पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४५

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जनो १६८८ जन्मपत्री (ख) तृण के सथान धनधाम राज त्याग करि पाल्यो पितु जन्मकील-सभा [सं०] विष्णु । पचन जो जानत जनया है ।-पद्माकर (शब्द०) (ग) जो विशेष-पुराणानुसार विष्णु की उपासना करने से मनुष्य का मायसु पब होह स्वामिनी ल्यावह ताहि लेवाई। योगी धावा मोक्ष हो जाता है और उसे फिर जन्म नही लेना परता। चहो पनया यस्ले कुँवर सुखदाई।-रघुराज (शब्द॰) । इसी से विष्णु को जन्मकोल कहते हैं। जनो -सया पु० [हिं० जनेऊ ] दे॰ 'जनेऊ । जन्मकुडली-शा खी० [१० जन्मकुण्डली ] ज्योतिष के अनुसार जनो-कि० वि० [हिं० जानना ] मानो। गोया। उ०--(क) वह चक्र जिससे किसी के जन्म के समय में ग्रहो की स्थिति तेही जनो पतिदेवत के गुन गौरि सर्व गुनगौरि पढाई।- का पता चले। मति० म०, पृ० २७५ (ख) कुकुम मडित प्रिया वदन जनो जन्मकृत-सक्षा पुं० [सं०] पिता । जन्मदाता । रजित नायक ! -नद० प्र०, पृ. ३९ । जन्मक्षेत्र-सक्षा पु० [सं० ] जन्मभूमि । जन्मस्थान [को०] । जनोपयोगी-वि० [सं० जनोपयोगिन् ] जनसाधारण के व्यवहार जन्मगत-वि०म० जन्म+गत जन्म से ही प्राप्त । जन्मना प्राप्त या उपयोग की। को। जनौ-क्रि० वि० [हिं० जानना] मानो। जनो। उ०-(क) जन्मग्रहण-सज्ञा पुं० [सं०] उत्पत्ति ! जय मा चेत सठा वैरागा। बाउर जनी सोइ उठि जागा।- जन्मजात-वि० [सं०] जन्म से ही प्राप्त या उत्पन्न । जायसी (शब्द॰) । (ख) नर तो जनौं अनुत ही पगे।- जन्मतिथि-सक्षा म्ही० [स०] १. जन्म की तिथि । जन्मदिन । नद००, पृ. २३२ । (ग) उन तेग कही । जनो बज २. वर्षगांठ। टट्टी।-पृ० रा०,१०१२० ।। जनौघ-सा पुं० [सं० जन+प्रोष ] भीड । जनसमूह [को० । जन्मतुमार-वि० [हिं० जन्म + तुना (प्रत्य॰)] [वि० बी० ___ जन्मतुई ] थोड़े दिनों का पैदा हुमा । नवोत्पन्न । दुधमुहाँ । जन्नत-सन पु० [१०] १ उद्यान । वाटिका । बाग 1 २ विहिश्त । स्वर्ग। देवलोक। उत्तम लोक । उ०-हमको मालूम है जन्मद्-वि० [सं०] ३० 'जन्मदाता' । जन्नत की हकीकत लेकिन । दिल के खुश रखने को गालिब जन्मदाता-सचा पुं० [सं० जन्मदातृ ] [खी. जन्मदात्री ] जन्म ये खयाल अच्छा है। -कविता को०, भा० ४, पृ० ४७४ । देनेवाला । पिता को। (ख) जन्नत से फढ़या दिया शुरू में ही बेचारे प्रादम को। जन्मदात्री-सहा स्त्री॰ [त. ] जननी । माता [को०] -धूप०, पृ०७३। जन्मनक्षत्र--सहा पुं० [सं०] जन्म समय का नक्षत्र ।। तन्नती-वि० [म.], स्वर्गवासी। स्वर्गीय । २ सदाचारी। विशेष--फलित ज्योतिष के अनुसार किसी को अपने जन्मनक्षत्र पुण्यारमा । स्वर्ग के योग्य [को०] । में यात्रा न करनी चाहिए और हजामत न बनवानी चाहिए, जन्म-सज्ञा पुं० [सं० जन्मन् ] १. गर्भ में से निकलकर जीवन उस दिन उसे कुछ दान पुण्य प्रादि करना चाहिए । धारण करने की क्रिया । उत्पत्ति । पैदाइश । जन्मना'-क्रि० स० [स. जन्म हि० ना (प्रत्य॰)] १ जन्म यी०-जन्मांध । जन्माष्टमी । जन्मतिथि । जन्मभूमि । जन्मपंजी लेना । जन्म ग्रहण करना । पैदा होना। २ आविर्भूत होना । जन्मपत्री । जन्मरोगी । जन्मदिवस = जन्मदिन । जन्म- अस्तित्व मे माना। फुरली। जन्ममरण । जन्मदाता। जन्मदात्री। जन्मनाम । जन्मलग्न, भादि। जन्मनारे-क्रि० वि० [सं० जन्मन् का करण कारक ] जन्म से। जन्म द्वारा। पर्या०-जनु । जन । जनि । उभव । जनी । प्रभव । भाव । भव । सभय । जनू । प्रजनन । जाति। जन्मनाम-समा० [सं० जन्मनामा ] जन्म के १२ वें दिन रखा कि०प्र०-देना 1-धारना -लेना। गया नाम [को०] 1 मुहा०-जन्म लेना-उसन्न होना । पैदा होना । जन्मप-सचा पुं० [सं०] १ फलित ज्योतिष में जन्मलग्न का २ पस्तिश्व प्राप्त करने का काम । प्राविवि । जैसे,----इस वर्ष स्वामी । २ फलित ज्योतिष मे जन्मराशि का स्वामी। कई नए पत्रों ने जन्म लिया है । ३ जीवन । जिंदगी। जन्मपति-सज्ञा पुं० [सं०] १. कुडली में जन्मराशि का मालिक । मुहा०-जन्म बिगड़ना=बेधर्म होना। धर्म नष्ट होना। जन्म २. जन्मलग्न का स्वामी।। विगाहना=(१)अशोभन पोर मनुचित कामों में लगे रहना। जन्मपत्र-सहा . [सं०] १ जन्मपत्री। २ जन्म का विवरण। (२) दे० 'जम्म हारमा'। जन्म जन्म - सदा। नित्य । जीवनचरित् । ३ किसी चीज का प्रादि से मत तक जन्म जन्मातर-सदा । प्रत्येक जन्म में। जन्म में थूकना- विस्तृत विवरण। घृणापूर्वक धिक्कारना। जन्म हारना = (१) व्यर्थ जन्म जन्मपत्रिका-सचा त्री० [सं०] जन्मपत्री! खोना । (२) दूसरे का दास होकर रहना। जन्मपत्री-सा श्री [सं०] यह पत्र या खर्रा जिसमें किसी की ४ फलित ज्योतिष के अनुसार जन्मकूरली का वह लग्न जिसमें उत्पत्ति के समय के ग्रहों की स्थिति, उनकी दशा, अंतर्दशा, कुडप्तीवाले जातक का जन्म हुमा हो। मादि पोर फलित ज्योतिष के अनुसार उनके फल मादि जन्मभष्टमी-पक्षी० [सं० जन्माष्टमी] दे॰ 'जन्मामी' । दिए हों।