पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४६

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जन्मपादप १६८ जन्यु जन्मपादप-सशा पुं० [सं०] वशवृक्ष (को०)। जन्मप्रतिष्ठा-सबा बी० [सं०] १ माता। मा। २ जन्म होने का स्पान । जन्मभ-संज्ञा पुं० [सं०] १ जन्म समय का लग्न । २ जन्म समय का नक्षत्र । ३. जन्म की राशि। ४ जन्मनक्षत्र के सजातीय नक्षत्र प्रादि। जन्मभाषा-संवा स्त्री० [सं०] जन्म की भाषा । मातृभाषा [को०)। जन्मभूमि-संशा श्री. [सं०] १ जिस स्थान पर किसी का जन्म हमा हो । जन्मस्थान । २ वह देश जहाँ किसी का जन्म हमा हो। जन्मभृत्-सझा पुं० [स] जीव । प्राणी।। जन्मयोग-सबा पुं० [सं०] जन्मपत्रिका । जन्मकुडली को०। जन्मराशि-सका श्री० [सं०] वह लग्न जिसमे किसी के उत्पन्न होने के समय चद्रमा उदय हो। जन्मरोगी-वि० [सं० जन्मरोगिन् ] जन्म से हए । जन्म से ही रोगग्रस्त [को॰] । जन्मलग्न--संशा पुं० [सं०] दे० 'जन्मगशि' [को०] । जन्मवर्म-समापुं० [सं० जन्मदत्मम् ] योनि । भग। जन्मविधवा-सा स्त्री॰ [सं०] वह स्त्री जो क्वपन मे विवाह होने पर विधवा हो गई हो और अपने पति के साथ जिसका सपर्क न हुमा हो । प्रक्षतयोनि विधवा । जन्मवृत्तांत-सज्ञा पुं० [सं० जन्म+वृत्तात ] दे० 'जन्मपत्र' । जन्मशोधन-सचा पुं० [म] जन्म से ही प्राप्त ऋणी या कर्तव्यो का परिशोषन को०] 1 जन्मसिद्ध-वि० [सं० जन्म + सिद्ध1 जिमकी प्राप्ति जन्म से ही सिद्ध या मान्य हो । जैसे,-स्वतत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधि- कार है । 30-बन जन्मसिद्ध गायिका, तन्वि, मेरे स्वर की रागिनी बह्नि:-अपरा, पृ० १७७।। जन्मस्थान-सचा पु० [सं०] १ जन्मभूमि । २ माता का गर्भ । ३ कुडली में वह स्थान जिम में जन्म ममय के ग्रह रहते हैं। जन्मांतर-सक्षा पुं० [सं० जन्मान्तर ] दूसरा जन्म । अन्य जन्म । उ.--कारन ताको जानिए सुधि प्रगटी है भाव । जन्मावर के सखन की जो मन रही समाय ।-कुतला, पृ० ८२ । यो-जन्मातरवाद -पुनजन्म सवधी विचारधारा । जन्मांध-वि० [सं० जन्मान्व ] जन्म का प्रधा। जन्म से अया। जन्मा-सहा पुं० [सं० जन्मन् ] वह जिसका जन्म हो । जन्मवाला। जैसे,—द्विजन्मा, शूद्रजन्मा। विशेष-इस भर्थ में इस शब्द का व्यवहार प्राय समासात में होता है। जन्मा-वि उत्पन्न । जो पैदा हुपा हो। जन्माधिप-पज्ञा पुं० [सं०] १. शिव का एक नाम । २ जन्मराशि का स्वामी । ३ जन्मलग्न का स्वामी। जन्माना-कि- स० [हिं० जन्मना ] जन्मने का सकर्मक रूप । उत्पन्न करना । जन्म देना। जन्माष्टमी-तज्ञा स्त्री० [सं०] भादो की कृष्णामी, जिस दिन ग्राधी रात के समय भगवान श्रीकृष्ण चद्र का जन्म हुमा था। इस दिन हिंदु व्रत तथा श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव करते हैं। विशेष - विष्णुपुराण में लिखा है कि श्रीकृष्णचद्र का जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पहमी को हमा था। इसका कारण मुरुप चाद्रमास प्रौर गौण पाद्रमास का भेद मालूम होता है, क्योंकि जन्माष्टमी किसी वर्ष सौर श्रावण मास मे होती है। भौर किसी वप सीर भाद्र मास में होती है। जन्मास्पद-सझा पुं० [सं०] जन्मभूमि । जन्मस्थान । जन्मो'-सधा पुं० [सं० जन्मिन् ] प्राणी। जीव । जन्मो-वि० जो उत्पन्न हुमा हो। जन्मेजय--सक्षा पुं० [सं०] १ कुरुवशी प्रसिद्ध राजा परीक्षित के पुत्र का नाम। विशेप--यह बड़ा प्रतापी राना था। इसने तक्षक नाग से अपने पिता का वदला लिया था और एक अश्वमेध यज्ञ भी किया था। वैशपायन ने इसे महाभारत सुनाया था। यह अर्जुन फा प्रपौत्र और मभिमन्यु का पौत्र था। २ विष्णु । ३ एक प्रसिद्ध नाग का नाम । जन्मेश-मश पुं० [ 0] जन्मराशि का स्वामी। जन्मोत्सव-सहा पुं० [सं०] किसी के जन्म के स्मरण का उत्सव तथा नवग्रह, अचिरजीवी पौर कुलदेवता मादि का पूजन । बरसगांठ । २ जातक के छठे दिन या दारहवें दिन होनेवाला उत्सव या समारोह। जन्य'--सना पु०[सं०] [बी० जन्या] १ साधारण मनुष्य । जनसाधा- रण । २ किंवदती। अफवाह । ३ रा या किसी देश के वासी। ४. लढ़ाई। युद्ध । ५. हाट । बाजार । ६ निंदा । परिवाद । ७ बर । दुलह । ५. वर के संदधी जन । वर पक्ष के लोग। ६.बगती। १० जामाता । दामाद । ११. पूत्र । टा। उ०-भतुल अनुकुल सा अमल भला कौन है अन्य । प्रज जिसका जन्य तू धन्य धन्य ध्रुव धन्य ।--साकेत, पृ० २६३ । १२ पिता । १३ महादेव । १४ चेह। शरीर । १५ जन्म । १६ जाति। १७ जन्म के समय होनेवाला पाफुन या अप- शकुन (को०)। जन्य-वि०१ जन सबधी। २ जो उत्पन्न हुया हो। उद्त । ३ किसी जाति, देश, वश या राष्ट्र से सबध रखनेवाला । ४, दैशिक । राष्ट्रीय । जातीय। ५ साधारण। सामान्य । गंवारू (को०)। ६ (समासात मे) किसी से या किसी के द्वारा उत्पन्न । जैसे, तज्जन्य, दु नजन्य । जन्यता-सचा स्त्री० [सं०] जन्म होने का भाव । जन्या--सबा ली. [सं०1१ वधू की सहेली । २ वधू । ३ माता की सखी । ४. प्रीति । स्नेह । ५ सुख । मानद (को०)। जन्यु ---सहा पुं० [म.] १ पग्नि । २ ग्रहा। विधाता । ३ प्राणी। जीव । ४ जन्म । 'उत्पत्ति । ५ हरियश के अनुसार चौथे मन्वतर के सप्तषियो में से एक ऋषि का नाम ।