पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१५२

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समाधि ४६७० समानक्षेत्र होता है। १७ एक प्रकार का अर्यालकार जो उस समय माना समाधिस्थ-वि० [म. जो ममाधि में स्थित हो । जो ममावि लगाए जाता ह जब किसी अाकस्मिक कारण स कार्ड काय बहुर ही हुए हो। सुगमतापूर्वक हो जाता है। उ०—(क) हरि प्रेति नेहि समाधिन्थन-मजा पुं० [म०] दे० 'ममाविलेन'। अवसर चले पवन उनचाम । (ख) मीठ गमन नपराध हित प्रमावी - वि० [म० नमाविन्] १ ममाधिस्य । जो समाधि मे हो। सोचत कछू उपाय। तब हो पाकस्मात ते उठो घटा घहराप । २वमाना। यामिक । उपाक को०)। १८ साथ मिलाना या करना (को०)। १९ परदन का जोर या उमकी एक विशेष अवस्था को ।। २० दुभिक्ष ममा अनाज समाधूत -१० [म०] जिसे दूर या तितर बितर कर दिया गया हो । भगाया हुया को०)। वचाकर रखना । अन्न मचय (को०) । २१ तपस्या (को०)। २२ पूर्ति । मपन्नता (को०) । २३ प्रनिदान (को०)। २८ महारा । समावेय-वि० [म०1१ समाधान करने योग्य। जिसका समाधान हो सके। २ निर्देश याय। जिगे निर्देश किया जा सके अाश्रय (को०)। २५ इद्रियनिरोध (गो०)। २६ मत्तरहवा कल्प (को०)। [को०)। ३ अगीकार योग्य । म्वीकरणीय (को०)। ४ जो कम- युक्त या व्यवस्थित किया जा गो (क) यो०-समाधिनिष्ट = समाविस्थ । ममाधिभग = ममावि टूटना । समाधि नृत् = समाधि में लोन । समाधि भेद = (१) ममाधि ममा मात - वि० [म०J१ फूला हग्रा । जैसे,--ममामान उदर । के चार भेद । (२) समाधि मग होना । २ सयुक्न । फूना प्रा। ३ फुनाया तुया । जिसमे हवा भर दी गई हो।को०)। समाधि -पज्ञा स्त्री० [स० समाधित या समाधान] . गमावान'। (क्व०)। उ०-व्याधि भूत ननित उपाधि कार खल की समान'-० [म. जो म्प, गुण, मान, मूल्य, महत्व यादि में एक मे हो। जिनमे परम्पर कोई अन न हो। मम । बगर। समाधि कीजै तु नसी को जानि जन फुर फै।-नुसी (शब्द०)। मदृग । तुल्य । एयन्प। जने,- दोनो ममान विद्वान् हैं, उनमे कोई अतर नहीं है। समाधिक्षेत्र-मज्ञा पु० [सं०] १ वह स्थान जहा यागिया ग्रादि के मृत शरीर गाडे जाते ह । २ साकारण मुरद गाउन को जगह । महा०--एक भमान =एकमा। एT जगा । कविस्तान । यौ--समान वरण = ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण एक ही स्थान से होता हो । जैन,-क, ख, ग, घ ममान वरण है। समाधिगर्भ-सज्ञा पुं० [स०] एक बोविमत्व का नाम । २ सामान्य । मावारण (को०)। ३. मध्यवर्ती । उभयनिष्ठ। समाधित -वि० [स०] १ जिसने ममावि लगाई हा । ममावि अवस्या को थोत्र का (को०)। ४ गोधी । कोपाविष्ट । सायुक्त (को०) । प्राप्त । २ तुष्ट या प्रसन्न किया हुप्रा (को०) । ५ गजन । भला (को०)। ६ समादरणीय । ममातृत । नमा- समाधित्व -सज्ञा पु० [सं०] समाधि का भाव या वर्म । नित (को०)। ७ साकल्य । समग्रता । समाम । जसे, सत्या समाधिदशा-सा मी० [स०] वह दशा जब योगो नमाविम स्थित का (को०)। हाता है और परमात्मा मे प्रेमबद्ध होकर निमग्न और तन्मय समान'-- ५० १ सत् । २ शरीर के अतगत पाँच वायुया मे मे होता हे तथा अपने आप को भूलकर चारो ओर ब्रह्म ही ब्रह्म एक वायु जिनका स्थान नाभि माना गया है। ३ मिः । साथी देखता हे। (को०) । ४ व्याकरण के अनुसार एक ही स्थान त उच्चरित समाधिमत् -वि॰ [स०] २० 'ममावी' [को०] । हानेवाले वरण (को०)। समाधिमोक्ष-मझा पु० [म०] पुरानी सवि तोडना । नमझौता तोडना। समानकरए-वि० [स] (न्वर) जिनका करण या उच्चारण स्थान सधिमग । (कौटि०)। एक हो [को०)। विशेष -चाणक्य ने इसके अनेक नियम दिए ह । सधि के समय समानकर्तृक--वि० [२०] एक कर्तृक । (वाक्य ग्रादि) जिनका क्र्ता किसी पक्ष को दूसरे पक्ष से जो वस्ता मिली हो, उन्हे रिस एक हो हो ।को०] । प्रकार लौटाना चाहिए, किस प्रकार सूचना देनी चाहिए ग्रादि समानकर्म--सज्ञा पु० [स० समानकर्मन्] १ वे जो एक ही तरह का वातो का उसने पूर्ण वर्णन किया है। काम करते ह' । एक ही तरह का व्यवसाय या कार्य करनेवाले । समाधियोग-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ ममाधियुक्त होना।२ ध्यान या विचार मपेशा। २ समान काम । एक ही काम (को०)। ३ वे का प्रभाव या गुणवत्ता को०] । वाक्य जिनके कर्म कारक समान या एक हीहो। समधिविग्रह-सज्ञा पुं० [म.] ध्यान की प्रतिमूर्ति को०] । समानकर्मक--वि० [स०] १ व्याकरण मे एक ही कर्मवाला। २ समाधिशिला-मचा ली० [म० ममावि + शिला) किसी की समाधि समान कम करनेवाला [को०] । पर लगाई जानेवाली वह शिला जिसपर ममाधिस्थ व्यक्ति का समानवाल, समानकालीन-सहा पु० [स०] वे जो एक ही समय नाम, जन्म और मृत्युतिथि अकित हो । में उत्पन्न हुए या अवस्थित रहे हो । समकालीन । समाधिसमानता-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] बौद्धो के अनुसार ध्यान का समानक्षेत्र-वि० [स० | समान क्षेवाला । आपस मे एक दूसरे को एक भेद। सतुलित करनेवाला [को०] ।