पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२७७

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२ साहसिकती ५०६७ साहित्यशास्त्र तस्कर। ४, मिण्यावादी। ५ कर्कश वचन बोलनेवाला। साहा-सज्ञा पु० [म० साहित्य] १ वर्ष जो हिंदू ज्योतिप के अनुसार ६ परस्त्रीगामी। विवाह के लिये शुभ माना जाता है। २ विवाह आदि शुभ विशेष-शास्त्रो मे ,डाका, चोरी, झूठ बोलना, कठोर वचन कार्यों के लिये निश्चित लग्न या मुहूर्त । कहना और परस्त्रीगमन ये पाँचो कर्म करनेव ले साहसिक साहान माह-सज्ञा पु० [फा० शाहशाह] दे० 'शाहगाह' । उ०-- कहे गए है और अत्यत पापी बतलाए गए है। धर्मशास्त्रो मे माहान माह पालम निवाज । रनयम कोट चहुँ प्रान राज। इन्हे यथोचित दड देने का विधान है। स्मृतियो मे लिखा है हम्मीर०, पृ० १६। कि 'साहसिक व्यक्ति' की साक्षी नहीं माननी चाहिए क्योकि साहायक--सज्ञा पु० [म०] १ महयोग । मदद। सहायता। ये स्वय ही पाप करनेवाले होते है । मिनता। मैत्रो। ३ सहयोगियो या मित्रो का मडल । ४ ६ वह जो हठ करता हो । हठी । हठोला। ७ निर्भीक । निभय । उपकारक या सहायक सेना [को०) । निडर। ८ अविचारशील । अविवेको (को०) । माहाय्य-सज्ञा पु० [सं०] १ सहायता । मदद । २ दोस्ती। मैत्री। अत्याचारी (को०)। सग (को०)। ३ (नाटक मे) एक दूसरे को सकट मे मदद साहसिकता-सज्ञा स्त्री० [स० साहसिक + ता (प्रत्य॰)] साहसिक पहुँचाना (को०)। होने का भाव दिलेरपन । हिम्मत । उ०-कितनी सरल, साहाय्यकर-वि० [स०] मदद करनेवाला । सहायक (को०] । स्वतत्र और साहसिकता से भरी हुई यह रमणो है। -गाँधी, साहाय्यदान--सज्ञा पु० [स०] सहायता देना । मदद देना (को० । पृ० १६ । साहसिमय-सज्ञा पु० [म०] १ साहस दिखाने का भाव । साह- साहि-मशा पु० [फा० शाह] १ राजा। उ०--भूपन भनि ताके सिकता । प्रचडता। २ असमीक्ष्यकारिता । अविवेकिता। भयो, भुव भूपन नृप साहि । रातौ दिन सकित रहै, साहि सबै प्रौद्धत्य [को०] । जग माहि ।-भूषण ग्र०, पृ० ८ । २ दे० 'साहु' । साहसी'--वि० [स० साहसिन्] १ वह जो साहस करता हो। साहितg--मज्ञा पु० [स० साहित्य] दे० 'साहित्य' । उ० --मुरभृम हिम्मती । दिलेर । २ अविवेकी। उद्धत। ३ क्रूर । निष्ठुर पाठ पिंगल मता, साहित वोदग सार नै ।-रघु० रु०, पृ० १४ । (को०) । ४ असह्य । उग्र । प्रचड (को॰) । साहिती-मश स्त्रो० [म.] दे॰ 'साहित्य' । साहसी-सज्ञा पुं० बलि का पुत्र जो शाप के कारण गधा हो गया था। साहित्य-पज्ञा पु० [म०] १ एकत्र होना। मिलना। मिलन । २ इमे बलराम ने मारा था। वाक्य मे पदो का एक प्रकार का सबध जिसमे वे परस्पर साहसकरसिक--वि० [म०] साहसिकता मे ही आनद या रस मानने अपेक्षित होते है और उनका एक ही क्रिया से अन्वय होता है । ३ वाला । अत्यत अत्याचारी । उद्धत । उद्दड । क्रूर (को०] । किसी एक स्थान पर एकन किए हुए लिखित उपदेश, परामर्श या साहस्र-वि० [सं०] १ सहस्र सधी। हजार का। २ (व्याज विचार प्रादि । लिपिवद्ध विचार या ज्ञान । ४ अलकार शास्त्र । रीतिशास्त्र। काव्यकला। काव्यशास्त्र आदि। ५ गा ओर आदि) जो हजार पीछे दिया जाय (को०)। ३ जो हजार मे क्रीत किया गया हो (को०)। ४ सहस्रगुणित । पद्य सब प्रकार के उन ग्रथो का समूह जिनमे मावजनिक हित हजार गुना (को०) । ५ असख्य । अत्यधिक सख्यायुक्त । असख्येय (को॰) । सवधी स्थायी विचार रक्षित रहते है। वे समस्त पुस्तके जिनमे ६ हजार से युक्त (को०)। नैतिक सत्य और मानव भाव बुद्धिमत्ता तथा व्यापकता से प्रकट किए गए हो । वाडमय। साहस्र-सज्ञा पु० १ सहस्र का समूह। २ एक हजार सैनिको की विशेष-इस अर्थ मे यह शब्द बहुत अधिक मे भी टुकडी (को०)। बोला जाता हे (जैसे,--समस्त संसार का साहित्य), और साहस्रक'--वि० [स०] जो एक हजार से युक्त हो। एक हजार की देश काल, भापा या विषय आदि के विवार से परिमित रूप सख्यावाला [को०)। मे भी (जैसे,-हिंदो साहित्य, वैज्ञानिक साहित्य, विहारी साहस्रक-मज्ञा पु० १ एक हजार का समूह । एक सहस्र । २. एक का साहित्य आदि)। तीर्थ का नाम (को०] । ६. सगति । सामजस्य । तालमेल (को०)। ७ किसी वस्तु के उत्पादन साहस्रवेवी-सञ्ज्ञा पु० [स० साहस्रवेधिन्] कस्त्री । या किसी कार्य की सपन्नता के लिय सामग्रो का सग्रह (को०)। साहस्रात-सज्ञा पु० [स० साहस्रान्त] एक प्रकार का एकाह यज्ञ (को०]। साहित्यदर्पण-सशा पु० [म०] साहित्य शास्त्र का एक सुप्रसिद्ध ग्रथ साहस्राद्य-सचा पु० [स०] दे० 'साहस्रात' । जिसक रचयिता विश्वनाथ कविराज है। साहसिक-वि० [म०] सहस्र सबधी। हजार का । साहित्य शास्त्र--सशा पु० [स०] वह शास्त्र जिसने साहित्यिक विधानो साहसिक'--पञ्चा पु० किसी पदार्थ के एक सहस्र भागो मे से एक (अलकार, रस, रूपक, छद आदि) का शास्त्रोर ढग से भाग-१ मूल्याकन हो।