सालना goló सालिव मिश्री सालना-क्रि० स०१ दुख पहुँचाना । व्यथित करना। उ०-सौति सालहज-सझा सी० [हिं०] दे० 'सलहज' । कौ साल सालै सरोर।--पृ० रा०, ११३७५ । २ चुभाना । सालहामान - hि० वि० [फा०] वर्षों मे। मुद्दतो मे। वर्षानुवर्ष । गडाना। ३ चारपाई की पाटी के दोनो छोर पर बने हुए काफी समय से। उ०--हिंदुनो मे मालहामाल से बर्ताव पतले हिस्से को उसके गोडो के छेद मे ठोक कर ठीक करना । एगानियत का चला आ रहा है ।--प्रेमधन०, मा० २, पृ०६ । सालनिर्याप--संज्ञा पु० [स०] गल । धूना । सर्जरस । करायल। साला'--मज्ञा पु० [स० श्यालक] [स्पी० सानी] १ पत्नी का माई। सालपान - सज्ञा पुं० [स० शालिपर्णी] एक प्रकार का क्षुप । कस- २ एक प्रकार की गाली। रवा । चाँचर। सानाg२--सज्ञा पु० [स० सारिका] मारिका। मैना। उ०---देखत विशेष-यह क्षुप देहरादून, अवध और गोरखपुर की नम भूमि ही गे सोइ कृपाला लखि प्रभात बोला तब साला।--विथाम मे पाया जाता है। यह वर्षा ऋतु के अत मे फूलता है। इसकी (शब्द०)। जट का प्रोपधि के रूप मे व्यवहार होता है। साला'–सञ्चा स्री० [सं०] १ दीवार । भित्ति । २. गृह । मान । दे० सालपर्णी-सज्ञा स्त्री० [स०] सरिवन । शालपर्णी ।
- शाला'।
सालपुष्प-सज्ञा पु० [सं०] १ स्थल कमल । २ पुडेरी। साला'-वि० [फा० सालर (प्रत्य॰)] माल का। वर्ष का। वीय । साल भजिका-सज्ञा स्त्री॰ [भ० सालभजिका] पुतली । मूत्ति । साल पर होनेवाला। (समस्त पदो मे प्रयुक्त)। जमे,- सालम मिश्री-सज्ञा स्त्री० [अ० सालव + मिस्री (मिश्र देश का)] एकसाला, पचमाला। सुधामूली । अमृतोत्था । वीरकदा । सालाकरी--तज्ञा स्त्री० [म०] १. गृह परिचारिका। २ युद्ध मे प्राप्त विशेप-यह एक प्रकार का क्षप है जिसकी ऊँचाई प्राय डेढ फुट पराजित पक्ष की स्त्री को०] । तक होती है। इसके पत्ते प्याज के पत्ते के समान और फैले सानातुरीय-सज्ञा पु० [स०] दे॰ 'शालातुरीय' । हुए होते है । डडी के प्रत मे फूलो का गुच्छा होता है। फल सालाना-वि० [फा० सालानह] साल का। वर्प का। वार्षिक । पीले रंग के होते है। इसका कद कसेरू के समान पर चिपटा, जैसे,—सालाना मेला, सालाना चदा । सफेद और पीले रग का तथा कडा होता है। इसमे वीर्य के समान गध आती है और यह खाने मे लसीला और फीका सानार--मज्ञा पुं० [स०] दीवाल मे गाडी हुई खूटी। नागदतिका होता है। इसके पौधे भारत के कितने ही प्रातो मे होते है, पर [को०)। कावुल, बलख, बुखारा आदि देशो की सालम मिश्री अच्छी सालार-मशा पुं० [फा०] १ मेनापति । सिपहनालार । २ नायक । होती ह । इसका कद अत्यत पौष्टिक होता है और पुष्टिकर नेता । प्रधान (को०)। ओपधियो मे इसका विशेष प्रयोग होता है। वैद्यक के अनुसार सालारजग-संज्ञा पु० [फा०] १ मेनापति । सेना का नायक । २. यह स्निग्ध, उष्ण, वाजीकरण, शुक्रजनक, पुप्टिकर और अग्नि- सैनिको की एक उपाधि (को०] । प्रदीपक माना जाता है। सालावृक-सत्रा पु० [स०] १ कुत्ता । श्वान । २ गीदड । सियार । ३ साल+-मशा पु० [स० शल्लकी] दे० 'सलई'। वृक । भेडिया। सालरस-सज्ञा पु० [स०] राल । धूना । सालावृकेय-सशा पु० [स०] कुत्ता, गोदट, त्यार, भेडिया आदि का सालवाहन-सज्ञा पुं० [म. शालवाहन शक जाति का एक प्रसिद्ध बच्चा (को०] । राजा। विशेप दे० 'शालिवाहन' । सालि-सक्षा पुं० [स० शालि] दे० 'शानि' । उ०-भरत नाम सालवेष्ट -सञ्ज्ञा पु० [स०] करायल । धूना। राल (को० सुमिरत मिटहिं, कपट, कलेस कुचालि । नीति प्रीति परतीति सालशृग-सज्ञा पु० [स० सालशृङग] दीवार या प्राचीर के आगे हित सगुन सुमगलि सालि ।-तुतमी ग्र०, पृ० ७८ । का हिस्सा। सालिए:--संज्ञा स्त्री० [सं० शल्य] साल । पीडा । चुभन । सालस- सज्ञा पु० [अ०] वह जो दो पक्षो के झगडो का निपटारा सालिक--वि० [अ०] १ पथिक । बटोही । मुसाफिर। राही। २ जो करे। पच । गृहस्थाश्रम मे रहने हुए बहुत बडा साधक हो (को०) । सालस-वि० [स०] १ आलसयुक्त । आलस के साथ । अलस सालिका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [१०] वाँसुरी (को०] । मद। सुस्त । अलसित । उ०-दो एक टोलियाँ, मद मद औ सालिगराम-सज्ञा पु० [म० शालग्राम] दे० 'शालग्राम' । उ०- सालस लालस प्रेम सनी, अरमान भरी, दो एक बोलियाँ - (क) उठे थन थोर विराजत वाम । धरे जनु हाटक सालिग- चाँदनी पृ०, ३४ । २ थका हुआ । श्लथ । क्लात (को॰) । राम ।-पृ० रा०,। (ख) रूपे के अरघा मनो पौढे सालिग- सालसा-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] खून साफ करने का एक प्रकार का अंग्रेजी राम ।-पोद्दार अभि०, ग० पृ० ३८६ । ढग का काढा जो अनतमूल आदि से बनता है। सालिग्राम-संज्ञा पु० [सं० शालग्राम] दे० 'शालग्राम' । सालसी-सज्ञा सी० [अ०] १ सालम होने की क्रिया या भाव । सालिनी-सज्ञा स्त्री० [स० शालिनी] दे० 'शालिनी' । दूसरो का झगड़ा निपटाना । २ पचायत । सालिब मिश्री-सबा खी० [अ० सालम मिस्री] दे० 'सालम मिश्री' । 1 "