पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३७०

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तबाह नमः सबाह-वि[झा.1१. जो नष्टभ्रष्ट या बिलकुल खराब हो गया तबीयतदारी-संश स्त्री० [म० तवीमत + फ्रा० दारी (प्रत्य॰)]. होमहापरवाव । चौपट । २. जनशून्य । निर्जन (को०)। होशियारी। समझदारी । २. भावुकता । रसाता।" ३. निकृष्ट । खराब (को०)। ४ दुर्दशाग्रस्त । पदहाल (०)। तबोध-सच [म.] वैद्य । चिकित्सक । हकीम । उ०-तब तबीच यौ०-सबाहकार=(१) तबाही मचानेवाया। विनाशकारी। तसलीम करि ले घरि । प्रत्यापारी। (२) कदाचारी। बदचलन | तबाह रोजपार= तबीन-सहा पुं० [म. तापम] तावेदार । सेवक । उ०-पालटू ऐसी कालचऋपस्त। दुदंडापीड़ित । तपाइहाल-(१) दुवंशाग्रस्त साहिमी साहब रहे तवीन । दुइ पासाही फकर की क (२) निधन । दखि। दुनियाँ इक दीन ।-पलदू०, मा० १, पृ० ६३ । तबाही-मन सी० [फा०] नाश । बरवादी। मधःपतन । वचेला'-संशा पु० [म. तवेलह] वह स्थान जहाँ घोड़े बांधे कि० प्र०-माना। पौर गाठी, एक्के यादि सवारियां रखी जाती हो। प्रस्तबस। मुहा०-तबाही खाना-पहाज का टूट फूटकर रही होना ।- घुडसाल। (स.)। तबाही पढ़ना- जहाण का काम के लिये मुहताज मुहा०- तबेले मे लत्ती चलाना-विशिष्ट कार्य करने में पहनन रहना । जहाज को काम न मिलना। -(.)। उपस्थित होना। तबियत-सखी [म. तबीमत] दे० 'तमीमत। तबेला--संज्ञा पुं० [हिं० तांबा तौबे का एक पात्र । तबी-मव्यतिमी । तब ही ..."तो सबी कि अब तवेली-क्रि० स० [फा० ताब (= ताप)+हि. एली (प्रत्य॰)] उनपर' "|--प्रेमघन॰, भाग २,०२५३ । छटपटाना 1 तालावेली। 30-कहा करो कैसें मान समझा तबीयत-सी० [म. तबीयत ] १. पित्त । मन । जी। व्याकुल जियरा धीर न परत लागिय रहति ठदेतो। -घनानद, पृ०४८०। मुहा०-(किसी पर) तवीमत पाना - (किसी पर) प्रेम होना । माशिक होना। (किसी चीज पर) सबीमत पाना = (किसी तबोसाव-सबा पुं० [सं० तप+ झा० ताव] रजोगम । गरमी। 1.-- माल से उसको बस है वह तोताव । के होय महशर में चीष को) लेने की इच्छा होना। तबीमत उलझना जी घबराना। तबीयत खराब होना = (१) बीमारी होना। उसको तुले हिसाब ।-दक्खिनी०, पृ० २१६ । सवोरी --संचा त्री० [सं ताम्बोल] पान । लगाया हुमा पान। स्वास्थ्य विगलना। (२) जी मिचलाना। तीमत फड़क उठना - चित्त का उत्साहपूर्ण और प्रसन्न हो जाना। उमंग उ.-अधर प्रधर सो भोज तबोरी। मलका डरि मुरि मुरि गौ मोरी।-जायसी प्र० (गुप्त),पु. ३४२ ।। के कारण बहुत प्रसन्न होना। तबीमत फड़क जाना-दे० 'सवीत फरक उठना'। तबीमत फिरना-जी हरना। तबोर-कि. वि० [हिं॰] दे॰ 'व'। उ०-सहस मठासी मुनि मनुराग न रहना। तबीयत बिगड़ना-दे० 'तबीमत सराव जो जेवें तवोन घटा बाई। कहहिं कबीर सुपच के ए, होना' । तबीयत भरना = (१) संतोष होना । तसल्ली होना। घट मगन गाजे--कबीर (शब्द॰) । (२) सतोष करना । तसल्ली करना । जैसे,-हमने अच्छी तब-मय० [हिं०] दे० 'तब'। उ.--गही क्यो न मन। कई तवीमत भर दी, तब उन्होंने रुपए लिए बैन तब्बं ।-ह. रासो, पृ० १३६ । मन भरना। मनुराग या इच्छा न रहवा । जैसे,-प्रब इन तब्बर -सक्षा पुं० [हिं०] दे० 'तर। कामों से हमारी तबीअत भर गई। तबीमत लगना = (१)मन तभी-पव्य० [हिं० तब ही] । उस समय । २ उसी वक्त । उसी में मनुराग उत्पन्न होना । (२) ख्याल लगा रहना। ध्यान घड़ी । जैसे,-जब तुम नही पाए, तभी मैंने समझ लिया कि लगा रहना । जैसे,—इधर कई दिनों से उनकी चिट्ठी नहीं दाल मे कुछ काला है। २. इसी कारण। इसी वजह से। भाई, इससे तवीमत लगी हुई है। तबीअत लगाना 3(१) चित्त जैसे-तुम्हारा उधर काम या, तभी तुम गए। को किसी काम में प्रवृत्त करना । जैसे,—तबीमत क्षगाकर तमंग--संका पुं० [सं० तमङ्ग] १ रगमंच । २ मंच को०] । काम किया करो। (२) प्रेम करना । मुहब्बत में फंसना। तमंगक-समापुं० [सं० तमङ्गक] छत या छाजन ता मागे निकला तबीपत होना- मनुराग या प्रवृत्ति होना। जी चाहना । हुमा भाग (को०)। २ बुद्धि । समझ । भाव । तमचा-सथा पुं० [फा. तमंचह] १. छोटी बंदूक । पिस्तौल । मुहा०-सवीमत पर जोर डालना - विशेष ध्यान देना। क्रि०प्र०-चलाना -दागना ।-मारना ।-छोड़ना। तवज्जह करना । जैसे,-बरा तवीमत पर जोर गला करो, यौ०-तमचे की टांग-कुश्ती का एक पॅच जिसमें शत्रु के पेट पच्छी कविता करने लगोगे। तबीमत लहाना= दे० 'बीमत में घुस माने पर बाएं हाथ से कमर पर से उधका लंगोट पर पर जोर डालना। लेते हैं मोर उसकी दाहिनी बगल से अपना वायाँ पार बढ़ाकर यो०-तबीमतदार । सबीमतदारी। पीठ पर से उसकी बाई बांध फंसाते और उसे चित कर देते। तबीअतदार-वि० [म० तमीमत + फा० दार (प्रत्य॰)] १ जो भावों २. एक लवा पत्थर जो दरवाजो की मजबूती सिये समक्ष को पठ ग्रहण करता हो। समझदार। २.-भावुक । रसिक । में सपाया जाता है। रस। समः--संह पुं० [सं०] समस्का समस्तपदों में प्रयुक्त कम।