पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१३७

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सबमरीन ४६५५ सब्ज' सबमरीन--मज्ञा पुं० [१०] एक प्रकार की नाव जो जल के अदर सवाष्पक-वि० [सं०] १ अयुक्त (नेत्र) । २. जिसमे से भाप चलती हे और युद्ध के समय शन्न के जहाजो को नष्ट करने के निकल रही हो को०] | काम मे ग्राती है । गोताखोर जहाज । पनडुब्बी । सविंदु'- वि० [स० सविन्दु] बुदकीदार । बिंदुमहित । बिंदु से युक्त विशेप-~~यह घटो जल के अदर रह सकती है और ऊपर मे [को०] । दिखाई नहीं देती। हवा, पानी लेने के लिये इमे ऊपर पाना सबिंदु -~-माधा पु० एक पर्वत का नाम को। पडता है। यह 'टारपीडो' नामक भयकर शस्त्न साथ लिए सबी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० शबीह चिन्न । तसबीर । उ०—लिखन वैठि रहती है और घात लगते ही शत्रु के जहाज पर टारपीडो जाकी सबी गहि गहि गरव गरूर। भए न केते जगत के चतुर चलाती है। यदि टारपीडो ठिकाने पर लगा तो जहाज मे वडा चितेरे कूर ।-विहारी र०, दो० ३४७ । मा छेद हो जाता है। सवीज-वि० [स०] [वि॰ स्त्री० सीजा) १ वीजाक्षर से युक्त । उ०~-- सबर'--वि० [म० सवल] ताकतवर । वली । मबल । लोग बियोग विषम विप दागे। मन्त्र सवीज सुनत जनु सबर--सचा पु० [अ० सन] दे० 'मन' । जागे । -मानप, २।१८४ । २ जिममे वीना हो । जैसे, सवीज सबरा-सञ्ज्ञा पु० [हिं० सब] सब । कुल । तमाम । फल (को०) । ३ कीटाणयुक्त (को॰) । सबरी-सद्धा स्त्री॰ [स० शवरी] दे० 'शबरी' । सबील-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ रास्ता। मार्ग । सडक । २ उपाय । सबरी'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० शफरी = (कुदाल,)] सेंध मारने मे चोरो तरकीव । यत्न । जैसे,—वहाँ पहुँचने की कोई सवील निकालनी चाहिए। ३ वह स्थान जहॉपर पथिको प्रादि को धर्मार्थ जल द्वारा प्रयुक्त लगभग हाथ भर लवा एक औजार । या शरवत पिलाया जाता है। पीसरा। सबल'-वि० [स०] १ जिसमे बहुत बल हो । बलवान् । बलशाली। ताकतवर । जैसे,--जो सबल होगा वह निलो पर शासन क्रि० प्र०-पिलाना ।-रखना ।—लगाना । करेगा । २ जिनके साथ मेना हो । फौजवाला । सबीह --वि० [अ०] १ खूब गोरा । अत्यत गौर वर्ण का। सबल-सज्ञा पु० वशिष्ठ के एक पुत्र का नाम (को०)। सबीह-सज्ञा पु० [अ० शवीह दे० 'शचीह' । सवल:--सचा पु० [अ०] १ अन्न की वाल। अनाज की वाल। २ सवीहार वि० [स० सभी, प्रा० सबीह] भययुक्त । भयालु । एक नेत्र रोग । मोतियाविद को०] । भयान्वित । सबलि'--वि० [स०] १ जिसपर राजकर लगता हो । २ बलिकर्म सबू-पचा पु० [फा० सुबू। मिट्टी का घडा । मटका । गगरी। से संबद्ध [को०]। यौ० -सवूसाज = कुभकार । कुम्हार । सबलि-सज्ञा पुं० (बलि चढाने के लिये उपयुक्त) सध्या वेला । सबूत-मज्ञा पुं० [अ० सुबूत] दे० 'सुबूत' । गोधूलि (को०)। सवूर-वि० [अ०] माफ करनेवाला । क्षमाशील । २ धैर्ययुक्त | धीरज सवसिडियरी जेल--सज्ञा स्त्री० [अ०] हवालात । या सब करनेवाला [को०)। सवा--मझा स्त्री० [अ०] वह हवा जो प्रभात और प्रात काल के समय सवूरा --सबा पु० [अ० सन] काठ या चमडे आदि का बना हुआ एक पूर्व को और मे चलती है। उ०--वरावरी का तेरी गुल ने जब प्रकार का लबा लिंगाकार खड जिमसे विधवा या पतिहीना खयाल किया । सबा ने मार थपेडा मुंह उसका लाल किया। स्त्रियाँ अपनी कामवासना तृप्त करती है । काष्ट या चर्मनिर्मित ---कविता की०, भा०४, पृ०६७ । लिग। (मुसल० स्त्रि०)। यौ०--सबाखगम, मवादम - वह घोडा जो बहुत तेज भागता हो । सबूस-सशा स्त्री० [फा०] भूसी । तुप । चोकर (को०] सबात--सज्ञा स्त्री० [अ० स्थायी या दृढ होने का भाव। स्थायित्व । सबूह, सबूही-यद्धा श्रो० [फा०] सवेरे पी जानेवाली मदिरा । तडके दृढता किो०] । पी जानेवाली शराव [को०] । सवाघ-वि० [०] कष्ट पहुँचानेवाला । हानिकारक । पीडक (को०] । सबेरा-मशा पृ० [म० मु+हिं० वेग। सु दर समय । प्रात काल । सवार'-सज्ञा पुं० [हिं० सवेरा| दे० 'सरेरा' । सूर्योदय का समय। सवार-कि० वि० जल्दी । शीघ्र । उ०-होइ मगीरथ कर तहँ फेरा। सब्ज'-वि० [फा० सम्ज] १ कच्चा और ताजा (फल, फूल ग्रादि)। जाहि मवार मरन के वेरा |-जायसी (शब्द॰) । मुहा०--मज वाग दिखलाना= प्रपना काम निकालने या फंसाने सबारै-सपा पुं०, क्रि० वि० [हि० सवेर] दे० 'सवार' । के लिये उडी बडी आशाएँ दिलाना। सबाडिनेट जज-सज्ञा पु० [अ०] दीवानी अदालत का वह हाकिम २ हरा। हरित। (ग्ग) | ३ शुभ । उत्तम । जैसे,—सन्ज बल = जो जज के नीचे हो । छोटा जज । सदराला। मिविल जज । भाग्यशाली। सवाष्प-वि० [०] [वि॰ स्त्री० सवाप्पा] १ जिसकी आँखो मे आँसू यौ०-सब्जपरी = (१) इदर मभा की नायिका । (२) ताजापन हो । २. जिसमे से भाप निकल रही हो [को०] । या मस्ती देनेवाली, मदिरा। शराव (लाक्ष०)। सब्जपा= दे०