पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२९७

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सितूदा ६०१७ सिद्धा सितूदा-वि॰ [फा० सितूद्ह] प्रशसित । तारीफ के योग्य किो॰] । सिदौसी-तज्ञा स्त्री० [स० सद्यस्] १ तडके । मुंह अँधेरे । धुंधलका। यो०-सितूदाकार = उत्तम या प्रशसनीय कार्य करनेवाला। उ०--खूब सिदौसी, मुह अँधियारे वाकी चकिया जब पुकारे, सितून--सज्ञा पुं० [फा०] १ स्तभ । खभा। थूनी । २ लाट। तब तू वाकी सुनियो ना, गुइयाँ, प्रीति को मरम काहूते वतयो मीनार । ना। -कुकुम, पृ० ८३ । २ जल्दी। शीघ्र । विना विलव लगाए। उ०---अमर नगर पहिचान सिदौसी तब नहि पावन सितेक्षु-सञ्ज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का गन्ना [को॰] । जाना रे ।-चरण० वानी, पृ० १०६ । सितेतर'-वि० [स०] (श्वेत से भिन्न) काला या नीला । सिद्गुड--सज्ञा पु० [स० सिगुद्ण्ड] वह वर्णसकर पुरुष जिसका पिता सितेतर-सचा पु० १ कृष्ण धान्य । काला धान। २ कुलथी। ब्राह्मण और माता पराजकी हो । कुरथी। सिद्दीक--वि० [अ० सिट्टीव] बहुत सच्चा । ईमानदार [को०) । सितेतरगति--सज्ञा स्त्री॰ [स०] अग्नि । आग । सिद्धत -सज्ञा पु० [स० सिद्धान्न] दे० 'सिद्वात । उ०--सोइ सुनिय सिद्धत सत सब भापत वोई । —सुदर ग्र०, भा० १, पृ० ३६ । सितोत्पल--मज्ञा पु० [म०] सफेद कमल । सिद्ध-वि० [सं०] १ जिसका साधन हो चुका हो । जो पूरा हो गया सितोदर सज्ञा पु० [सं०] (श्वेत उदरवाला) कुवेर । हो । जो किया जा चुका हो । सपन्न । सपादित । निवटा हुआ। सितोदरा- सज्ञा स्त्री॰ [स०] (श्वेत उदरवाली) एक प्रकार की कौडी। अजाम दिया हुआ। जैसे,—कार्य सिद्ध होना। २ प्राप्त । सितोद्भव'-सञ्ज्ञा पुं० [म०] चदन । सदल । सफल । हासिल । उपलब्ध। जैसे,—मनोरथ सिद्ध होना। सितोद्भव-वि० चीनी से उत्पन्न या बना हुआ । प्रयत्न सिद्ध होना । उद्देश्य सिद्ध होना । ३ प्रयत्न मे सफल । सितोपल-सज्ञा पुं० [सं०] १ कठिनी । खडी । खरिया मिट्टी । दुद्धी । कृतकार्य । जिसका मतलब पूरा हो चुका हो। कामयाव । ४ २ विल्लौर । स्फटिक मणि । जिसका तप या योगसाधन पूरा हो चुका हो। जिसने योग या तप द्वारा अलौकिक लाभ या सिद्धि प्राप्त की हो पहुँचा सितोपला--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ मिस्री। २ चीनी । शक्कर । हुया । जैसे,-बाबाजी वडे सिद्ध महात्मा है। ५ करामाती सितोष्णवारण-सञ्ज्ञा पु० [स०] सफेद आतपन या छाता [को०] । योग की विभूतियाँ दिखानेवाला । ६ मोक्ष का अधिकारी। सिथिल g--वि० [स० शिथिल] दे० 'शिथिल'। उ०--पुलक सिथिल ७ लक्ष्य पर पहुँचा हुअा। निशाने पर बैठा हुआ। ८ जो तनु वारि विमोचन । महि नख लिख न लगी सब सोचन । ठीक घटा हो। जिस (कथन) के अनुसार कोई बात हुई --मानस, २।२८०। हो। जैसे,--वचन सिद्ध होना, आशीर्वाद सिद्ध होना। सिद--सज्ञा पुं० [देश॰] वाली। जो तर्क या प्रमाण द्वारा निश्चित हो। प्रमाणित । सावित । निरूपित । जैसे,—अपराध सिद्ध करना। कथन को सत्य सिद्ध सिदक-सशा सी० [अ० सिद्क] निश्छलता। यथार्थता। सत्यता। करना। व्याकरण का प्रयोग सिद्ध करना । १० जिसका उ०--व अव्वल जवाँ सू च इकरार कर । सो भई सिदक कर फैमला या निबटारा हो गया हो। फैमन । निर्णीत। ११ मानना दिल वेहतर । -दक्खिनी०, पृ० १६२ । शोधित । अदा किया हुआ। चकना (ऋण ग्रादि) १२ सिदका-सज्ञा पु० [अ० सदकह.] दे० 'सदका' । सघटित । अतर्भूत । जैसे,—स्वभावसिद्ध वात । १३ जो सिदना-क्रि० स० [म० सीदति कष्ट पहुँचाना। पीडित करना । अनुकूल किया गया हो । कार्यसाधन के उपयुक्त बनाया हुआ। उ०--सम के दिलीप दिलीपति को सिदति है ।-भूपण ग्र०, गौ पर चढाया हुआ । जैसे,—उसको हम कुछ रुपये देकर सिद्ध पृ० ८२ कर लेगे। १४ आँच पर मुलायम किया हुआ। सीझा हुआ। सिदरी--सज्ञा स्त्री० [फा० सेहदरी] तीन दरवाजोवाला कमरा या पका हुग्रा । उबला हुआ । जैसे,—सिद्ध अन्न । उ०-वही के बरामदा । तिदुवारी दालान । उ०-बहु वेलिन बूटन सयुत मिद्ध रग से उसे रगते ।-प्रेमघन०, भा० २, पृ० २३६ । सोहै । परदा सिदरीन लगे मन मोहैं । --गुमान (शब्द०)। १५ प्रसिद्ध । विख्यात । १६ बना हुअा। तैयार । प्रस्तुत । उ०-पाछे दरजी वे वागा सब मिद्ध करि लायो।-दो सौ सिदाकत-सज्ञा स्त्री० [अ० सदास्त] सत्यता। सच्चाई। यथार्थता । उ०--मेरी हिमाकत का बयान आपकी लियाकत को सिदाकत बावन०, पृ० १७२ । १७ बसा हुआ । स्थापित (को०)। १८ वैध । न्याय्य (को०)। १६ सच माना हुआ (को०)। २० वश करता है।--प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० २४ । मे किया गया। जीता गया (को०)। २२ पूर्णत विज दक्ष सिदामा--सज्ञा पुं० [म० श्रीदामा] दे० 'श्रीदामा' । (को०) । २३ पावन । पवित्र । पुण्यात्मा (को०) । २४ दिव्य । सिदिक'--वि० [अ० सिदक] सच्चा। सत्य । उ०--प्रवाबकर अविनश्वर । नित्य (को०) । २५ सतुष्ट (को०) । २६ स्वकीय । सिद्दीक सयाने । पहिले सिदिक दीन वै आने ।--जायसी निजी । व्यक्तिगत (को०)। (शब्द०)। सिद्ध-पना पु० १ वह जिसने योग या तप मे सिद्धि प्राप्त की हो । सिदिक-सश सी० दे० 'सिदक' । योग या तप द्वारा अलौकिक शक्ति प्राप्त पुरप । जैसे,—यहाँ हिं• श० १०-३६