पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२००

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सवालिया जुमना। सवाचित्र ५०२० सविता सवाक् चित्र--मञ्चा पुं॰ [सवाक् + चित्र] वह चित्र जिसमे पात्रो के मुहा०~-(किसी पर) सवाल देना = (किसी पर) नानिश करना। वोलने, गाने आदि की ध्वनि भी सुनाई दे । बोलता हुआ फरियाद करना। मिनेमा (अ० टॉकी)। ४ विनती। निोदन। प्रार्थना। ५ मिक्षा की याचना । ६ सवागी-सज्ञा पुं० [हिं० सुहागा] सुहागा । टकरण क्षार । गणित का प्रश्न जो उत्तर निकालने के लिये दिया जाता है। सवाती-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म० स्वाती स्वाती नक्षत्र (को०] । क्रि० प्र०--करना ।--निकालना।-देना। सवाद--सहा पु० हि० स्वाद] दे० स्वाद । सवालजवाव -सज्ञा पुं० [अ०] १ वहम । वादविवाद । जैसे,-मब सवादिक--वि० [हिं० सवाद + इक (प्रत्य॰)] खाने मे जिसका स्वाद वातो मे सवालजवाब मत किया कगे, जो कहा जाय, वह अच्छा हो । स्वाद देनेवाला । स्वादिष्ट । किया करो। २ तकरार । हज्जत । झगडा। सवादिल--वि० [हिं० सवाद + इल (प्रत्य॰)] दे० 'सवादिक' । सवालात-मज्ञा पु० [अ०] मवाल का बहुवचन । अनेक प्रश्न । सवाब--सज्ञा पु० [अ०] १ शुभ कृत्य का फल जो स्वर्ग मे मिलेगा। सवालिया-वि० [अ०] जिसमे कोई बात पूछी गई हो। जैसे- पुण्य। मुहा०--सबाव कमाना = ऐसा काम करना जिसमे पुण्य हो । सवासा-वि० [म० सवासस्] वस्त्रयुक्त [को०] । पुण्य कार्य करना। सविकल्प'--वि० [म०] १ विकल्प महिन । सदेहयुक्त। सदिग्ध । २ पलटा । प्रतिपल । वदला । ३ भलाई। नेकी। २ जो किमी विपन के दोनो पक्षो या मतो आदि को, कुछ सवाया-वि० [हि० सवा+या (प्रत्य॰)] १ दे० 'सवाई'। २ निर्णय न कर मकने के कारण, मानता हो। ३ ऐच्छिक । अधिक बढ चढ कर । उ०--कहि रामानंद सबद सवाया और इच्छानुकूल (को०)। ४ जो विकल्प या अतर (ज्ञाना और ज्ञेय सवै घट रीता।--रामानद०, पृ० १३ । मे) मानता हो। सवार'-मशा पु० [फा०] १ वह जो घोडे पर चढा हो । अश्वारोही। सविकल्प'--साशा पुं० १ दो प्रकार की ममाधियो मे से एक प्रकार की २ अश्वारोही सैनिक । रिसाले का सिपाही। ३ वह जो समाधि । वह समाधि जो किसी बालंबन की सहायता से होती किसी चीज, हाथी, घोडा, ऊंट यान आदि पर चढा हो। है। २ वेदात के अनुमार ज्ञाता और ज्ञेय के भेद का ज्ञान । ४ घडमवार सिपही। सविकल्पक-सधा पुं० [स०] > 'मविकल्प' । सवार'--वि० १ किमी चीज पर चढा या बैठा हुआ । जैसे,-वे सविकार-वि० [#०] १ जिसमे विकार हो। विकार वा विकृति- गाडी पर सवार होकर घूमने निकलते हैं। २ नशे मे मस्त युक्त । २ जो उन्मिपित या विकसित हो रहा हो। ३ (फल, या मतवाला। खाद्य प्रादि) जो मदा गला हो । गलित । खराब [को०] । सवार'--सज्ञा पुं० [हिं०] १ प्रभात । सुबह । भोर । २ शीघ्र । सविकाश, सविकास-वि० [स०] १ विकासयुक्त । विस्तारयुक्त । सवारना-क्रि० स० [हिं० मंवारना] दे० 'संवारना' । २ विकसित । खिला हुया । कातिमान [को०] । सवारी-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा०] १ किसी चीज पर विशेषत चलने के लिये सविग्रह-वि० [म०] १ गरीरी। विग्रहयुक्त । मूर्तिमान् । देहधारी। • अर्थवाला । मार्थक । ३ सघर्परत । भगडालू [को०) । चढने की क्रिया। २ वह चीज जिमपर यात्रा आदि के लिये चढते हो। सवार होने की वस्तु । चढने की चीज। जैसे,-- सविचार--सज्ञा पुं० सं०) चार प्रकार की सविकल्प समाधियो मे मे घोडा, हाथी, मोटर, रेल आदि । एक प्रकार की समाधि । मुहा०-सवारी लेना = मवारी के काम मे लाना । सवार होना । सविज्ञान - वि० [म०] १. विज्ञानयुक्त । विशिष्ट ज्ञान सहित । २ ३ वह व्यक्ति जो सवार हो । जैसे-एक्केवाले चार पाने की सवारी विवेकयुक्त । विचारवान् । मांगते है। ४ जलूस । जैसे,—राजा साहब की सवारी सविडालभ-मशा पुं० [म० सविडालम्भ] नाट्यशास्त्र के अनुमार वन धूम से निकली थी। ५ कुश्ती मे अपने विपक्षी को एक प्रकार का परिहाम या मजाक । जमीन पर गिराकर उनकी पीठ पर बैठना और उसी दशा मे सवितर्क'---मञ्ज्ञा पु० [स०] चार प्रकार की सविकल्प समाधियो मे से उसे चित करने का प्रयन्न । एक प्रकार की समाधि । क्रि० प्र०--कसना। सवितर्क-वि० वितर्कयुक्न । विचारशील [को०] । ६ सभोग या प्रसग के लिये लिये स्त्री पर चढने की क्रिया। सविता'-सञ्ज्ञा पुं० [५० सवितृ] १ सूर्य। दिवाकर । २ बारह की (बाजारू)। सरया। ३ पाक । अर्क | मदार। ४ शिव का एक नाम क्रि० प्र०--कसना । - गाँठना। (को०)। ५ इद्र (को०)। ६ जगत्त्रष्टा । ससार का रचयिता सवाल--सद्या पुं० [अ०] १ पूछने की क्रिया । २ वह जो कुछ पूछा (को०)। ७ अट्ठाइस व्यासो मे से एक (को॰) । जाय । प्रश्न । ३ अर्जी । दरखास्त । माँग । याचना। सविता-वि० [वि० सी० सविनी] जनक । उत्पादक। सप्टा [को०] |