पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/८७

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जयत धाव धीर व पूसरे पैर के अंगूठे से बैंत को पकडकर नीचे की जाँत-सहा पुं० [सं० यन्त्र माटा पीसने की बडी पक्की। जांता। प्रोर सिर करके लटक जाते हैं। उ.-धरती सरग जांत पट दोक । ओ तेहि विच जिव राख जाँधिला'-- पुं० [हि. जांघ ] वह वैल जिसका पिछला पर न कोक । --जायसी पं०, पृ०६३। . पाली में मप पाता हो। जाँता-सा पु. ० यन्त्र]१. पाटा पीसने की पत्थर की परी जॉपिता-पि.जिसका पर चलने में लच खाता हो। चक्की जो प्राय: जमीन में गडी रहती है। जाषि -शा पुं० [देश॰] १ खाकी रंग की एफ विडिया। मि०प्र०-चलाना। -पीसना। विशेष-सकी गरदन लंबी होती है । इसका मास स्वादिष्ट २ सुनारों पौर तारकडों भादि का एक औजार । होता है और उसी के लिये इसका शिकार किया जाता है। विशेष-यह इस्पात या फौलाद लोहे की एक पटरी होती है २ प्राब. एकपालिस्त लंबी एक प्रकार की छोटी चिहिया । पिसमें क्रमश बढे छोटे अनेक छेद होते हैं। उन्ही में कोई धात बिशेष-इसकी छाती पोर पीठ सफेद, पर काले, घोंप और सिर की पत्ती या मोटा तार प्रादि रखकर उसे खींचते खींचते लया पीता, पैर पाकी भोर दुम गुलाबी रंग की होती है। पौर महीन तार बना लेते हैं । इसे जती भी कहते हैं। जार- सी-ft. चना] १. जाँचने की क्रिया या भाव । परीक्षा। जोर-संश [देश॰] एक प्रकार के पेह का नाम । परखा इम्तहान भाजमाइश । २ गवेषणा । तहकाकात। जान -सहा सी०सं०ज्ञान 1 ज्ञान । जानकारी। उ०-लखे बोल- तास-खोज के साथ किसी बात का पता जीव जेते सु फेते जिहाँन । भ्रमै जत्र सत्र सु पावै न जानं । पानाहानबीन । -ह० रासो, पृ० ३५ । जॉपsto- म० याचक दे० 'जाचक' या 'याचक' । उ०- उ.- जॉन-सज्ञा पुं० [सं० थान ] गमन | जाना। पांच बाधक कह जाँचे ? जो जाँचे तो रसना हारी:- यो-श्राधाजॉन सावायमन । उ०--त्रिवेणी कर असनान । प५१०३४॥ तेरा मेट जाय मावाजान । -रामानद०, पृ०६। जाप - बी[सं० याचकता ] दे. 'जाचकता' या 'माता' - ( क ) जेहि जाँचत जाँचकता जरि जाइ जाना जान13-सहा स्त्री० [सं-पान, यात्रा ] बारात । १०-दावन दीवारति बोर जहानहि रे । -तुलसी ( शब्द.)(ख) बैसाख पर सोहे जान ससोह। -रा०६०, पू०.३४७ । सुचीमता दुसी इनके दुख औचकता अकुलानी । -तुलसी जॉपना-क्रि० सं० [अप० पंप, पप्प ] दे० 'पापना'। जॉपनाहा-सहापु० [फा० जहाँपनाहJ2'जहाँपनाह'। जापानी [हिं० जांचक + साई (प्रत्प०)] दे० जाँब -सहा पुं० [ सं० जम्बा ] अबू फल । जामुन । जाम । ३०-(क) काह गही मम की डारा। कोई बिरछ जाँच जॉचना-किस० [सं० याचना 1१ किसी विषय की सत्पता या पति छारा। --जायसी (शब्द०)। (ख) श्याम जांच असत्यता अथवा योग्यता या अयोग्यता का निर्णय करना। कस्तूरी पोवा । मब जो ऊंच हृदय तेहि रोवा।-जायसी सत्यासत्यपादिका अनुसंधान करना। यह देखना कि कोई (शब्द०)। - बीज ठीक हैया नहीं। जैसे, हिसाब जचिना, काम जाँचना । जाजरशी-समालीका०1 प्राणदान । जीवनदान । उ०-हवर संयो० क्रि०-देखना। -रखमा । -डालना। यह गुलाम का लड़का है। हजूर इसकी जांवरूशी करें, हतूर २. किसी मात के लिये प्रार्थना करना । मांगना। उ०-(क) फा पुराना गुलाम हूँ! -काया. पु० १६५ । जिन जांच्यों बाइ रस नंदराय ठरे । मानो बरसत मास प्रसाढ़ जॉबाल-वि० [फा० जाँबाज प्राण निछावर करनेवाला। जान बादुर मोर रे1-सूर (शम्ब० ) । (ख) रावन मरन की बाजी लगा देनेवाला। साहसी। उ०-जिसके लिये मनुज कर जीवा। प्रभु विषि बचन कीन्ह वह साँचा।- तुलसी (शब्द.)। (ग) यही उदर के कारने जग जांच्यो जौवाज है परवानए बेखौफ। --कधीर म०, पृ० ४६७ । निसि याम । स्वामिपनो सिर पर चढयो सरयो म एको काम । जापाजो--संहा बी० [फा• जाँबाजी] जान की बाजी। प्राणों -पीर ( शम्द०)। का पौष । साहस । उ०-पै एतो है हम सून्यो, प्रेम अजूबो जाजरा -वि० [सं० अर्जर, प्रा. जउजर ] [वि०सी० जाबरी] स। जांबाजी पानी जहाँ, दिल का दिल से मेल ।- वो बहुत ही पीएं हो। अर्जर। बीऐ शीणे । 30-लाग्यो रसखान, पृ. ११ यह दोष में रोष है। धनुष तोरी ऑपरी, पुरानो होम बाय -वि० [सं० यमल) दो। दोनों। उ.-भूप द्वार प्रसन्न जानो गयो काम सो।-नुमान (शम्द०)। भारी, हेमराज जामल हितकारी।-रा०४०, पृ. ३१५। जॉमg-ta.[. का ] पह पर्वा यिसमे पाप व हवा जामी-वि० [प्र.पा ] मुनासिब । वाजिय । उचित । भी हो। बी०- पेजा। जॉमाल- [है.कम्मा ] ३० 'काम'। पिव -मष्य. [सं०वाब, हिं०, धावत ] दे॰ 'यावत' 130- जाट-स. नेश ] एक प्रकार का पेड़ जिसे रिया भी कहते है। जषित मग साक्षा पन बांक्षा। जावट केस रोम पखि पांसा।