पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३४४

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मदनपाठक २६३५ मदरास - मदनपाठक-संज्ञा पुं० [सं०] कोकिला । कोयल । नाम । छैद प्रभाकर में इसे मनहर लिखा है और दम, आठ, मदनफल-संज्ञा पुं० [सं०] मैनफल । मपनी। चौदह और आठ पर यति तथा आदि की दो मात्राओं का मदनबान-संज्ञा पुं० [हिं० मदन+बाण ] एक प्रकार का बेला लघु और अंत की मात्रा का हस्व होना लिया है । उ०- जिसकी कलियाँ लंबी तथा दल एकहरे और नुकीले होते सँग सीय लक्ष्मण, श्री रघुनंदन, मातन के शुभ पाइय रे हैं। यह वर्षा में फूलता है और इसकी गंध बहुत अच्छी सब दुःख हरे । इसे मदनगृह भी कहते हैं। इसके यति पर ती होती है। और आदि की लघु मात्रा के नियम को कोई कोई कवि मदनभवन-संज्ञा पुं० [सं०] (१) योनि । भग । (२) फलित नहीं मानते । जैसे,—सादल नजीब, महमूद आकवत, जैता ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में जन्म से सप्तम स्थान । गृजर सहित देख जुन्द्र पढ़े।सूदन । मदनमनोरमा-संज्ञा स्त्री० [सं०] केशवदास के मतानुसार सर्वया मदनांकुश-संशा पुं० [सं०1(१) पुरुष कीरदिय । लिंग। के एक भेद का नाम जिसे दुर्मिल भी कहते हैं। (२) नखक्षत। मदनमनोहर-संशा पुं० [सं० ] दंडक के एक भेद का नाम जिसे | मदनांतक-संज्ञा पुं० [सं०] शिव । ___ मनहर भी कहते हैं। मदन ध-वि० [सं०] कामांध । मदनमल्लिका-संशा स्त्री० [सं०] मालिका वृत्ति का एक नाम । । मदना-संज्ञा स्त्री० [सं०] मैना । सारिका । मदनमस्त-संज्ञा पुं० [हिं० मदन+मस्त ] (1) जंगली सूरन का मदनाप्रक-संज्ञा पुं० [सं०] कोदव । कोदों। सुखाया हुआ टुकड़ा जिसका प्रयोग औषध में होता है। मदनायुध-संज्ञा पुं० [सं०] (१) कामदेव का अन्न। (२) भग। (२) चपे की जाति का एक प्रकार का फूल जिसकी गंध (३) एक शस्त्र का नाम । कटहल से मिलती जुलती पर बहुत उग्र तथा प्रिय होती है। मदनारि-संशा पुं० [सं० ] शिय । मदन महोत्सव-संज्ञा पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक उत्सव मदनालय-संज्ञा पुं० [सं०] (9) भगा योनि । (२) फलित ज्योतिष जो चैत्र शुकु द्वादशी से चतुर्दशी पर्यंत होता था। इस | के अनुसार जन्मकुंडली में के सप्तम स्थान का नाम । उत्सव में प्रत, कामदेव की पूजा, गीत-वाथ और रात्रि जाग- मदनावस्था-संशा स्त्री० [सं०] (१) कामुकों की विरहावस्था । रण आदि होते थे। इस उत्सव में स्त्री पुरुष दोनों सम्मि-: (२) काम-क्रीड़ा की दशा। लित होते थे और उद्यान आदि में आमोद प्रमोद करते थे। मदनास्त्र-संशा पुं० [सं०] (1) मदनायुध । (२) एक अन मदनमोदक-संज्ञा पुं० [सं० ] केशव के मतानुसार सवैया छंद का नाम । के एक भेद का नाम जिसे सुदरी भी कहते है। मदनी-संशा श्री० [सं०] (१) सुरा। वारणी । (२) कस्तूरी मदनमोहन-संशा पुं० [सं०] कृष्णचंद्र का एक नाम । उ.-- (३) मेथी। (४) अतिपुस्प नाम का फूल । (५) धाय का जो मोहि कृपा करी खोई जो हौं तो आयो माँगन । यशु- पेड़। धौ। मति सुत अपने पाइन जब खेलत आवै आँगन । जब तुम मदनीयहेतु-संज्ञा पुं० [सं०] धातकी । धाय का पेड़ । धौ। मदनमोहन करि टेरो इहि सुनि के घर जाऊँ। हों तो तेरो मदनेच्छाफल-संज्ञा पुं० [सं०] कलमी आम का पेड़ । वद्धरसाल । घर को दाढ़ी सूर दास भट नाऊँ। सूर । मदनोत्सव-संज्ञा पुं० [सं०] मदनमहोत्सव । मदनललिता-संशा स्त्री० [सं०] एक वर्णिक वृत्ति का नाम । मदनोत्सवा-संज्ञा स्त्री० [स०] स्वर्ग की बेश्या । अप्सरा । इस वृत्ति के प्रति चरण में सोलह वर्ण होते हैं। पहले मगण । मदप्रयोग-संज्ञा पुं० [सं०] हाथियों का मद बहना। फिर भगण, नगण, मगण, नगण और अंत में गुरु होता है। । मदभंजिनी-संका स्त्री० [सं०] शतमूली। उ-माग्यो जी दान निज पति है दासी चरण की। मदयंतिका-संशा स्त्री० [सं०] मलिका। मदनलेख-संज्ञा पुं० [सं०] प्रेमी और प्रेमिका के पारस्परिक | मदयंती-संशा स्त्री० [सं० ] मलिका । प्रेम-पत्र । मदपिलु-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मछ । शराब । (२) कामदेव । (३) मदनशलाका-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) मैना । (२) कोकिला । कलवार । (४) मेघ। कोयल। मदर*-संज्ञा पुं० [सं० मंडल ] मँडराना। घेरना । आक्रमण मदनसदन-संशा पुं० [सं०] (1) भग। योनि । (२) फलित उ.--ब्रज पर मदर करत है काम । कहियो पथिक जाह ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के सप्तम स्थान का नाम । श्याम सों राखहि आइ आग्नो धाम -सूर। मदनसारिका-संशा स्त्री० [सं०] सारिका । मैना। मदरसा-संज्ञा पुं॰ [अ० ] पाठशाला । विद्यालय । मदनहर-संज्ञा पुं० दे० "मदनहरा"। मदरास-संज्ञा पुं० भारतवर्ष के अंतर्गत एक प्रांत का नाम मदनहरा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] चालीस मात्राओं के एक छेद का जो अपने प्रधान नगर के नाम से प्रयात है। यह