पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३४५

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मदलेखा २६३६ मदालसा प्रदेश दक्षिण प्रांत में पूर्व समुद्र के किनारे उड़ीसा से मदारी-संशा पु० [अ० मदार ! (8) एक प्रकार के मुसलमान कुमारी अन्तरप तक फैला हुआ है। यहाँ द्रविड़ और तैलंग फकीर जो बंदर, भाल आदि नचाते और लाग के तमाशे लोग रहते हैं । इस प्रांत की राजधानी समुद्र के किनारे है दिखाते हैं। ये लोग शाह मदार के अनुयायी होते हैं। और उसका भी यही नाम है। मदारिया । फलंदर। मदलेखा-संशा स्त्री० [भ] एक वर्णिक वृत्ति का नाम जिसके विशेष-शाह मदार का जन्म १०५० ईसवी में एक यहूदी के प्रत्येक चरण में सात सात वर्ण होते हैं, जिनमें पहले मगण : के घर हुआ था और यह स्वयं इस्लाम धर्म में दीक्षित फिर सगण और अंत में गुरु होता है। उ.-मोसी गोप । हुए थे। यह फरुखाबाद में रहते थे और सुलतान शरफी किशोरी । पैहो ना हरि जोरी। के समय में कानपुर आए थे। उस समय कानपुर में मदविक्षित-वि० [सं० ] मद मे पागल । मदमत्त। 'मकनदेव' नामक जिन्न रहता था। शाह मदार उस जिन्न सा पुं० मतवाला हाथी। को वहाँ से निकालकर वहाँ रहने लगे। इसी से उस स्थान मदशाक-सक्षा पुं० [सं० ] पोई। पोय । का नाम मकनपुर पवा। शाह मदार के विषय में यह मदसार-सज्ञा पु० [सं०] शहतूत का पेड़। प्रसिद्ध है कि वह चार सौ वर्ष जीते रहे और सन् १४३३ मदहेतु-संश। पुं० [सं०] धातकी । धाय या पेक। में मरे थे । शाह मदार की समाधि मकनपुर में सुलतान मदतक-मंज्ञा पुं० [सं०] मदात्यय नामक रोग । माहीम ने बनवाई थी। मुसलमान इन्हें जिंदा शाह कहते मदांध-वि० [सं० ) जिसे मस्ती, गर्व आदि के कारण भले बुरे है और अब तक जीवित मानते हैं। शाह मदार का पूरा का कुछ ज्ञान न हो। मदमत्त । मदोन्मत्त । मद से अंधा।। नाम बदीउद्दीन था। मदाखिलत-संश। स्त्री० [अ० ] (1) बाँध । रोक । रुकावट । (२) बाजीगर । तमाशा करनेवाला । (२) बंदर आदि (२) प्रवेश । अधिकार । नचानेवाला। यौ०–मदाखिलत बेजा। मदालसा-संज्ञा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार विभावसु गंधर्ष की मदाखिलत बेजा-संशा नी० [अ० मदाखिलत+फा० वजा] (1) कन्या का नाम जिसे वनकेतु के पुन पातालकेतु दानव ने उठा किमी ऐसे स्थान में प्रवेश करना जहाँ वसा करने का अधि ले जाकर पाताल में रखा था। राजा शत्रुजित् के पुत्र ऋतु- कार प्राप्त न हो। अनधिकार प्रवेश । (२) किसी ऐसे । ध्वज यश-रक्षार्थ गालवजी के आश्रम में रहते थे। एक कार्य में हस्तक्षेप करना जिसमें सा करने का अधिकार न । दिन शूकर रूपधारी पातालकेतु के अधिक उपद्रव करने पर हो । अनुचित हस्तक्षेप। इन्होंने उसका पीछा किया और उसे मारकर पाताल में गए। मदाव्य-संज्ञा पुं० [सं० ] ताल का वृक्ष । ताद । वहाँ उन्हें मदालसा मिली जिससे उन्होंने विवाह किया। मदात्यय-संज्ञा पुं० [सं०] एक रोग का नाम जो लगातार अत्यंत पोदे दिनों बाद जब सुध्वज अपने पिता की आज्ञा से मद्यपान करने से होता है । इस रोग में रोगी को चक्कर पृथिवी पर्यटन करने निकले, तब उन्हें पातालकेतु का भाई आता है, नींद नहीं आती, अरुचि होती है, प्यास लगती तालकेतु मिला जो मुनि का रूप धारण कर तप कर रहा है, हाथ-पैर में जलन होती है और वे ढीले पर जाते हैं, था। तालकेतु ने ऋतुध्वज से कहा कि मैं यज्ञ करना चाहता तदा आती है और अपच हो जाता है। कभी कभी ज्वर है, पर दक्षिणा देने के लिये मेरे पास द्वन्य नहीं है । यदि भी आता है और रोगी बहुत प्रलाप करता है। आप अपना हार मुझे दें, तो मैं जल में प्रवेश कर वरुण से पर्या–मदानक । मदष्याधि । मद । धन प्राप्त कर यज्ञ करूँ। राजकुमार ने उसके माँगने पर मदाध-सज्ञा पुं० [ स०] एक ऋषि का नाम । अपना हार उसे दे दिया और उसके आश्रम में बैठकर मदार-संश। पुं० [सं०] (1) हस्ती। हाथी (२) धूर्त । चाल-' उसके लौटने की प्रतीक्षा करने लगे। तालकेतु हार पहनकर बाज । (३) शूकर । सूअर । (४) एक गंध दम्य का नाम । जलाशय में घुसा और दूसरे मार्ग से निकलकर उनके कामुक पिता के पास पहुँचकर उनसे कहा कि राजकुमार यज्ञ की संज्ञा पुं० [सं० मंदार ] आक। रक्षा कर रहे थे । राक्षसों से घोर युद्ध हुआ, जिसमें राक्षसों यौo-मदारगदा। ने राजकुमार को मार डाला। मैं यह समाचार देने के संज्ञा पुं० दे. "मदारी"। शिये आया है। जब ऋतुध्वज के मारे जाने का समाचार मदारगदा-संज्ञा पुं० [हिं० मदार+गदा ? ] धूप में सुखाया हुआ मदालसा को पहुँचा, तब उसने प्राण त्याग दिए। तालध्वज मदार का वृध जो प्राय: औषध आदि में डाला जाता है। वहाँ से लौटा और उसी जलाशय से निकलकर ऋतुचज मदारिया-संज्ञा पुं० दे० "मदारी"। से बोला कि आपकी कृपा से मेरा मनोरम पूर्ण हो गया ।