पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१०

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डुबाव डूबना रखना । प्रतिष्ठा नष्ट करना। वश जुबाना=वंश की मर्यादा दूंगा'—सञ्चा पुं० [सं० द्रोण ] १. चम्मच । चमचा । २. एक सकती नष्ट करना । कुल की प्रतिष्ठा खोना । की नाव । डोगा (लश०)। ३. रस्से का गोल सपेटा हमा डुबाष-सबा पुं० [हि० दुबना ] पानी की उतनी गहराई जितनी में लच्छा (लश०)। एफ मनुष्य एब जाय । डूबने भर की गहराई। जैसे,—यहाँ दूंगा-सचा पुं० [सं० तुङ्ग] छोटी पहाडी। टोला । स०-विविध हापो का दुबाव है। ससार कौन विषि तिरबी, जे दृढ़ नाव न गहे रे । नाव छाडि डूबुकी-सक्षा स्त्री [हिं. दूबना] दे० 'हुबको'। 10-परन जलज दे डूंगे बसे ती दूना दुख सहे रे।-२० पानी, पृ. ३८] 'काकर जाऊँ। बुकी खासुमिरि वह ना।-इंद्रा०, ढुंगा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ देश-] संगीत की २४ शोभामों में से एक। पृ०५२। डूंजा-संवा स्त्री॰ [ दे० ] भाषी । तेज हवा (डि.)। डुबोना-क्रि० स० [हिं० ] ३० 'हुबोना' । डदा-वि० [सं० युधिहि टूटना ] एफ सींग का (बैल) । (बैल) डुब्बा-सभा पुं० [हिं० डूबना] दे० 'पनहुब्बा'। जिसका एक सींग टूट गया हो। २. जिसके हाय कटे हों। इन्यो-संवा श्री. [हिं०] दे० 'दुवकी'180-व्यर्थ लगाने को इन्बी लूला। बिना साथ पावं का। ३ शिरविहीन (घड)। हाँ! होगा कौन भला राषी।-झरना, पृ० ३०। हम-सचा पुं० [ देशी दुब या डोंब ] दे० 'डोम'। उ०-दूमन डुबकौरी- खी [हिं० हुबको+बरी ] दे॰ 'हुभकोरी'। उ० जाणे देवजस सूमन जाणे मोज । मुगल न जाणे पोदया पौराई दोराई मुरई मुरब्बा भारी जी। दुवकोरी मुंगछौरी चुगल न जाणे पोज।-यांकी पं०, भा॰ २, पृ०४८1 रिकवछ ईहर थीर छछोरी जी।-रघुनाय (धन्द०)। णी-सश औ• [हिं० हूं'म ] दे० 'डोमनी-३'। उ०-पौहर डुभकौरी-समा सो [हिं० डूबना, दुबको+बरी] पीठी की विना सदी ईमणी, ऊमर हुदह सथ्य । -होला., दू० ६३० । तली परी षो पीठी ही के झोल में पकाई मौर दुबाफर रखी ड्रक-सबा श्री० [ देश० ] पशुपों के फेफडों की एक बीमारी। जाती है। उ०-खंडरा बघका जायसी मोर भकोरी । ग्रं, कना-क्रि० स० [सं० श्रुटिकरण, या हिं. धूकना ] त्रुटि पू. १२४ । करना। मूच करना । गलती करना । मौका खोना । पूकना। डमई-संथा श्री० [देश॰] एक प्रकार का चावल जो कवार मे । ड्रबना-क्रि० प्र०[अनु० दुव हुब पानी या और किसी व होता है। पदार्थ के भीतर समाना। एकबारगी पानी के भीतर पला डुरी -सपा नी [हिं० ठोरी] दे० 'डोरी' । १०-काम की घुरी बाना । मग्न होना । गोता खाता । बूडना । जैसे, नाव डूबना, नेह में जुरी मानो किसी ने उसी की दूरी से बांध दिया हो। आदमी डूबना। श्यामा०, पृ० ३१ । संयो॰ क्रि०-जाना। डुलनाg+-क्रि० स० [सं० दोलन ] दे० 'डोलना'।०मंद मुहा०-डूबकर पानी पीना- धोखाधड़ी करना। मौरो से मद मैगस मतंग लौ चलेई भले भुजन समेत मुज भूषन डुलत छिपकर बुरा काम करना। उ०-हमी में डूबकर पानी पीने- पात । पद्माकर (शब्द०)। वाले है।-चुभते. (दोदो०), पृ.४। डूब मरना = लज्जा डुलाना-क्रि० स० [हिं० डोलना] १ हिलाना। चलाना । गति में के मारे मर जाना । घरम के मारे मुह न दिखाना । उ०- लाना। चलायमान करना। जैसे, पखा डुलाना।२ हटाना। उन्हें हूब मरने को ससार मे चुल्लू भर पानी मिलना मुश्किल भगाना । १०-कारे भए करि कृष्ण को ध्यान हुलाएँ ते काहू हो जाता ।-प्रेमधन०, भा० २ पृ० ३४१ । के डोलत ना।-सु दरीसर्वस्व (शब्द०)। ३ चलाना। विशेष-इस मुहा० का प्रयोग विधि और पादेश के रूप मे ही फिराना। ४. घुमाना । टहलाना। प्राय. होता है। जैसे, तू डूब मर? तुम डूब क्यों नहीं मरते ? इलि-सक्षा खौ• [0] कमठी । कच्छई। कच्छपी। चुल्लू मर गनी में डूब मरना = दे० 'डूब मरना'। दूबते को इलिका-धंधा बी० [सं०] खजन के पाकार की एक चिड़िया को। तिनके का सहारा होना=निराश्रय व्यक्ति के लिये पोडा सा आश्रय भी बहुत होना। संकट में पड़े हुए निस्सहाय मनुष्य डुली-सथा श्री० [सं० ] चिल्ला साग । लाल पत्ती का बयुधा। के लिये थोडी सी सहायता भी बहुत होना। डूबा नाम डूंगर-सचा पुं० [सं० तुङ्ग (= पहाड़ी)]१ टोला। भीटा। उछालना=(१) फिर से प्रतिष्ठा प्राप्त करना 1 गई हुई दह । ३०-सूरदास प्रभु रसिक शिरोमणि कैसे दुरत दुराय मर्यादा को फिर से स्थापित करना । (२) प्रसिद्धि से प्रसिद्धि कहौं धौं डुंगरन की प्रोट सुमेर। सूर (शब्द॰) । २ छोटी प्राप्त करना। टूबना उतराना= (१) चिता में मग्न होना। पहाड़ी। उ०-छिनही में प्रज पोहबहाएंगर को कहूँ नावें सोच में पड़ जाना। (२) चिंताकुल होना । घबराना। जी न पावें ।—सूर (शब्द०)। डूबना - (१) चित्त विह्वल होना। चित्त भ्याकुल होना । जी डूंगर फल-सबा पुं० [हिं० डूंगर+फस ] बवाल का फल । देवदाली घबराना । (२) बेहोशी होना । मूर्छा माना। का फल जो बहुत कड़वा होता है भोर सरदी में घोडों को विशेष-पद्माकर ने 'पाण' शब्द के साथ भी इस मुहा० का सिसाया जाता हैं। प्रयोग किया है, जैसे, ऊबत हो, डूबत हो, डगत हो, डोलत हूँगरी-समा सशहिदूंगर छोटो पहाड़ा । हौ, बोलत न काहे प्रीति रीतिन रिौ चले।"परे मेरे प्राव ।