पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४१४

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ना. तामिल लिपि वाम्रफल उच्चारण एक ही सा है। क, ख, ग, घ, चारों का उच्चारण ताम्रकी -संशा श्री० [सं०] पश्चिम के दिग्गज मंजन की पत्नी। एक ही है। व्यजनो के इस पभाव के कारण जो संस्कृत अंजना। शब्द प्रयुक्त होते हैं, वे विकृत हो जाते हैं, जैसे, 'कृष्ण' शब्द ताम्रकार-संघा पुं० [सं०] तांबे के बरतन बनानेवासा । तमेरा। तामिल में "किंट्टिनन' हो जाता है। तामिल भाषा का प्रधान ताम्रकुट-सपा पुं० [सं०] दे० 'ताम्रकार' [को॰] । ग्र थ कवि तिरुवल्लुवर रचित कुरल काम्य है। ताम्रकूट-सबा पुं० [सं०] तमाकू का पेड़ या पौधा । तामिल लिपि-सजी० [हिं० तामिल + सं० लिपि ] एक प्रकार विशेष-यह प्राब्द गढ़ा हुमा है पौर कुलावणं तंत्र में पाया है। की विपिविशेष । ताम्रकृमि-सक्षा पुं० [सं०] बीर पहूटी नाम का कीड़ा। विशेष-यह लिपि मद्रास अहाते के जिन हिस्सो में प्राचीन प्रथ- ताम्रगर्भ-सचा पुं० [सं०] तुस्थ । तूतिया । लिपि प्रचलित थी वहाँ के, तथा उक्त महाते के पश्चिमी तट भर्थात् मलावार प्रदेश के तामिल भाषा के लेखों में ई० स० ताम्रचूद-सपा पु० [सं० ताम्रचूड ] १ कुकरौंषा नाम का पोषा। की सातवी पताम्दी से बराबर मिलती चली पाती है। २ मुरगा । उ०-दूर बोला ताम्रचूड गभीर, क्रूर भी है काम निर्भर धीर। साकेत, पृ. १९५। ('तामिल' शब्द की उत्पत्ति देश पोर जातिसूचक 'मिल' ( द्रविड ) शम्द से हुई है। (दे० भारतीय प्राचीन लिपि तानचूड़क-सश ई० [सं० ताम्रचूडक हाथ को एक मुद्रा [को०] । माला, पृ० १३२ ।) ताम्रता-समा सी० [सं०] तौवे जैसा लाल रंग [को०] 1 वामिन-सका पुं० [सं०] १ एक नरक का नाम जिसमें सदा घोर ताम्रतुंड-सपा पुं० [सं० ताम्रतुण्ड] एक प्रकार का बदर (को०] । अधकार बना रहता है । २ कोष । ३. ४ एक विद्या ताम्रपुज-सज्ञा पुं० [सं०] पीतल [को०] । का नाम । भोग की इच्छापूर्ति में बाधा पड़ने से जो क्रोध ताम्रदुग्धा-सहा खी० [सं०] गोरखदुवी। छोटी दुदी। ममर उत्पन्न होता है उसे तामिस्र कहते है। -(भागवत )। ५ सजीवनी। घृणा (को०) 1७ एक राक्षस (को०)। ताम्रद्र--सहा पुं० [सं०] बालचदन [को०] । तामो-सचा सौ. [सं०] दे तामि' [को०)। ताम्रद्वीप-सक्षा पुं० [सं०] सिंहल । लका [को०] । तामी--सहा बी० [हिं० तावा] १ तवे का तसला । २. द्रय पदार्थो को नापने का एक घरतन । ताम्रधातु - सच्चा 'पुं० [सं०] १ लाल खडिया । २. तांबा (को॰) । तामीर-सबा ली. [म.] निर्माण बनाना । रचना । इमारत ताम्रपट्ट-सपा पु. (स०] ताम्रपन्न । का निर्माण । पास्तुक्रिपा । ३ सुधार । इस्लाह । ४ इमारत। ताम्रपत्र --समा पुं० [सं०] १ तांबे की चद्दर का एक टुकड़ा जिसपर भवन बनावट [को०] । प्राचीन काल में मकर खुदवाकर दानपत्र मादि लिखते थे। २ यौ०-तामीरे कोम=(1) राष्ट्रनिर्माण। ( जाति का तावे को चदर । ताँबे का पत्तर । निर्माण। कौम या जाति का सुधार । नीर मुल्क = ताम्रपर्ण-सबा पुं० [सं० ताम्र+पणं] लाल रंग का पत्ता । - राष्ट्रनिर्माण । साम्रपणं पीपल , रातमुख भरते चचल स्वरिणम निझर ।- तामीरी-वि० [हिं० तामीर + ६ (प्रत्य॰)] इस्लाही । मनात्मक माम्या, पृ०६३। [को०] । ताम्रपर्णी--सहा सी० [सं०] १ बावली। तालाब। २ दक्षिण देश तामील-सभा श्री [म.] १ (आज्ञा का ) पालन । जैसे, हुकम की एक छोटी नदी जो मदरास प्रात विनवल्ली जिले से की सामील होना। होकर बहती है। यौ०-तामीले हुक्म = प्राज्ञा का पालन । विशेष—इसकी लवाई ७० मील से लगभग है। रामायण, महा- क्रि०प्र०-करना ।--होना । भारत तथा मुख्य मुरुप पुराणों में इस नदी का नाम पाया २. किसी परवाने, सम्मन या वारंट का विध्यादन (को०)। है। अशोक के एक शिलालेख में भी पसनदी का उल्लेख है। तामेसरी-सका श्री [हिं० तांबा] एक प्रकार का तामा रग जो टालमी मादि विदेशी लेखकों ने भी इसकी चर्चा की है। गेरू के योग से बनता है। ताम्रपल्लव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अशोक वृक्ष । ताम्मुल-सज्ञा पुं० [अ० तमम्मुल ] सोच विचार। असमरस । ताम्रपाको--रा पु० [स० ताम्रयाकिन्] पाकर का पेड़। उ.-हजूर, इन जरा जरा सी बातो पर इतना सा ताम्मुख ताम्रपात्र--सा पुं० [सं०] तांबे का बरतन, किो। करेंगे तो काम क्योंकर चलेगा ?-- श्रीनिवास ग्र०, पृ०५०। ताम्रपादी-सक्षा श्री० [सं०] हसपदी । लास रग को लमालू । ताम्र-स . [सं०] १ तावा । २ एक प्रकार का कोढ़। ताम्रपुष्प-सा पुं० [सं०] लाल फूस का कचनार । अजना या तांबिया लाल रग (को०)। ताम्रपुष्पिका-सच्चा औ० [स०] लाल फूल की निसोत । ताम्र-वि० १. तरिका बना हुमा। २. तांबे के रंग का तांबे ताम्रपुष्पी-सज्ञ श्री. [सं०] १. पातकी । घव का पेड।२ पाटन । पैसा [को०] । पाड़र का पेड़। पुं० [सं.] तारा। साम्रफल-यडा पुं० [सं०] अंकोल वृक्ष । टेरा। वेरा ।