पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/९७

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जानुपाणि बावर जानुपाणि-कि वि० [सं०] घुटरुषों । पैया पैयाँ । घुटनो पोर जापानी-वि० जापान का। जापान का बना । जैसे, जापानी हाथों के पल ( चसना जैसे बच्चे चलते हैं)। दियासलाई, जापानी भाषा। जानुपानि-क्रि०वि० [सं० जानुपाति] दे० 'प्रानुपाणि'130- जापिनी-वि० [हिं०] जपनेवाली। उ०-बीर बधू ही पापिनी (क) जानुपानि धाए मोहिं धरना । श्यामन भात, मम कर पीर पपू हरि लहि। और पीर कहाँ जापिनी पीर पपीहा परना । -तुलसी (शर०) (स) पोम मंगुलिया सनु देहि ।-स० सप्तफ, पु० २३४ । पहिराई । जानुपानि विचरन मोहि माई |-तुमसी (पन्द०)। जापी-वि०, सधा पुं० [ से० जापिन् ] जाप । पप करनेवाना। (ग) राबत सिंधु रूप राम सकन गुन निकाय धाम, कौतूकी उ.-माधव तू मोते पौरन पापी । लपट धूत पूत इमरी की कृपालु अझ षानुपादि चारों 1-तुलसी (पन्द०)। विषय जाप को जापी -सूर० १ ११४० . जानुप्रहतिक-सशा पुं० [सं०] मल्ल युद्ध या कुश्ती का एक ठन जाप्य-वि० [सं०] (मर या स्तुति) जप करने योग्य [को०] । जिसमें घुटनों का व्यवहार विशेष होता था। जाफ-ससा पुं० [५० जाफ, जो' फ] १ बेहोशी। २ घुमरी। जानुफलक-स० [सं०] घुटने की वह हट्टी जो जांघ पौर मछ। ३ थफाट । शिथिलता। निर्वतता। पिंडनो को घोड़ती है [को०] । कि.प्र०--पाना :--होमा। जानुमंडल-मया पुं० [सं० षानुमरहन ] दे० 'पामुफतर'। जाफव-स्था मी [4. बियाफन ] मोम । रावत । जाना-सज्ञा पुं० [सं० भानु+हिं• वो (प्रत्य॰)]-रोग भो क्रि०प्र०-करना। -होमा ।-साक्षा-खिवावा । --देना । हाथी के भयले पिछले पर बोयाम होता है भोर दिसमें जाफरान-सबा पुं० [.बारा].सर । २ अफगानिस्तान भी कभी घुटने की हड्डी हमर पाती है। कीएर तातारी बाति। जानबिजान-समी प० [सं०] तलवार के २२ हाबों में से एक। जाफरानी-वि० [५. चाफ़राधी भसरिया। केसर के रस का । जान--पहा पु० [फा० जासू ] जघा । जाप । केसर का सा पीला । बैठे, माफरानी रम, .बाफरानी जानोप्रख्य० [हिं० बावना ] मानो। पैसे । ऐसा पार पड़ता जाफरानी तथा-क'[प० पाफगनी+हि. ता] पीलापन जान्य-सहा पुं० [सं०] हरिवंश के अनुसार एक ऋषि का नाम । पिरहए उतम साधा कोकोपीदी सोने में मेल देने के काम जाप--सहा पुं० [सं०] १. किसी मंत्र या स्तोत्र प्रादि का वार में प्राता है। चार मन में सुरुषारण । मष की विधिपूर्वक भाति । १०- जाफा--सहा पुं० [1. इसाफ़ह 1 वृद्धि । बढ़ती। उ०-एक मन मिल पाखर मयं न नापू। प्रगट प्रमाव महेश प्रतापू - किसान दूसरे के सेट पर न चढ़े तो कोई जाफा कैसे करे । तुलसी (पन्द०)। २. भगवान के नाम का धार धार -गोदान, पृ० २७ । स्मरण और उचारण। जाव' मा पु० [प्र. पवाय ] उत्तर । अवार। 30-दिए जाप-संत श्री० [सं० बप ] मत्र या नाम पापिनपने की मासा । पार न प्रकुल सलाम, ऐ जिस, फास क नाम । उ.-बिरह पभूत घटा वैरानी। छाला काप बाप कठ --विधनी०, पृ. ३४५ मामा । -बायसी (मन। जाब-पहा पुं० [पं० पार]१ धा । काम २ द्रव्य के बदले जापफ-सहा पुं० [सं०] अपकर्ता। परनेवामा । अपनेबाबा। में किया हुमा कार्य । १०-(क) राम भाम चरकेशरी कनककसित पधि कालु । यौ-बाप वर्षापार प्रेम । जापक बम प्रहाय जिमि पानिहि दसि सुरसालु ।-तुलसी जाव -सहा पुं० [अ० बम्ठ, हि० बायाt] बैलों के मुह पर लगाने . (शब्द)। (स) चित्रकूट सप दिन षसत प्रभु सिय लसन की जानी। उ०-पैनों को मुह पर पाबसमा दिया जाता समेत । राम नाम जप बापूकहि तुलसी अभिमत देत । - ___ है।-मैना०, पु. ९७। सुमसी (शब्द०)। जापता+-सधा पुं० [फा० सावितह. ] कायदा। नियम । पद्धति । जायजा-कि.नि [फा० जा+यषा ] जगह जगह । इधर उधर बान्ता । 30-सारं पा मिसावसि बापता से मेल सैनी। जावड़ा--सका पु. [ देश० ] दे० 'पपड़ा। "सारा कामांन्या में बुलाया घाम लीनी ।-शिखर, जामता-सा (० [ फा सावितह. ] दे॰ 'जान्ता । पृ०५६। जाष प्रेस-सपा पुं० [म.] कार्ड, नोटिस पद छोटी छोटी चीजों जापन-सा पुं० सं०] १. जप । २ निवर्तन । के छापने की कल। जापा-या पुं० [सं० जनन ] सौरी । प्रसूतिका गृह । जापर-सज्ञा पुं० [ देश० ] पीए के महीन टुकड़ो के साथ पका हुपा जापान-सक्षा [ी निप्पान; म० जान ] एक द्वीपसमूह । पावल । जो चीन के पूरब है। जाबरा-वि० [सं० जर्जर ] वृद्ध । बुढा । जईफ !-(हिं.)। . जापानी'-संशा पुं० [अ० जापान+हिं• ई (प्रत्य०), पा देश जापर-44 [ झा० जबर'] बलवान् । ताकतवर। अधिक पापान द्वीपसमूह का निवासी । जापान का रहनेवाशा: पलवाला।