पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३६९

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तवद्दुल २०१५ तबाशीर इनफिलाव (को०)। ५ किसी चीज के बदले में कोई दूसरी दे० 'तबला ठनकना'। तबला चढ़ना- तबले की बद्धीका कस घोज लेना (को०)। जाना जिससे पूरी पर तनाव अधिक पड़ता है और स्वर ऊँचा तयतुल-संश पुं० [प] ल वाना बना । २ काति। निकलने लगता है I ला बढ़ाना = तबले की पड़ी को इनहिलाका कसकर पूरी पर का तनाव अधिक करता जिसमें तबले मे से स्वर निकालने ली बला ठवरुवा = (१) तबला वजना। तवर'-मश[फा०] कुल्हाडी। गी। २ कुल्हाड़ी की (२) पाच रंग होना। तबला मिखाना - तबले को गू- तरह का मकाई का एक हथियार। ल्लियों को ऊपर नीचे हटा बढ़ाकर पैसो स्पिति में लाना सबर'-सा पुं० [ देश० ] मस्तूल में सबसे ऊपरी भाग में लपाई जिसमें पूरी पर पारी पोर से समान तनाव पड़े पोर तबले बानेवासी पाल जिसका व्यवहार बहत हरकी दवा बलने के में से चारों पोर है कोई एकही विशिष्ट स्वर निकले। समय होता है। २. एक तरह का बर्तन | तांबे या पीतल का एक पात्र । उ.- तबरदार-सा पुं० [फा०] कुल्हाडी या तबर चलानेवाला। पुनि परवापरई तष्टी तवला मारी लोटा गावहि-सुंदर तबरदारी-साली. फ़ा] वर, कुल्हारी या फरसा चलाने प्र०, भा० १, पृ०७४1 काकाम। । तवलिया-सका पुं० [हिं० तवला+इया (प्रत्य॰)] वह जो तवला सुपरक-संका पुं० [म.1 प्रसाद ग्रामोदर में मातम बचाता हो। बची। वस्तु को। तबलीग-सहा . [म. वन्लीग ] प्रचार । प्रसार । उ०--क्या तबर्ग-[८०] १. पृणा प्रकट करना। बफरत। २ वे दुर्वचन व पही वह इस्लाम है जिसकी तबलीग का तूने बीड़ा उठाया जो शिया बोग सुनियों के पैगंबरो को कहते हैं। मजहब है?-मान, भा० १, पृ० १८४ । विरोधियों के लिये गाया जानेवाचा गीत [को०]। तबल्ल-सबा पुं० [५० तवल ] दे० उनला। 3.--किते बीर तवल-सज्ञा पुं० [फा०] 1. ढोल । २. नगाडा।का। दोरा बल्ल बनाए।--६० राम्रो, पृ० १४१ । तबलची-सबा पुं० [म. तबलह+ची (प्रत्य॰)] वह जो तवला जाता हो । तवलिया। तबस्वासका पुं॰ [देश॰] एक फूल का नाम । २०--वन उनये हरियर होय फूला। तक भिरंग तबस्ता फूला-हिदी सबला-सबा ० [स. तमलहू] १ ठाल देने का एक प्रसिद्ध बाजा प्रेम., पृ० २०७॥ जिसमें काठमेलदोतरे और खोखले पर गोल घमा मढ़ा रहता है। तबस्सुम-सज्ञा पुं० [प.] मुस्कुराहट (को०)। विशेष---यह पमरा 'पूरी' कहलाता है और इसपर लोडन बह-वि० [फा० तमाह का लघु रूप] दे० 'तवाह' [को०। झा, लोई, सरेस, मंगरैले पौर तेल को मिलाकर बनाई यौ०-बहकार तबाहकार । तबहहास =तवाह हाल । हुई स्याही की पोल टिकिया माछो तरह बमाकर पिको तबा-सबा पुं० [मतिबाम]१ प्रकृति । २ प्रतिमा। उ०- पत्थर से घोटी हुई होती है। इसी स्याही पर पापात परने मिसावहर के तन यो अमृत है जान, तया पाव की दौड़कर से तबले में से मावाष निकलती है। पर रखकर यह पूरी कर पचान-वक्खिनी०, पृ. २४३ । चारी मोर बम कोते है, जिसे 'वी' कहते है.कसकर तवामत-सी० [प] मुद्रण। पाई। उ०-'प्रेम बत्तोसी' बांध दो पाती है। इस बद्धी पौर के बीच में काठ की की तापत प्रमी शुरू नहीं हुई प्रेम गो०, पृ. ५२ । गुहिजो भी रख दी बाती जिनकी सहायता से तबसेका तवाक-सा पुं० [५० तवाक ] डा थाल । परात। स्वर मावश्यकतानुसार चढ़ाते या उतारते हैं। पातावरण मधिक ठढा हो जाने के कारण भी तयला मापसे माप उतर यौ०-तबाकी कुत्ता केवल खाने पीने का साथी । वह बो केवल जाता मोर मधिक गरमी के कारण प्रापसे प्राप पढ़ जाता पच्छी दशा में साथ दे मोर मापत्ति के समय अलग हो जाय । है। यह बाषा प्रकला नही पाया पाता, इसी तरह पोर तवाख-सका पुं० [म. ताक, हिं०] दे० 'वाम'। दूसरे वाजे के साप पजाया जाता है जिसे 'बायो', 'का' या तबाखी-सका ० [हिं० तवा ] वह जो परात में रखकर सौदा 'दुग्गी' कहते हैं। साधारण बोलचाल में लोग दबले पोर देचता है। वाप' को एक साथ मिलाकर भी केवल तबला ही कहते हैं। यौ०-तहाखी सा=म्वार्षी मित्र । तबला दाहिद हाथ से मौरबायो बाएं हाथ से बनाया जाता है। तबादला- पुं० [म. तवादुल या तबादलह, ] १ बदली मि०प्र०-जना !-पजाना। स्थानांतरण। २ परिवर्तन | १०-मामले को सच समझा महा-तना स्तरमा तरले की पटी का ढीला परवाना हो पा झूठ, मुन्मी का बहरहाल बादला हो गया। घरखास्त जिसके कारण तबले में है धीमा या मद स्वर विरुषले सये। होते होते बचे, यह उन्होंने अपना सौभाग्य समझा।-काले०, तपमा उतारना तयले को मंत्री को ढीला या पौर पृ०६७। किसी प्रकार पुरी पर का तनाव कम कर देना जिससे प्रबले तवावत-सका श्री. ] चिकित्सा । वैद्यक। में से धीमा या मंद स्वर निकलने लगे। धमला खनकना तबाशीर-पा० [H• वक्षीर] बसलोचन ।