पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१३८

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सभागा सन्जकदम 'सब्जकदम'। सब्जपुल - आसमान । सब्जपोश = हरी पोशाक सब्रह्मचारी- सधा पुं० [सं० सब्रह्मचारिन्] १ वे ब्रह्मचारी जिन्होने पहने हुए। सब्जफोडा = एक प्रकार का कबूतर । सब्जवरत। एक साथ एक गुरु से एक प्रकार की शिक्षा प्राप्त की हो। मजमुखी = कबूतर की एक जाति । सब्जरग = (१) हरे रग २ एक समान द ख से ग्रस्त व्यक्ति । ३ एक मदृण या एक का। (२) सलोना। मॉवला। सब्जरगी-सलोनापन। जमा पादमी। ८ वेगदि की एक ही गाजा का अध्ययन सब्जदार = मुर्गी की एक जाति । करनेवाले छात्र । ' साथी। मिन्न (को०) । सब्जकदम-वि० [फा० मब्ज़ + प्र० कदम] जिसके कही पहुंचते ही सभग-वि० [स० मभङ्ग । जिममे टकडे या खद हो नि। कोई अशुभ घटना हो । जिसके चरण अशुभ हो। यौ०-सभगश्लेप = श्लेप अलकार का एक प्रकार, जिममे शब्द विशेष-इस शब्द मे 'सब्ज' का प्रयोग व्यग्य रूप से होता है। को खड करके दूसरा अर्थ निकाना जाता है। दे० 'श्लेप' । सभक्ष-वि० [स०] मात्र खानेवाला । महभोजी कोला । सब्जा--सक्षा पु० [फा० मन्जह) १ हरी घास और वनस्पति आदि । हरियाली। सभय-वि० [सं०] १ भययुक्त। उ०-मचिव सभय सिख देव न कोई।--मानस १। २ डर उत्पन्न करनेवाना। भयकारक क्रि० प्र०-लहलहाना। खतरनाक (को०)। २ भग । भांग । विजया । ३ पन्ना नामक रत्न। ४ स्त्रियो का कान मे पहनने का एक प्रकार का गहना। ५ घोडे का एक सभर्तृका-सहा श्री० [सं०] वह स्त्री जिमका पति जीवित हो । सधवा । मुहागिन। रग जिसमे सफेदी के साथ कुछ कालापन भी मिला होता है । ६ वह घोड़ा जो इस रग का हो । ७ एक जाति का प्राम। सभस्मा-वि० [स० सभस्मन्] जिसने भस्म लगाया हो । भम्म युक्त । ८ खरबूजे की एक जाति । यौ०-सभास्माद्विज = शैव या पाशुपत मनावलबी । सब्जो-सज्ञा स्त्री० [फा० सज़ी] १ हरी घास और वनस्पति आदि । सभा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ वह स्थान जहाँ बहुत मे लोग मिलकर हरियाली । २ हरी तरकारी। ३ साने के निये तैयार की हुई वठे हो । परिपद । गोष्ठी । समिति । मजलिम । जैसे,- तरकारी। भग। भांग । विजया । विद्वानो की सभा मे बैठा करो। २ वह स्थान जहाँ यौ-सब्जीखोर = शाकाहारी। सब्जीफरोश - हरी तरकारी किमी एक विषय पर विचार करने के लिये बहुत से लोग बेचनेवाला । सब्जीमडी = वह जगह जहाँ सब्जी और ताजे फल एकत्न हो। ३ वह सस्था या समूह जो किमी विषय पर बिकते हो। विचार करने अथवा कोई काम सिद्ध करने के लिये मघ- सब्जेक्ट-सज्ञा पुं० [अ०] १ प्रजा। रैयत । जैसे,—ब्रिटिश सब्जेक्ट । टित हुआ हो । ४ सामाजिक । सभासद । ५ जूमा । २ विषय । मजमून। द्यूत । ६ घर। मकान । ७ समूह । झड। ८. प्राचीन सब्जेक्ट कमिटो सज्ञा स्त्री० [अ०] दे० 'विपय निर्वाचनी समिति'। वैदिक काल की एक सस्था जिसमे कुछ लोग एकत्र होकर सामाजिक और राजनीतिक विपयो पर विचार करते थे। सन्त-सबा पुं० [अ०] १ शनिवार । २ लेख (को०'। ६ न्यायपीट। न्यायालय (को०। १० अतिथिशाला। धर्म- मब्बाक-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] सुनार । स्वर्णकार को०] । शाला । पथिकालय (को०)। ११ भोजनालय (मो०)। सब-मघा पुं० [अ०] सतोप । धैर्य । यौ-सभागत = जो सभा या न्यायपीट में उपस्थित हो। क्रि० प्र०-पाना ।करना ।—रखना। समाचातुरी, सभा- चातुर्य = मभा ममाज में व्यवहार करने मुहा०-सन्न करना = (१) धीरज धरना। ठहरना । रुकना की पटुता । सभानायक = दे० 'मभापति' । मभापूजा = (२) जल्दबाजी या उतावली न करन।। सत्र देना = घेर्य नाटके की प्रस्तावना मे दर्शको के प्रति समान व्यक्त करना। वधाना। ढांढस देना। मन की सिल छाती पर रखना% समाप्रवेशन - न्यायपीठ के समक्ष जाना।सभामटन - सभागृह या सवकुछ चुपचाप सह लेना । (किसी का ) सव पड़ना = सभाकक्ष को मजाना। सभामडप%-मभागृह । सभा का कक्ष। किसी के धैर्यपूर्वक सहन किए हुए कष्ट का प्रतिफल सभायोग्य = समाज या गोष्ठी के उपयुक्त । मभावगकर- होना । जैसे,—तुमने उम गरीव का मकान ले लिया, समा, समाज या गोष्ठी को प्रभावित या वशीभूत करनेवाला। तुमपर उसका मन पडा है जिससे तुम्हारा लडका मर गया। सभाकार-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ वह जो सभा करता हो। सभा करने- सन्न कर बैटना या लेना = कोई हानि या अनिष्ट होने पर वाला। २ वह जो सभाकक्ष बनाता हो। सभागृह का चुपचाप उसे सह लेना। मत्र समेटना = किसी का शाप लेना। बनानेवाला (को०)। ऐमा काम करना जिसमे किसी का शाप पडे । सभाग--वि०सि०] १ हिस्सेदार । जिसका भाग या हिस्सा हो। सब्रह्म, सब्रह्मक-वि० [स०] १ ब्रह्मा से युक्त । ब्रह्मा के साथ । २ २ सार्वजनीन । मर्वजनसुलभ । मामान्य । ३ सभा मे जाने- ब्रह्मलोक सहित (को०)। वाला (को०] 1 सब्रह्मचर्य-सज्ञा पृ० [स०] (एक ही गुरु से) साथ साथ पठना। सभागा--वि० [स० स+भाग्य] [वि० स्त्री० सभागी] १ भाग्यवान् । सहाध्ययन् (को०)। खुशस्मित । तकदीरवर । उ०-ओहि छुइ पवन विरिछ जेहि