पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२१४

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सहायता ५०३४ महिदानी सहायता-संज्ञा स्त्री० [मं०] १ किसी के कार्यसपादन मे शारीरिक या सहालग--सरा पुं० [सं० माहिन्य (= मवत्र)] १ वह वर्ष जो हिंदू और किसी प्रकार योग देना । ऐसा प्रयत्न करना जिसमे किसी ज्योतिपियो के कथनानुसार गुभ माना जाता है। २ वे माम का काम कुछ आगे बढे । मदद । सहाय । जैसे,-मकान बनाने या दिन जिनमे विवाह के महंत हा । व्या गादी रे दिन । मे सहायता देना, किताब लिखने में सहायता देना। २ मित्रो सहालाप--सज्ञा पुं० [म०] किमी के साथ बातचीत को । का सम्ह (को०)। ३ वह धन जो किसी कार्य को प्रागे सहाव--वि० [सं०] १ 'हाय' 7 युक्त । २ कागानका । पिलानी (पो०] । वढाने के लिये लिये दिया जाय । मदद । जैसे,—उन्हे लडकी के सहावल-मग पुं० [फा० शापून] लोहे या पत्थर का वह लटकान व्याह मे कई जगहों से सौ सौ रुपए की महायता मिली। जिमे तागे में लटकाकर दीवार की मिधाई नापी जाती हैं। क्रि० प्र०-करना।-पाना।--देना ।-मिलना ।--होना। शाकून । लटकन । मनमाल । विशेष ० 'माहत' । सहायत्व--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ मित्रता । मैत्री। २ मित्र मडल। मित्र सहासन--मरा पुं० [सं०] एक ही ग्रामन पर बैठना [को०)। सम्ह । ३ सहायता मदद [को०] । सहासिका-सजा सी० [सं०] माथ साथ बैठना । महगोष्ठी पिो.] । सहायन--सशा पुं० [स०] १ साथ देना या रहना। २ अनुगमन । सहिजन-सज्ञा पुं० [सं० शोभाजन] २० 'सहिजन' । साथ जाना [को०)। सहिजन--पग पुं० [सं० शोभाजन] एक प्रकागा का बानो सहायवान् -वि० [म० सहायवत्] १ मित्रवाला। सगी सायी से भारत के प्राय मना प्राता मे उ-पन हाता है, पर अवध में युक्त । २, सहायताप्राप्न । जिमे मदद मिली हो [को०] । अधिक देखा जाता है । शोभा जन। मुनगा। सहायी'--वि० [स० सहायिन्] [वि॰ स्त्री० सहायिनी] साथ जाने या विशेष-इमको पाल मोटी होती है पर तानी अधिन को नहीं होती। पत्ते गुलतुरी के पत्ता को तरह हात हा अतिर माम म दमन अनुगमन करनेवाला। ऋतु के प्रारभ तक इसमे फूत रहते हैं। मो एन एस इच सहायो-मज्ञा पु० [सं० सहाय + ई (प्रत्य॰)] १ सहायक । मददगार। के पेरे मे गोलाकार सफेद रग रे हात हार बहुत ने एक सहायता करनेवाला । २ सहायता । मदद । सहाय । साय गुच्छे मे लगते है। इनके फन पत्र मे बीन व नवी सहार'-सज्ञा पु० [सं०] १ आम का पेड़। आम्रवृक्ष । सहकार । फलियो के आकार के होते है जिनको मोटाई एक ग्राम से २ महाप्रलय। अधिक नही हातो । ये फन तरकारी क काम म ग्रान है। इसके सहार-सशा पुं० [हि० सहना] १ बर्दाश्त । सहनशीलता । २ सहन वीज सफेद रंग के पोर निकान हाते हैं। दोनोस उत्पन करने की क्रिया। होने के अतिरिक्त यह डाल लगा दने में नी लग जाता है और शीघ्र फलने लगता है। यह ग्रापधि के काम में भी लाया जाता सहारना -कि० स० [स० सहन, हिं० सँभाल या सहाय] १ सहन करना । वश्ति करना। सहना । उ०-कठिन बचन सुनि है। कही कही नीले रंग के पूलावाला सहिजन भी पाया जाता है। श्रवन जानको सको न वचन सहार। तृण अतर दै दृष्टि तिरीछी दई नैन जलधार ।-सूर (शब्द॰) । २ अपने सहिजानी-सज्ञा स्त्री॰ [स० नजान] निशानी । चिह्न । पहचान । ऊपर भार लेना। संभालना। ३ गवारा करना । सहिस'-अव्य० [सं०] १ साथ । समत । सग। युक्त । जैसे,—सोता और लक्ष्मण सहित रामजी वन गए थे। सहारा-सञ्ज्ञा पुं० [स० सहाय] १ मदद । सहायता। कि० प्र०--देना । —पाना ।-मिलना।--लेना। सहित-वि० १ युक्त । साथ। २ वरन या सहन किया हुया । झला या भागा हुप्रा । ३ (ज्यातप) किसा क साथ लगा २ जिसपर बोझ डाला जा सके । ग्राश्रय । पासरा । २ भरोसा। हुआ या सयुक्त (फा०] । ४ इतमीनान । सहित'-तशा पुं० वह धनुप जो ३०० पल का वजन संभाल सकता मुहा०-सहारा पाना = मदद पाना। सहारा देना = (१) हा [को०)। मदद देना । (२) टेक देना । (३) आसरा देना । (४) रोकना। सहितत्व-सशा पुं० [सं०] सहित का भाव या धम । सहारा ढूंढना = आसरा ताकना । वसीला ढूंढना । सहितव्य-वि० [०] सहन करने के योग्य । जा सहा जा सके। सहारोग्य-वि० [म०] स्वस्थ । रोगरहित (को०] । सहिता-वि० [स० सहित] सहनवाला। सहनशाल (को॰] । सहार्थ'—सशा पु० [स०] १ सहयोग । २ साधारण या समान सहित-सशा पु० [स०] सहन करने की क्षमता। घोरता । वय (फो०] । विषय । ३ प्रानुपगिक विपय (को०] । सहिथा@-सशा क्षो० [सं० शक्ति, हि० सैया, सहया] वरछो। साग । सहार्थ:--वि०१ समान अर्थ युक्त। २ समान उद्देश्य, वस्तु या विषय सहिदान--संज्ञा पुं० [सं० सज्ञान] चिह्न । पहचान । निशान । वाला (को०]। सहिदानी -सझा स्रो० [सं० सज्ञान] चिह्न। पहचान । निशान । सहार्द-वि० [स०] हृदयवाला । स्नेही (को०] । उ.--(क) सुनो अनुज इह वन इतनान मिलो जानकि प्रिया सहार्घ-वि० [सं०] आधे के साथ। जिसमे आधा और हो [को०) हरी। कुछ इक अगनि को सहिदानो मेरो दृष्टि परी। कटि