पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२३२

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साक्षात्कर्ता ५०५२ सखा साक्षात्कर्ता - वि० [सं० साक्षात्कर्तृ] साक्षात् करनेवाला [को॰] । साक्षात्कार- सज्ञा पु० [सं०] १ भेंट । मुलाकात । मिलन । २ पदार्थो का इद्रियो द्वारा होनेवाला ज्ञान । साक्षात्कारी--मज्ञा पु० [स० साक्षात्कारिन्] १ साक्षात् करनेवाला। २ भेट या मुलाकात करनेवाला । साक्षात्कृत-वि० [म.] माक्षात्कार कराया हया। प्रत्यक्ष कराया ह्या [को०)। साक्षात् क्रिया 1-सा सी० [सं०] १ अतर्ज्ञानपरक प्रत्यक्ष ज्ञान । २ प्रत्यक्षीकरण [को०)। साक्षादृष्ट वि० [म०] साक्षात् देख पा । प्रांखो से देना हुआ । साक्षिणी-वि० सी० [म०] साक्ष्य प्रस्तुत करनेवाली । प्रमाणस्वरूप । उ०-कहेगी शतद्रु शतसगरो की साक्षिणी सिक्ख थे सजीव । -लहर, पृ०६०। साक्षिता-मज्ञा सी० [म.] साक्षी का काम | साक्षित्व । गवाही । साक्षित्व सज्ञा पु० [०] माक्षिता [को०] । साक्षिद्वैध-सज्ञा पुं० [म०] साक्षी मे दुविधा होना [को०] । साक्षिपरीक्षा--सज्ञा स्त्री० [सं०] गवाह की परीक्षा [को०] । साक्षिप्त अव्य० [म०] अविचारपूर्वक । अविचारित । विना बिचारे । साक्षिप्रत्यय-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'साक्षीप्रत्यय' । साक्षिभावित-वि० [स०] गवाह के बयान से सिद्ध [को०] । साक्षिभूत-सज्ञा पुं० [स०] विष्णु का एक नाम । साक्षिमान्याधि--सज्ञा पुं॰ [सं०] साक्षियो के मामने गिरवी रखा हुया धन जिसकी लिखापढी न की गई हो। साक्षी-सज्ञा पुं० [स० साक्षिन्] [वि० सी० साक्षिणी] १ वह मनुष्य जिसने किमी घटना को अपनी आँखो देखा हो। चश्मदीद गवाह । २ वह जो किसी बात की प्रामाणिकता बतलाता हो । गवाह । ३ देखनेवाला । दर्शक । ४ परमात्मा (को०)। ५ दर्शन शास्त्र मे पुरुष या अहम् (को०) । साक्षी--वि०१ द्रप्टा । देखनेवाला । अपनी आंखो से किमी घटना को देखनेवाला [को॰] । साक्षी--सज्ञा स्त्री॰ किसी बात को कहकर प्रमाणित करने की क्रिया। साक्षीद्वैध-मझा पु० [म०] विरोधी बयान । वयानो मे परस्पर अत- विरोध (को०)। साक्षीपरीक्षा--सज्ञा सी० [म०] गवाह की परीक्षा लेना। जिरह (को०] । साक्षीप्रत्यय--सज्ञा पु० [भ०] गवाहो का बयान (को०] । साक्षीप्रश्न-बशा पु० [सं०] साक्षीपरीक्षा । जिरह (को०] । साक्षीभावित-वि० [म०] प्रमाण या सबूत से सिद्ध को०] । साक्षीभूत'--वि० [स०] १ साक्षात्कार करनेवाला । स्वयद्रष्टा । २ प्रमाणस्वम्प । उ०—बर सो जीवन मुक्त है तुरिया माक्षीभूत ।-सुदर० ग्र०, भा॰ २, पृ० ७८६ । साक्षीभूत'-मशा पु० विष्णु [को०] । साक्षीलक्षए-सञ्ज्ञा पु० [स०] साक्षी से सिद्ध । प्रमाण से सिद्ध [को०] । साक्षेप-वि० [सं०] १ पक्षपाती । पक्ष लेनेवाला। आपत्तिजनक । २ व्यग्यपूर्ण । नाने से युक्त किो०] । साक्ष्य'--संज्ञा पुं० [40] १ साक्षी का काम | गवाही। शहादत । प्रमार। | 30---रिया माह के निधन के लगभग ३० वर्ष बाद ही इम पथ के तीन मापो के माधय के प्राधार पर अपना वृत्तात लिया था।-गत० दरिया, पृ० ८ । २ दृश्य । साक्ष्य-वि० दृश्य । दिवाई देनेवाला। (ममासात में प्रयुक्त) । साखर-सग पुं० [हिं० साक्षी] १ माक्षी। गवाह । २. गवाही। शहादत । उ०-(क) तुम वसीठ राजा की अोरा । मात्र होइ यह भीख निहारा । -जामी (शब्द०)। (ग) मो मुजा, कलाई तेहि विधि जाय न भास। पकन हाय होव जेहि तेहि दरपन का साग ।-जायसी (शब्द०)। मुहा०-साख पूग्ना = सानी भरना । समर्थन करना। साख'-मज्ञा पुं० [सं० शाका, हिं० मापा] १ धाक । रोब । २ मर्यादा। उ०-प्रीति वेन उरझड जर तय मुजान मुख साब ।-जायसी (शब्द०)। 2 बाजार मे वह मर्याना या प्रतिष्ठा जिसके कारण ग्रादमी लेन देन कर माता हो। लेन- देन का सरापन या प्रामाणिकना । जैसे,—जबनक बाजार मे सास बनी थी, तबतर लोग लायो स्पा का मान उन्हें उठा देते थे । ४ विश्वास । रोना । क्रि० प्र०-बनना । -निगडना । साख-मज्ञा ग्बी० [सं० शाखा] १ दे० 'साखा' । २ उपज । फमल । उ०-ढाटी एक सदेमडउ कहि ढोलउ ममझाइ । जोवरण प्रांवउ फलि रह्य उ माख न बावउ पाइ।-ढोला०, दू० ११७ । साखg'-मशा सी० [सं० गिला] शिखा। ज्वाला। उ०-सपख अगनग सान सी। रत रोप मारग राप सी।-रघु. 50, पृ०६७॥ साखत-सरा पुं० [२] घोड़े के आभूपण विशेष। उ० - साखत पेमवद अरु पूजी। हीग्न जटित हैकलें दूजी । हम्मीर०, पृ०३। साखना--क्रि० स० [म० साक्षि, हिं० साख+ना (प्रत्य०)] साक्षी देना। गवाही देना। शहादत देना। उ०-जन की और कौन पत राव । जात पांति कुलकानि न मानत वेद पुराननि सान्छे ।-सूर०, ११५ । साखर@t-वि० [स० माक्षर] जिसे अक्षरो का ज्ञान हो । पढा लिखा। साक्षर। साखाज-राज्ञा सी० [म० शाखा] १ वृक्ष की शाखा। डाली । टहनी। उ०-भरी भार साखा रही भुम्मि लग्गी। लगे सकुल पादप ते उमग्गी।-ह. रासो, पृ० ३५। २ वश या जाति की शाखा या उपभेद । ३ दे० 'शाखा'। ४ वह कोली जो चक्की के बीच मे लगी होती है। चक्की का धुरा। ५ सोचने विचारने का सिलसिला। विचारमम । उ०-को करि तर्क बढ़ावं साखा।-मानस, ११५२ ।