पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जाते हैं। सहदीक्षित ५०२७ सना सहदीक्षित--वि० [सं० ) जिन्होने एक माथ दीक्षा प्राप्त की हो । सहधर्मचरण--सशा पुं० [सं०] स्वामी या पति के गार पत्र का सहदोक्षिती-वि० [सं० महदीक्षितिन्] एक माय दीक्षा लेनेवाले यो०)। पालन करना पो०] । सहद्लर--ना पु० [स० शार्दूल] सिह । शार्दूल । सहवर्मचरी--समाग्दी [१०]न्त्री । पत्नी। जोर। सहदेई-सा स्त्री० [स० महदेवी] क्षुप जाति की एक वनोपधि जो सहधर्मचरिणी-सश रसी[३०] १ स्त्री। पन्नी। भार्ग। २ समिरगी। पहाडी भूमि मे अधिक उपजती है। सहधर्मचारी--मडा पुं० [सं० गल्धर्मचारिन्] १ यह जो गार गाथ विशेप-यह तीन चार फुट ऊँची होती है। इसके पत्ते बथुए के कर्तव्य, धर्म का पालन करता हो । २ गाविया पनि । पत्तो वे समान होते है । वर्षा ऋतु मे यह उगती है। बढने के साथ साथ हमके पत्ते छोटे होते जाते हैं। पत्तो को न सहधर्मिणी-सपा सौ० । ०] पत्नी । स्त्री (को० । फूलो की कलियां निकलती है। ये फूल वग्यिारे के फूलो की सहधर्मी-वि० [म० सहमिन्] मान रर्त या वर्गयुक्न 'को०] । भांति पीले रंग के होते है। इसके पौधे चार प्रकार के पाए सहन'-- सपा पुं० [सं०] १ महने की निया। बरदात करना । २ क्षमा । शानि । तितिक्षा । ३ दे० 'सहनशीन'। सहदेव-साश पुं० [म०] १ राजा पाडु के पांच पुत्रो मे मे सबसे सहन'-वि० सहनशील । सहिष्ण । २ शक्तियक्त । शक्तिशाली। छोटे पुन्न । २ क्षमा करनेवाला । क्षमाशील [को०] । विपेश-कहते है कि माद्री के गर्भ और अश्विनी कुमारो के औरस सहन-सा पुं० [अ० मह] १ मकान के बीच स गुना छोडा से इनका जन्म हुआ था, और ये पुरुपोचित सौदर्य के प्रादर्श हुया भाग। अंगनाई। अजिर । आँगन । नौका । - मकान माने जाते थे। द्रौपदी के गर्भ मे इन्हे श्रुतसेन नामक पुत्र के मामने का स्ला छोडा हुअा मन न माग । द्वार प्रकोप्ठ । उत्पन्न हुआ था । ये बडे विद्वान् थे । विशेप दे० 'पाडु'। प्रघण । प्रघाण । (म० पोर्टिगे, पोर्च)। उ० बाहर गहन मे दो गाडियां सड़ी थी।-कठहार, पृ० ३८२ । २ जरासंध का पुत्र । महाभारत युद्ध मे इसने पाडवो के विपक्षियो का साथ दिया था। यह अभिमन्यु के हाथ से मारा गया था। यौ०-सहनदार= मकान जिसमे सहन हो । ३ हरिवश के अनुसार हर्यश्व के एक पुत्र का नाम । ३ एक प्रकार का बटिया रेशमी कपटा। ४ एक प्रकार का सहदेवा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ सहदेई । पीतपुष्पी। विशेप दे० मोटा, गफ, चिकना सूती कपडा जो मगहर में अच्छा बनता 'सहदेई । २ वरियारा । बला । ३ दडोत्पल । ४ अनतमूल । है । गाडा। शारिवा। ५ सरहँटी। साक्षी। ६ प्रियगु । ७ नील । सहनक-मधा पुं० [अ० सह नक] १ एक प्रकार की छिछली रकाबी ८ मोनवली नामक वनस्पति जो भारतवर्ष मे प्राय मभी प्रातो जिसका व्यवहार प्राय मुसलमान लोग करते है। छोटा में पाई जाती है। तवक । २ वीबी फातिमा की नियाज या फातिहा (गुनन०)। विशेप - यह क्षुप जाति की वनस्पति है। इसकी ऊंचाई दो फुट सहनची--सहा रसी० [अ० मह, नची) सहन की बगर' गे बनाया हुग्रा तक होती है। इसकी डटी के नीचे के भाग मे पत्ते नही छोटा दातान या कमरा (को०] । होते । पत्ते दो से चार इच तक चौडे, गोल और सिरे पर कुछ सहनभडार, महनमंटार-मश ५० [अ० राह्न + म० नगार] १ तिकोने होते हैं। इनकी इडियाँ १-२ इच लवी होती है । कोप । राजाना । निधि । २ धनगशि । दोनत । उ०-निन फूल छोटे छोटे होते है। यह वनस्पति ग्रीपध के काम मे दिए बमन मनि भूपण राजा महन मेंदार । मागध नूत गाट नट ग्राती है। जाचक जहें जहें करहिं कवार ।-तुलसी (शन्द०)। ६ गागनत के अनुसार देवक की कन्या पीर वसुदेव की पत्नी सहनर्तन-ससा पुं० [सं० माथ मे नाचना । साथ गाय न्य गन्ना (को०)। का नाम। सहनशील-वि० [म०] १ जिसका प्रभाव पहन करने का हो। जो सहदेवी-सशा ग्लो० [म०] १ महदेई । पीतापुपी। विशेष दे० सरलता ने सह नेता हो। बरदान गारनेनाना । समिण। २ 'राहदे । २ सपक्षिी । सन्हंटी। ३ बरियारा । वला (यो । मतोपी । धयं धारण फरोजाना। नर गारनेवाला। ४ अनतमृत (को०)। ५ गहानीली । ६ पियगु । ७ राहदेव सहनशीलता-तया ग्री० [सं०] १ गोल हो पा माप । २ को एक पत्नी का नाम (को॰) । धीरता। सतोप । मत। सहदेवीगए-मक्षा १० [सं०] महदे, यता, शतमूली, शतावर कुमारी, च, मिरी और व्याघ्रो आदि प्रोपधियो का सगृह जिनसे सहना-क्रि० स० [स० रहन] १ बयान नाचना । नौगना। जो,-(स) अपने पाप ताण ही तुमानापमही हो। देवप्रनिगायो को स्नान कराया जाना है। (च) अब तो यह राष्ट नागे ना जरा। (ग) तुम पयो सहधर्म-सा पुं० [सं०] समान धर्म, प्राचार, पर्तव्य आदि । उसके लिये बदनामी गहने हो। २ परिणाम भागना। अपने सहधर्मचर--दि० पुं० [१०] सहधर्म का पालन करनेवाला [को०)। ऊपर लेना । फन गोगता । जंगे,-नाम मे पाटा होगा,