पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१७१

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सम्मूर्छनोद्भव ४६८९ सम्योची सम्मूर्छनोद्भव-सज्ञा पुं० [स० सम्मूर्च्छनोद्भव] मछली, नक्र आदि सम्यक् -क्रि० वि० १ सब प्रकार से । २ अच्छी तरह । भली- जलजतु [को०] । भांति । उचित रूप से । सही डग से । ३ स्पष्ट रूप से (को०) सम्मूर्छित-वि॰ [स० सम्मूच्छित] १. चेतनाहीन । वेहोश । २ घनी ४ सम्मानपूर्वक । ससम्मान (को०) । ५ यथार्थत । वस्तुत । भूत । गाढा । ३ मिलाया हुआ । मिश्रित [को०] । सचमुच (को०)। सम्मृत-वि० [सं०] जिसमे विलकुल जान न हो । बेजान । मृत (को०] । सम्यक्कर्मात-सज्ञा पु० [स० सम्यक्कर्मान्त] सत्कार्य । अच्छा सम्मृष्ट -वि० [सं०] १ जिसका सशोधन भली भांति हुआ हो । काम । सत्कम (को०)। २ अच्छी तरह साफ किया हुग्रा । ३ भली भाँति झाडा वुहारा सम्यक् चारित्र--सञ्ज्ञा पु० [स०] जैनियो के अनुसार धर्मनय मे से एक हुआ। धर्म । बहुत ही धर्म तथा शुद्धतापूर्वक आचरण करना । सम्मेघ -सचा पुं० [सं०] वह मौसम जिसमे वादल घिर पाए हो । सम्यक्ज्ञान-सज्ञा पु० [स०] जैनियो के धर्मनय मे से एक । न्याय- घिरी घटाओ वाला दिन । मेघाच्छन्न दिन [को०)। प्रमाण द्वारा प्रतिष्ठित सात या नौ तत्त्वो का ठीक ठीक और सम्मेत, सम्मेद - सच्चा पु० [स०] एक पर्वत का नाम । पूरा जगन । सम्मेलन-सज्ञा पुं० [सं०] १. मनुष्यो का किसी निमित्त एकत्र हुआ सम्यक दर्शन -सञ्ज्ञा पु० [सं०] जैनियो के अनुसार धर्मनय मे से समाज । २. जमावडा । जमघट । ३ मेल । मिलाप । सगम । ४ मिश्रण (को०)। एक । रत्नत्रय, सातो तत्वो और आत्मा आदि मे पूरी पूरी श्रद्धा होना। सम्मोचित-वि० [सं०] छोडा हुआ । मुक्त [को०] । सम्मोद -सबा पुं० [सं०] १ प्रीति । प्रेम। २ हर्प । प्रसन्नता। सम्यकदर्शी-सञ्ज्ञा पुं० [स० सम्यक्दशिन्] वह जिसे सम्यक्दर्शन प्राप्त हो। आनद | ३ सुगध । महक (को०)। सम्मोदिक- सच्चा पुं० [सं०] साथी । सहचर (को०] । सम्यक दृष्टि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे॰ 'सम्यक्दर्शन' को॰] । सम्मोह - सज्ञा पुं० [सं०] १ मोह । प्रेम। २ भ्रम । सदेह । ३ सम्यक वृत्त सक्षा बी० [स० कर्तव्य का ठीक ठीक पालन । अनवरत मुर्छा । बेहोशी । ४ एक प्रकार का छद जिमके प्रत्येक चरण अभ्यास या उद्योग [को०] । मे एक तगण और एक गुरु होता है । ५ घबराहट । अव्यवस्था सम्यक्पाठ--- पहा पु० [स०] शुद्ध उच्चारण । ठीक ठीक पढना को०] । (को०)। ६ अज्ञान | मूर्खता (को०)। ८ आकर्षण। सम्यकप्रणिधान [-सञ्ज्ञा पुं० [स०] प्रगाढ समाधि (को०] । वशीकरण (को०)। ६ सग्राम । कोलाहल (को०)। १० सम्यकप्रयोग-सञ्ज्ञा पुं० [स०] उचित या उपयुक्त उपयोग । ठीक ज्योतिष मे एक विशेष ग्रह योग (को०)। प्रयोग करना (को०)। सम्मोहक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ वह जो मोह लेता हो । मोहक । लुभा- सम्यकप्रवृत्ति 1-सज्ञा स्त्री॰ [स०] इद्रियो की उचित प्रवृत्ति [को०] । वना। २ एक प्रकार का सन्निपात ज्वर, जिममे वायु प्रति सम्यकप्रहाए सझा पु० (स०] ठीक प्रयत्न । उचित चेष्टा । (बौद्ध) । प्रवल होती है । इसके कारण शरीर मे वेदना, कप, निद्रानाश प्रादि होता है। ३ अचेत करनेवाला । सज्ञाहीन करनेवाला सम्यकश्रद्धान-सज्ञा पुं० [सं०] ठीक विश्वास । उचित श्रद्धा को०] । (को०)। सम्यक सबुद्ध-सञ्ज्ञा पुं० [स० सम्यक् सम्बुद्ध [ममा श्री० सम्यक् सबुद्धि] सम्मोहन'-सचा पुं० [स०] १ मोहित करने की क्रिया । मुग्ध करना । १ वह जिसे सब बातो का पूरा और ठीक ज्ञान प्राप्त हो । २ वह जिसमे मोह उत्पन्न होता हो। मोहकारक । ३ प्राचीन २ बुद्ध का एक नाम । काल का एक प्रकार का अस्त्र जिससे शत्रु को मोहित कर लेते सम्यकसबोध-सज्ञा पुं० [स० सम्यक् सम्बोध] एक बुद्ध का नाम । थे । ४ कामदेव के पाँच वाणो मे एक बाण का नाम । सम्यक्समाधि-सज्ञा स्त्री॰ [स०] बौद्धो के अनुसार एक प्रकार की समाधि । सम्मोहन'-वि० दे० 'सम्मोहक' । सम्मोहनी-सचा स्त्री० [सं०] माया का० । सम्यक स्थिति सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म०] साथ साथ रहने की स्थिति । सम्मोहित--वि० [स०] १ वशीभूत । वश मे किया हुआ। २ घव- सम्यकस्मृति - सच्चा स्त्री० [स०] ठीक ठीक स्मरण सही डाया हुअा । ३ पथभ्रष्ट । हतबुद्धि । ४ अचेत किया हुआ । स्मृति [को०। बेहोश (को०)। सम्यगत्रवोध - सज्ञा पु० [स०] उचित वोध । ठीक ज्ञान । सही सम्यक्-सज्ञा पुं० [सं०] समुदाय । समूह । समझ [को०] । सम्यक'-वि० १ पूरा । समस्त । सब । २ साथ जाने या रहनेवाला सम्यगाजीव-सज्ञा पु० [स०] उचित रहन सहन । (को०)। ३ सही। युक्त । ठीक । उचित (को०)। ४ सम्याना - सच्चा पु० [फा० शामियाना] दे० 'शामियाना'। शुद्ध । सत्य । यथार्थ (को०)। ५ सुहावना । रुचिकर (को०)। सम्योची-सच्चा खी० [स०] १ प्रशसा। स्तुति । २ हरिनी। ६ एकरूप (को०)। मृगी (को०।। हिं० श०-२०