पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/११९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सदसिर ४९३७ सदाबत सदसि-क्रि० वि० सदम् मे । सभा या गोष्ठी मे। सदातन-वि० सावकालिक । सदा या अनवरत रहनेवाला [को०] । सदस्य-सञ्ज्ञा पुं० (स०] १ यज्ञ करनेवाला । याजक । २ किसी सभा सदात्मा-वि० स० सदात्मन् ] मत् स्वभाव का । नेक । भला [को०] । या ममाज मे ममिलित व्यक्ति । सभासद । मेवर । सदादान' -सञ्ज्ञा पु० [स०] १ वह हाथी जिसे सदा मद वहता हो । सदस्यता--मज्ञा ग्री० [स० सदस्य+ता (प्रत्य॰)] सदस्य होने का २ ऐवत । ३ गणेश । ४ सदा दान देने की प्रकृति । दानशीलता। ५ गधहीत (को०)। भाव (को०] । सदादान--वि० सर्वदा दान देनेवाला [को०] । यौ-सदस्यताशुल्क = सदस्य बनने का चदा । सदहा-सञ्ज्ञा पु० [म०] १ यज्ञ करनेवाला । याजक । सभासद । . सदानद--सज्ञा पु० [म. सदानन्द] १ वह जो सदा आनद मे रहे। किसी सभा या समाज मे समिनित व्यक्ति । मेवर । २ शिव । ३ परमेश्वर। ४ विष्णु ५ सदा पानद की स्थिति । सर्वदा रहनेवाला पानद । ६ वह जो सदा आनदप्रद सदहा-वि० [फा०] मैकडो। हो । सदा आनद देनेवाला। सदहा-सज्ञा पुं० [देश०] अनाज लादने की बडी बैलगाडी। सदानन-वि० [सं०] सुदर मुखाकृतिबाला को०] । सदा-ग्रव्य[स०] १ नित्य । हमेशा । मर्वदा । २ निरतर । सदानन्'--वि० [म०] जो वरावर नाचता हो । यौ०-सदाकाता= एक नदो। सदाकालवह = सबदा गतिशील । सदा प्रवहमान । सदातोया = (१) वह नदी जिसमे निन्तर सदानर्त:--मशा पु० ममोला । खजन । जल बना रहे। (२) सदानीरा । करतोया नदी। (३) एला- सदानोरा-पना 'नी० [म०] १ करतोया नदो। २ सर्वदा प्रवाहित पणी। सदापरिभूत = एक बोधिमत्व का नाम । सदापर्ण = होनेवाली नदो (को०)। जिसमे हमेशा पत्ते बने रहें । नदाभ्रम = नित्य भ्रमणशील । सदानोपा--पशा प्री० [स०] एलानी । एलापर्णी । सदा-सा जी० [अ०] १ गूज । प्रतिध्वनि । २ ध्वनि। अावाज । सदाप'--वि० [स०] सत् अर्थात् स्वच्छ पानीवाला [को०] । शब्द । ३ पुकार। सदाप-वि० [स० सदर्प, पा० मदप्प > सदाप। सदर्प । गर्वयुक्त । मुहा०-मदा देना या लगाना = फकोर का भीख पाने के लिये सदापुर-सज्ञा पुं० [म०] केवटी मोया । कैवर्त मुस्तक । पुकारना। सदापुष्प'--सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ नारिकेल। नारियल । २ आक । योनदाए गैब = आकाशवाणो। सदाए हक = सत्य की सफेद मदार । ३ वुद का फूल । आवाज । इन्साफ की वात । सदांपुष्प---वि० मदा पुप्पयुक्त । हमेशा फूलनेवाला (को॰] । सदाकत-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० सदाकत] मच्चाई । सत्यता । खरापन । सदापु-पी-पशा सी० [म०] १ पार । २ लाल पाक । ३ कपास । यौ०-सदाकतपसद, सदाकनपरस्त = जिसे सच्चाई पसद हो। ४ मल्लिका । एक प्रकार की चमेली। सत्यता पर दृढ रहनेवाला । मचाई या सत्यता पर दृढ । सदाप्रसून' - पञ्जा पु. [म०] १ रोहितक वृक्ष । २ श्राक । मदार। सदाकारी-वि० [म० मदाकारिन्] जिसका प्राकार सत् अर्थात् भला ३ कुद का पौधा । हो को०] । सदाप्रसून'-वि० सदा पुष्प युक्त । हमशा पुष्पित (को०] । सदाकुमुम-सञ्ज्ञा पुं० [स०] धय । धातकी। सदाफर--वि०, सज्ञा पुं० [स० सदाफल) रे० 'सदाफल' । उ०- सदागति-पचा पुं० [स०] १ वायु । पवन । २ वात । (प्रायुर्वेद)। फरे सदाफर अउर जेभीरी । —जायसी (शब्द०)। ३ मूर्य । ५ विभु । ब्रह्म। ५ चरम मुख । निर्वाण । मोक्ष सदाफल'-वि॰ [स०] जो सब दिन फले । मदा फलता रहनेवाला । (को०)। ५ वह जो सर्वदा गतिशील रहता हो । सदागतिशत्रु-मज्ञा पु० [स०] एरड । अडी का पेड । सदाफन --पक्षा पुं० १ ग्लर। ऊमर । २ श्रीफल । बेल । ३ नारियल । ४ कटहल । ५ एक प्रकार का नीबू । सदागम -सझा पु० [स०] १ सज्जन का आगमन । २. सत् शास्त्र । सदाफला, सदाफली-मशा ली० [स०] १ जपा पुष्प । गुडहर । अच्छा सिद्धात । देवीफूल । २ एक प्रकार का बैगन । सदाचरण-सज्ञा पुं० [स०] अच्छा चाल चलन । सात्विक व्यवहार । सदाबरता-सझा पु० [हि० सदावर्त] दे० 'सदावर्त' । सदाचार -सञ्चा पु० [म०] १ अच्छा पाचरण। सात्विक व्यवहार । सदावर्त-मज्ञा पुं० [सं० सदाव्रत] १ नित्य भूखो और दीनो को मवृत्ति । २ शिष्ट व्यवहार । भलमनसाहत । ३ रीति । भोजन वॉटने की क्रिया या नियम । रोज की खैरात । क्रि० प्र०-चलना ।-बॅटना। सदाचारी-सज्ञा पुं० [स० सदाचारिन्] [मी० सदाचारिणी] १ २ वह अन्न या भोजन जो नियम से नित्य गरीबो को वाँटा अच्छे आचरणवाला पुरुप । अच्छे चाल चलन का आदमी। जाय । खैरात। मवृत्तिशील । २. धर्मात्मा। पुण्यात्मा । क्रि० प्र०-बटना-बांटना । सदातन'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] विष्णु । ३ नित्य होनेवाला दान । रवाज।