पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४६३

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२००७ तुहाना मचा- स्त्री० [सं० त्वचा] ३. 'त्वचा' । 30-माघे तन तुजवर.-सर्व० [हिं०] दे॰ 'तुम'। उ०-जिग्ने बाम डारा है तुज बांनी पदि माई। सपं तुचा घाती लपटाई।--पाकुला, कु, निसर गया उनका ध्यान जू ।-दस्पिनी०, पृ०१४। पृ० १३६1 तुजल-सर्व. [पं०] तुझे। तुझको। ३०-मैं तेडी लटकन ताgी--सहा पी० सुर] २० 'त्व' । उ-प्राखि नाफ विभ्या फंद्या क्या तुजन कौया ।-घनानंद, पृ० १०९। पुकाना । पाँचो इंद्री ज्ञान प्रधाना 1-स० दरिया, पृ० २६॥ तुजीह-शा भी• [हिं. ] धनुष । कमार। तुच्छ'–वि० [सं०] १ मीतर बाबी । खोबपा। नि सार। तुजक-सा पुं० [तु.तु ज्या । रावावट। २ प्रवष । शून्य । २ सुधा नाचोज । E-जिन्हें तुच्छ कहते हैं, व्यवस्था । इतिवाम | ३ सैन्य-सज्या । फौज की धरती। उनसे मापा स्पों, तस्कर ऐसा ?--साफत, पृ० ३८५। ३ ४ राषसपा की सजावट। उ०-भूपन भनत सही परषा मोथा। सोटा । नीच । ४ पल्प । योग।५ शीघ । उ.-- सिवानी गाबी, तिनको तब देखि नेकह नजरवा। भूपण छिन म सरवर तुच्छ बधु राजा रया सोह।-परेकार्थ- गं, पू०४४।३. पारमचरित् । जै, तुजुरु जहागीरी। पृ० १८ छोषाहमा। स्यक्त (को०)। गरीव । दति (को०) 10. दयनीय । दुषी (को०)। तुम-प. [मा.] 'तू पम्प का वहम जो उसे प्रयपा पौर षष्ठो के अधिरित पौर विधक्तिपा पगने के पहले प्राप्त तुच्छ ---सधपु. १ मारपीन छिचका । भूगी। २. ठिया। ३. होता। जैसे, तुम्को , तुम, तुझपर, मुझमें । नौज का पौधा। तुच्छ'-..बापौरपरेबापरस्तपा पन्या तुम एवम] 'ह' कापौर रंप्रदायरा वो शूद्र या बिन कोटि का माषा पाता है। तुझम-० [हिं०] बारा । रा । पावर मुहिद मिया, तुम्छक ---वि० शून्य । बापी। रित [को०)। सुपरिसर र तुभम |--डोपा., ०४। तुचाता-थानीसं०] १औषसा रोषहा। २ भोछापन। तुटकु-वि० [• त्रुट (-टूटपा) ] रहा। धमार । परापा। सुदवा। पल्पता तटना@कि०प० [हिं]. 'सूटना' 100--तुते बस पारी । तुच्छड्य-वि० [सं०] बयाशून्य । मिदंप (को०] ! घर में विद्यारी। परे भूपि पान । पर कुट पान ।-पु. रा०, तुचना-वि० [सं०६षण चीनशा काटया । हरापना । 30--पहचान तुच्छ तर पहिप ।-प० रा. १०२७। सटि-सा मौ• [सं०] छोटी इलापपी को०] । तुच्छरव-- • [सं०] १ बीता । क्षुद्रता । २ मोटापन। तुटितुट-मा पुं० [सं०] शिव । तुच्छद्र-- . [सं.] रेंह का पेष्ठ ।। तुटुम-सका पुं० [सं०] मूपक्ष । मूस । पक्षा [को०] । तुच्छधान्य-सका पु० [सं०] सौ । तुप [को०] ! तुनाल-वि. म. [हिं० टना] २० 'तूटचा' | 5०-वरिया वषि किय मथन मोम फट्टिय षह सुट्टिय ।—पृ. रा०, १ RI तृवधान्यक-शा पुं० [सं०] भुसी । तुस। तटठना@'--कि.. [१० तुट, मा० तुट्ठ+8 (परय०)] तट तुच्छप्राय-वि० [सं.] मास्वोन (को०] । करमा । प्रसव करपा । राबोरया । तुच्छात-वि० [सं० +वित्त] तुन्छ। पपरस्प! 10-- कसौ इक प्ररिक भए तुम तिनमै हुन्छमित-व्रज प्र., तुनाल-कि.पर होना । प्रसन्न होना । रापोहोमा । १० ११० तठना--फि०प० [हिं. दे० 'वा' । उ.---स्नेह सठी राजा हुमा--ज्ञा . [सं०] 1 मीर का पौधा । ३ तूतिया। । पौषगी मेलही।-धी० रासो, पु.४८ । गुजराती इलाया। छोटी बचापचो। . रुष्ण पक्ष की तुस्ताँण-कि. वि० [सं०वरित] बीघ्र । १०-पबई माधोन पतृदंपी सिपि (को०)। पास रो, सिण वेद्या प्राण-रा०.०, पृ.१७ तुम्बातितु-वि० [सं० छोटे छोटा । पत्यंत हीन । प्रत्यंत क्षुः। तस्या- साहिवामा] ३० तुकाई तुध्दीकरण-पंज्ञा पुं० [•तुच्छ] तुच्छ होघे पाक की क्रिया तहबाना--वि.स. [हिंगोमा काप्रे.प] होरका काम पा पाय। परामा । चोरी में प्रवृधरना । वोड़ने देना। तुमोकत-०ि [सं० तुच्छ हुन्छ किया था। उ०-समस्त ताई-सका बी• [हि. तुकारा १ सुमारे को किया पा पाव । पागों को तुच्छौ कृत रवा-प्रेमघम०, भा०२, पृ० १०६1 २ सोडने की क्रिया या पाव।। तोपने को मजपूरी। तुच्छय--वि० [सं०] रिता शून्य । पर्ष [को०] । तुड़ाना--कि. स० [हिं० तोरमे का.प . मोड़ने का काम तुष -वि० [सं० तुच्छ २० सुच्छ'। उ०-तुछ बुद्धि भट्ट देखत कराना । तुरवाना। २ बंधी Bई रस्सी प्रादि को तोड़ना। मुल्यो कवि सुभति को का वरन (-पु० स०, ६६५ । बधन छुड़ाना । जैसे,-घोड़ा रस्सी तुवाकर भागा । ३. मग ' तुज'-वि० [सं०] दुष्ट । कष्टप्रद [को०)। करना। सबंध तोडना । जैसे, बच्चे को मां से तुड़ामा । ४. एक तुज-संज्ञा पुं० दे० 'तुज' को०] । बड़े सिक्के को बराबर मूल्य के कई छोटे छोटे सिक्कों से