पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वामित भातम निसार करो। यह कि गति कोहीएफ पह, पशुदिपा, मोर, मोह, पारमादिको जामय में कहा। विगु समगुरमय, बायोमुणमय पोर fee तमोगुणमय माने जा13.-- राम गुण परिकारी शिव तामम अधिकारी-गुर (म्या)। २. ५कार पुका पछारमय (२०) १. रामम् से प्रभाषित मा पराउ (२०1४ मा (को०)। ५. दुष्ट टिप्स ()। सामस-Ant.१ सर्प । सर २. सा. बल्लू।। श्रेष! गुस्सा दोनों के प्रापत नितामा एत?-पूर (द)।५ पपकार । पंधेरा .-मय पतीफरान हिप तामसवाडा-पीनदयाल (प्रय०)। ६.प्रशान मोह। ७ पौष मनु नाम। .एकमला नाम। -(वाल्मीकि रामाप).तीन प्रकार फेल दो सूर्य पौरपद्रमाके नीवर टिगोचर हो । -(वृहत्याहिता)। नि०. तापकीस। १. मोगुण । उ.-ठा है पचार सो यामन परिहरी -परम.. १०४०। ११ राहूं का एक पुत्र (को०)। १२. पंधकार (०)। १३. यह घोदा जिस मोगुण हो (२०) । वागसकीना-यंपा पु० [.] एक प्रकार केतु जो रापुर माने जातेमौर सपा में ३३९। विशंप-मयंमंडल में इनके भाकार और स्पान को देखकर फस का निर्णय किया जाता है। ये पपि गूमरत में हिंगाई परते है तो इसका फस गुम और पामत में दिपाई पर ६ो शुभ माना जाता है। तामसमय-स .] फारको सीपीईसरा। तामसवारण-सा • [0] एक पर का नाम । तामसाहकार--0५. [• तामसाहार] एप्रहार का महकार पाकारा एकमेव । 10-निति यामबाहकार दश अस्प उसले पार!-मु० मा० १.१.६०॥ बामसिफ-१० [.] [ी . जामसित] १. भामसयुक बनो- गुणपासो। 30-या विविध सामगिर गई। उसको पिर माली ।-पग्जिाव १.२॥ २ धमग से उतार या समम् ग सान (1) तामसी'.- 180समोगुणवानी बगे, तामधीमाजि यी.-सामग्री पीना मणोप फे प्रकारों पे ए. (गोस्स)। तामसी'-jaat..] १. मी रात। २. महापाती। दागायो। HEER .५७ प्रकार की माया वि पिसे निनिभिनायास होगर वादको विषापा। तामा- पु .] - alert वामि- सोयाम frung तामियों - दि. मा+r(.] 'आमिया । तामिया-roatianarta २.राम तिमिला वामि-- -[efit; f t.भारत पति को एकाधि को बानियाmats for विशेर-त नों को राप किवामिन शम्बरकड मापिट' forcer है। मनुमहिमा, महाभारत पाधि प्राचीन मों में विजय मोर अधिकाति का है। मापसे या पामी, गोवापिदका रूप लामियो' हो गया। दामि परमाता में समादि के एक हो अपारण कारामितो का पामिनोंगा वालिम' हो गया। शहरामा के घारीरक मा 'मिस' र माया है। एनमक नामापीनी पायाने विदेश को पि-मो.नोकरी लिलावामित कारण अनुसार दमिर पल को रूप तिमि होता है। भारुम कुछ विमानों को राय हो रही है कि यह विमि रही प्राचीन विधये समानाने विरद सिपा। चैनौपचपय माहारम्प' नाम रूप में प्रति तय पर एक पिताण सना की गई है। उक्त पुस्तक मत से पादि तीर्थकर अपमाको प्रषिद' नाम- एफपुर जिस भुभाग में मा, उसका नाम 'पिट' पड़ गरा। पर भारत मनुसहिता पापि प्राचीन प्रपो ये विदित होता है कि पिड पातिक नियाको कारण देश का नाम विट पड़ा। (२०ाग्दि)। तामित जाति भरपत प्राधीन है। पुरास्ववियों का म क यह बात मनाई मोर माप के मागमन पे पूर्व ही भारत अपने नागों में निवाग करतीपी। रामपंदने दक्षिण में चार दिन लोगों की सहायता से संपरपाईको पी मौर जिन्हें पास्मीने पर लिखा है, पेसोपाधि ये। उनकाय मिन पापिटि भाषा मावि

  • कारण हो पायों ने उन्हें बारमहा योगा। पुराउत्स्येत्ताओं

५. अनुमान है कि हामिल जाति प्रा समय हो चपरापता प्रारमुखी पीमिती राधा होमोवि बनाकर रखें ये। इनार ठरू विटे पेपेनार, रे मोरहार, प, बाण, सनरार पाकि बना मी पोर एक प्रकार का अपना बुनना भी पानते पे। २१, मोमें पौर मोजे मोड़ और पुर पार्षों का जान भी बहेपा। माय मग उ जदोन पापों की पम्पना खंका ए को विदेश में ऐमी नति पिप दिने में पार. निवासियोंहो मी fast fans त रह धो वर्ष पहले पिएस का मारा । योगी यात्रानुएनसांग f समय दक्षिा यापा, उपने ही रिया) प्रादासोपी। २. भाषा सियोंकीमाश। विरोप-यानि माया माहिती प्रयोग हमारकर 16 दिपा factt पर MIT मा रिसे ता पाने है। safi an