पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५६१

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२२०४ पंवार एफला-संत्रा पुं० [फा. दफ़ या दफल] दे० 'रफ'। उ०-बैंड 'दाव'। 30-कहा करों कछु बनि नहिं भावे पति गुरजन से लेकर दफले मौर सिंहे तक सभी प्रकार के वाजे थे। की दव री-घनानद, पृ०५३३ । -काया०, पृ. ५७५। यौ०-दवगर। का-संवा सौ० [म. दफ़ मह ] १ बार। वैर । जैसे,—(क) हम ।-(क) हम दुवक-सम्छा स्त्री० [हिं० दवकना] दवने या छिपने की क्रिया या त तुम्हारे यहा कल दो दफा गए थे। (ख) उसे कई वफा भाव । २ सिकुडन । शिकन । ३. पात पादि को लवा करने समझाया मगर उसने नही माना ! २ किसी कानूनी किताब के लिये पीटने की क्रिया। का वह एक अंश जिसमें किसी एक अपराध के सबंध में यौ०-दवकगर। अवस्था हो । धारा। भुदा-दफा लगाना-अभियुक्त पर किसी दफा के नियमो को त्वकगर-वधा पुं० [हिं० दवा+गर (प्रत्य०)] दयका (तार) घटाना । अपराध का लक्षण आरोपित करना। जैसे-फोज- बनानेवाला। दारी में माज उसपर चोरी की दफा लग गई। दवकना-क्रि० स० [हिं० दवना] १ भय के फाररा किसी संकरे ३. दर्जा। क्लास । श्रेणी। कक्षा। उ.-किस दफे में पढ़ते हो स्थान मे छिपना । डर के मारे छिपना । जैसे,(क) कुत्ते भैया ?-- रगभूमि, भा॰ २, पु. ४६६ । को देखकर बिल्ली का बच्चा पालमारी के नीचे दबक रहा। दफार-वि० [अ० दफमहादूर किया हुप्रा हटाया हुमा । तिरस्कृत। (ख ) सिपाही को देखकर चोर कोने में दवक रहा। २ पैसे,—किसी तरह इसे यहाँ से दफा करो। लुकना। छिपना । जैसे,-शेर पहले से ही शादी में दवका मुहा०-दफा दफान करना= तिरस्कृत करके दूर कराना बैठा था, हिरन के भाते ही उसपर झपट पड़ा। या हटाना। क्रि० प्र०-जाना ।—रहना । दुफादार-संक्षा पुं० [अ० दफाह.(समूह)+फा० दार] फोज का दबकना-फि० स० किसी धातु को हथौड़ी से चोट लगाकर __ वह कर्मचारी जिसकी अधीनता में कुछ सिपाही हों। बढ़ाना या पोडा करना । पीटना । विशेष-सेना में दफादार का पद प्राप पुलिस के जमादार के दबकनारे-क्रि० स० [सं० दर्प?] डौटना। पटना। पुरकना। पद के बराबर होता है । उ०-दकि दवोरे एक, वारिधि मे दोरे एफ, मगन मही में दफादारी-सदा की• [हिं० दफादार+ई (प्रत्य॰)] १ दफादार का एकागगन उहात हैं।-तुलसी (शब्द०)। पद । २. दफावार का काम । दुबकनी-सक्षा स्त्री० [हिं० दवना] भाथी का वह हिस्सा जिसके दफीना-सहा पु०म० दफीना] गडा हुमा धन या खजाना। द्वारा उसमें हवा घुसती है। दफ्तर-सक्षा ० [फा० दफ्तर ] १ स्थान जहाँ किसी कारखाने दबकवाना-क्रि० स० [हिं० दबकना का प्रे० रूप] दबकाने फा मादि के सबध की कुल लिखा पढ़ी भोर लेन देन प्रादि हो। काम किसी दूसरे से कराना। दूसरे को दवकाने में प्रवृत्त आफिस । कार्यालय । २ बड़ा भारी पत्र। लंबी चौडी चिट्ठी। करना। ३ सविस्तर वृत्तात । चिट्ठा। दधका-सहा पुं० [हिं० दबकना (-तार मादि पीटना)] कामदानी दफ्तरी-सहा पुं० [फा० दफ्तर] १. किसी दफ्तर का वह कर्मचारी का सुनहला या पहला चिपटा तार । जो वहाँ के कागज आदि दुरुस्त करता मोर रजिस्टरों मादि दबकाना-कि० स० [हिं० दवाना का सक० रूप] १ छिपाना । पर रूल खींचता पथवा इसी प्रकार के और काम करता हो। बकाना- ढाकना । माड़ मे करना । २ ढाँटना।-(क्व०)। २ कितावो को जिल्द बांधनेवाला जिल्दसाज। जिल्दबद। यौ०-दपतरीखाना। वकी-सचा त्री० [देश॰] सुराही की तरह का मिट्टी का एक बर्तन जिसमें पानी रखकर चरवाहे मोर खेतिहर खेत पर ले जाया दफ्तरीखाना-सपा पुं० [फा० दफ्तरीखानह ] वह स्थान जहाँ करते हैं। कितावो की जिल्द बंधती हो अथवा दफ्तरी वैठकर अपना दवकी--सक्षा सौ. [हिं० देवकना ] दवकने या छिपने की क्रिया काम करते हो। या भाव। दपती-सद्या स्त्री० [५० दफ्तीन] दे० 'दफती' । मुहा०-दवको मारना=छिप जाना । अदृश्य हो जाना । दफ्तीन-सचा सी० [म.] दपनी (को०] । दबके का सलमा-सभा पुं० [२] धमकीला सलमा । दवके का बना दयग-वि० [हिं० दवाव या दवाना ] प्रभावशाली1 दबाववाला।' हमा सलमा जो बहुत चमकीला होता है। जिसका लोगो पर रोवदान हो। जैसे,--वे बड़े दवग मादमी हैं, किसी से नही डरते। दवकैया-सा पु० [हिं० दवकना+ ऐया (प्रत्य॰)] सोने चांदी के वगपन-सा पुं० [हिं० दपय+पनी दवदवा । रोवदाव । त- तारो को पीटकर बढ़ाने, चपटा मोर चौड़ा करनेवाला। चाहिए कुछ दबंगपन रखना। दव बहत दाब मे न पाएँ हम । दवकगर। -चुभते०, पृ० ३६। दवगरक्षा पुं० [देश॰] १ ढाल बनानेवाला। २. चमड़े के फूप्पे व-सभा सी० [हिं. दबना] बडो ने प्रति सफोष या भय । दे. बतानेवाला । .