पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३४

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जटायु जठर सुगध के काम आता है। २८ सेर जटामासी में से डेढ़ छटाक जटिलक-समा पु० [सं०] १. एक प्राचीन ऋषि का माम । २. के लगभग तेल निकलता है। इसे दालछड, बालूचर मादि भी इस शापि के वशज। कहते हैं। जटिलता-सना स्त्री० [सं० जटिल + ता (प्रत्य॰)] कठिनाई। जटायु-सज्ञा पुं० [सं०] रामायण का एक प्रसिद्ध गिद्ध । उलझन । पेचीदगी। विर्शप-यह सूर्य के सारथी अरुण का पुत्र था जो उसकी श्येनी जटिक्षा-ससा स्त्री० [सं०] १. ब्रह्मचारिणी। २ जटामासी। ३. नाम्नी स्त्री से उत्पन्न हुमा था। यह दशरथ का मित्र था और पिप्पली। पीपल । ४ वचा। बच । ५ दोना । दमनक। ६. रावण से, जब वह सीता को हरण कर लिए जाता था, लड़ा महाभारत के मनुसार गौतम वश की एक ऋषिकन्या का था। इस लड़ाई में यह घायल हो गया था। रामचद्र के नाम जिसका विवाह सात ऋषिपुत्रों से हुमा था। यह प्ररी माने पर इसने रावण के सीता को हर ले जाने का समाचार धर्मपरायण थी। उनसे कहा था । उसी समय इसके प्राण भी निकल गए थे। जटी---समा स्त्री० [सं०] १ पाकर । २. जटामासी । ६० बठि। रामचद्र ने स्वय इसकी प्रत्येष्टि क्रिया की थी। सपाति इसका जटी-सचा पुं० [सं० जटिन १ शिव । २. प्लक्ष या वट का भाई था। वृक्ष । ३. वह हाथी जो साठ वर्ष का हो [को०)। २. गुगुल । जदी-[स० जटिन् । वि.सी. जटिनी ] जटाधारी -विमन जटाज-सज्ञा पुं० [सं०] १. बटवृक्ष । परगद । २ कचूर । ३. जटी, तपसी भए मुनि मन गति मूली। छीत०, पृ०२०। मुष्कक ! मोखा । ४ गुग्गुल । जटी -वि० [सं० जटित ] दे० 'जटित' 1-30-जी पै नहि होती जटासर-वि० जटाधारी । जो जटा रखे हो। ससिमुखी मृगनैनी फेहरि कटी, छवि जटी छटा की सी छटी जटाला-सा मी [सं०] जटामासी। रस लपटी टूटी छटी-अज०म०, पृ०६३। सदाव-सहा श्री० [ देश ] काली मिट्टी जिससे कुम्हार घड़े मादि जटल-सष्ठा पुं० [सं०] शरीर के चम पर का एक विशेष प्रकार बनाते हैं। कुम्हरोटी। ___ का दाग या धन्चा जो जन्म से ही होता है। लोग इसे लच्छन जटाव-सहा पुं० [हिं० जटना ] जट जाने या जटने की क्रिया । या लक्षरस कहते हैं। जटावती-सभा को [20] जटामासी । जटुली --संशा सी० [हिं० ] बच्चों के का। 10-धूलि धूसर जटावल्ली -सक्षा मो० [सं०] १ रुद्रजटा। शकरजटा। २ एक जटा जदली हरि लियो हर भेष।-पोद्वार मभि० प्र० प्रकार की जटामासी जिसे गघमासी भी कहते हैं। पृ०२५२। जटासुर-मुन्ना पुं० [सं०] १ एक प्रसिद्ध राक्षस । जट्टा-सज्ञा पुं० [हिं० जाट ] जाट जाति । विशेष-यह द्रौपदी के रूप पर मोहित होकर ब्राह्मण के ही जट्टा जट्टी-सहा ली० [देश जली तवाक् । उ०-एक ही फंक में चिलम देश में पाडवो के साथ मिल गया था। एक बार इसनें भीम की जट्टी तक चूस जाते । -प्रेमघन॰, भा०२, पृ०८४ । की अनुपस्थिति में दीपदी, युधिष्ठिर, नकुल पौर सहदेव को जट्ट -वि० [हिं० जटना] ठगनेवाला । गैरवाजिब मूल्य लेनेवाला। हरण कर ले जाना चाहा था, पर मार्ग मे हो भीम ने इसे जठर-सम्मा पुं० [सं०] १ पेट 1 कुक्षि। मार डाला पा यौ०-जठरगद । जठरज्वाल-भूख । जठरज्वाला । जठरयंत्रणा, २ बृहत्साहिता के अनुसार एक देश का नाम । जठरयातना- गर्भवास का कष्ट । जठराग्नि । जठरानल । जटि-सशास्त्री० [सं०] १ प्लक्ष वृक्ष। पाकर का पेठ । २ बरगव २. भागवत पुराणानुसार एक पर्वत का माम। का पेठ । ३ जटा । ४ समूह । ५ जटामासी । विशेष—यह मेर के पूर्व उन्नीस हजार योजन सदा है मौर नील जटित-वि० [सं०] जडा हुमा । जैसे, रत्नजटित । पर्वत से निषध गिरि तक चला गया है। यह दो हजार जटियल-वि० [हि. जटल 12 निकम्मा। रद्दी। २ नकली। योजन चौड़ा और इतना ही ऊंचा है। दिखावटी। ३ जटनेवाला। ३. एक देश का नाम । जटिल'---वि० [सं०] १ जटावाला। जटाधारी । २. अत्यत कठिन । विशेष-वृहत्साहिता के मत से यह देश प्रलेषा, मघा और पूर्वा- जटा के उलझे हुए बालों की तरह जिसका सुखझना बहुत फाल्गुनी के अधिकार में है। महाभारत में इसे कुक्कुर देवा कठिन हो । दुरुह । दुर्बोध । ३ क्रूर । दुष्ट । हिंसक। के पास लिखा है। जटिल'-सबा पुं० १. सिंह। २ ब्रह्मचारी । ३ जटामासी। ४ शिव । ४ सुषुन के अनुसार एक उदर रोग। विशेष-जिस समय शिव के लिये पार्वती हिमालय पर तपस्मा विशेष-इस उदर रोग मे पेट फूल जाता है। इसमें रोगी बलहीन कर रही थी, उस समय शिव जी जटिल वेश धारण करके मौर वर्णहीन हो जाता है तथा उसे भोजन से मरुचि हो उनके पास गए थे। उसी के कारण उनका यह नाम पड़ा। जाती है। ५. बकरा (को०)। ६ साधु (को०)। ५ शरीर । देह । ६ मरकत मरिण का एक दोष ।