पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२४२

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सादी ५०६२ सावन' ३ पतग उडाने की सादी डोर। वह डोर जिसपर मांझा सा०, पृ० ८४५। २ योगी। उ०--राजा इदर का राज न लगा हो। टोलाऊँ तो मै सच्चा साध । -भारतेदु ग्र०, भा०१, पृ० ३७६ । ३ अच्छा आदमी । सज्जन । सादी-वि० [म० सादिन] १ बैठा हुया । उपविष्ट । २ नष्ट करने- वाला । विनाशक । ३ सवारी करनेवाला (को०] | साध-वि० उत्तम । अछा। उ०- अशेप शास्त्र विचार के जिन जानियो मत साध ।-केशव (शब्द॰) । सादी'-सज्ञा पुं० १ घुडसवार। उ०--दीख पडते है न सादी आज । --साकेत, पृ० १६८ । २ वह जो हाथी पर सवार हो या साध-सज्ञा स्त्री० [स० उत्माह] १ इच्छा । ख्वाहिश । कामना । सवारी मे बैठा हो । ३ रथ हाँकनेवाला । सारथी (को०] । उ०-जेहि अस साध होइ जिव खोवा। सो पतग दीपक प्रस सादी'-सज्ञा पु० [स० सादिन] १ शिकारी । उ०--सहरज सादी सग रोवा 1-जायसी (शब्द०)। २ गर्भ धारण करने सातवें सिधारे । शूकर मृगा सवन बहु मारे ।--रघुराज (शब्द०)। मास मे होनेवाला एक प्रकार का उत्सव । इस अवसर पर २ अश्व । घोडा । (डि०)। स्त्री के मायके से मिठाई आदि पाती है। सादी-सज्ञा स्त्री० [फा० शादी] दे० 'शादी'। उ०-कहत कमाली साध-सशा पु० फर्रुखाबाद और कन्नौज के पास पास पाई जानेवाली कवीर की बानकी सादी से मै कुमारी भली सी।--कबीर एक जाति। म०, पृ० १६४॥ विशेप -इस जाति के लोग मूर्तिपूजा प्रादि नही करते, किसी के सादी-वि० [स० साधिन्, साधी] साधक । सिद्ध करनेवाला । सामने सिर नहीं झुकाते और केवल एक परमात्मा को ही उ०-- अविद्या न विद्या न सिद्ध न सादी। तुही ए तुही आराधना करते हैं। तुही एक आदी ।--पृ० रा०, २०६८ । साधक-सा पु० [म०] १ साधना करनेवाला । साधनेवाला। सादीनव-वि० [स०] पीडित । व्यथाग्रस्त [को०) । सिद्ध करनेवाला। २ योगी। तप करनेवाला। तपस्वी । सादुल---सज्ञा पु० [स० साधु] दे० 'साधु' । उ०--सतगुरु सादिक ३ जिमसे कोई कार्य सिद्ध हो। करए । वसीला | जरिया । रमता सादु ।---रामानद० पृ० ४६ । ४ भूत प्रेत को साधने या अपने वश मे करनेवाला । अोझा । सादुल, सादूल@--वधा पुं० [स० शार्दूल] दे० 'शार्दूल' 1 सिंह । ५ वह जो किसी दूसरे के स्वार्थसाधन मे सहायक हो । जैसे,—दोनो सिद्ध साधक बनकर आए थे। ६ पुत्रजीव वृक्ष । सादूर--सज्ञा पुं० [स० शार्दूल] १ शार्दूल । सिंह । उ०--चौथ ७ दौना । ८ पित्त । उ०-यालोचक, रजक, साधक, पाचक, दीन्ह सावक सादूरु । पाँचौ परस जो कचन मूरू।-जायसी भ्राजक इन भेदो से पित्त पांच प्रकार का है।-माधव०, (शब्द०)। २. कोई हिंसक पशु । पृ० ५८1 सादृश्य-सज्ञा पु० [स०] १ सदृश होने का भाव । समानता। एक- रूपता । २ बरावरी । तुलना । समान धर्म । ३ प्रतिमूर्ति । साधक-वि० [स्त्रो० साधका, साधिका] १ पूग करनेवाला। २ प्रतिबिब । ४ कुरग । मृग। कुशल । ३ प्रभावशील । ४ चमत्कारिक। द्रजालिक। सादृश्यता--सच्चा सी० [स० सादृश्य + ता] दे० 'सादृश्य' । ५ सहयोगी । सहायक । ६ निष्कर्पात्मक [को। साधकता-मज्ञा स्त्री० [स० साधक + ता (प्रत्य॰)] १ माधक होने सादृश्यत्व---मज्ञा पुं० [म० सादृश्य + त्व] सदृश होने का भाव । का भाव । २ उपयुक्तता । औचित्य । ३ उपयोगिता [को०] । सादृश्य। साहस-सज्ञा पुं० [स० सादृश्य] सम्मान । तुल्य । उ०-कपोल साधकत्व-सञ्चा पु० [म०] साधक होने का भाव या स्थिति ' साध- गोल प्रादृस, कि भौह भौर सादृस । -हम्मीर रा०, पृ० २४ । कता । उ०-साथ ही उक्ति के अलौकिक सुख साधकत्व को लेकर हम इसे चाहे तो अलौकिक विज्ञान भी कह सकते हैं । सादेह-क्रि० वि० [स० स + देह) देह के साथ । सशरीर । उ०- -शैली, पृ० २७ । सादेह दीस समुख भाई । नाद बिंद विधि देह बनाई।-घट०, साधकवति-सशा सी० [स०] साधक की बत्ती। ऐद्रजालिक बत्ती या पृ० २५८ । पलीता [को०)। साद्यत-वि० [स० साद्यन्त] पूर्ण । पूरा । सपूर्ण किो॰] । साधका-सशा [स०] दुर्गा का एक नाम जिसे स्मरण करने में सव साध-वि० [स०] नवीन । नया । ताजा [को०] । कार्यों की सिद्धि होती है। साद्यस्क'-वि० [सं०] १ तुरत होनेवाला। २ तत्काल फल देने- साधन' -सज्ञा पु० [स०] १ किसी काम को सिद्ध करने की त्रिया। वाला । ३ नया । ताजा (को०] । सिद्धि । विधान । २ वह जिसके द्वारा कोई उपाय सिद्ध हो । साधक-सञ्ज्ञा पुं० एक विशेष यज्ञ जिमका एक नाम 'साद्यस्क सामग्री। सामान । उपकरण । जैसे,—साधन के अभाव मे भी है [को०)। मै यह काम न कर सका। ३ उपाय । युक्ति । हिकमत साधत-सहा पु० [स० साधन्त] भिखारी। भिक्षुक (को०] 10 ४ उपासना । साधना । ५ सहायता । मदद । ६ धातुओ के साथ-सा पु० [स० साधु] १. साधु । महात्मा। उ०-योगेश्वर शोधने की किया। शोधन । ५ कारण। हेतु । सवव । ८ वह गति नहि पाई। सिद्ध साध की कौन चलाई।--कबीर अचार । सधान । ६ मृतक का अग्निसस्कार । दाह कर्म । १०.