुगडुगी पीटना-हौडी बजाकर घोषित करना । मुनादी करना। ३ मर्यादा कलंकित करना । यत्र में दाग लगाना। करना। चारों ओर प्रकट करना। डुगडुगी फेरना= दे० मुहा०-नाम उबाना-नाम को कलकित करना। यश को बिगा- 'डगडुगी पीटना। 30-मापने पत्रावतबन अप करके विश्वे- इना। किसी फर्म या त्रुटि के द्वारा प्रतिष्ठा नष्ट करना । श्वर के द्वार पर भी दुगडुगी फेर दी थी जिसको हमसे मर्यादा खोना । लुटिया डुबाना = महत्व खोना। बड़ाई न सबा पु टकी र कु०, पृ० कोवल । पति नपा खेले बहका पृ० ३०।