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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३०७

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सिर' सियासत ६०२७ 1 सियासत-सज्ञा सी० [स० शास्ति] १ शासन। दड । पीडन । २. कष्ट । यत्रणा। क्रि० प्र०--करना ।--होना। यौ०--सियामतगर = दड देनेवाला। सियासतगाह = (१) दड देने का स्थान । (२) मक्कारी का अड्डा। सियासतदा = नीतिज्ञ । राजनीति मे पटु । सियामी-वि॰ [फा०] १ राजनीति सबधी। राजनीति का। २ राजनीतिज्ञ [को०। सियाह'--वि० [फा०] १ दे० 'स्याह' । २ अशुभ। मातमी । यौ०-सियाहकार = दुश्चरित्र । गुनाहगार । सियाहकारी= गुनाह । बुरा काम । मियाहगोश । सियाहचश्म = (१) जिसकी अखे काली हो। (२) वेवफा। (३) शिकारी चिडिया । सियाहजवाँ = जिसका शाप तुरत सिद्ध हो। सियाहदस्त = कजूस। कृपण। सियाहदाना = (१) स्याहदाना। काला जीरा। (२) धनियाँ । (३) सौफ का फूल । सियाहदिल = (१) निष्ठुर । क्रूर । (२) गनाहगार। अपराधी । सियाहपोश (१) काले कपडे पहननेवाला। (२) मातम या शोक मनाने- वाला। सियाहवक्त = अभागा। वदकिस्मत । सियाहवस्ती = दुर्भाग्य । अभाग्य । सियाहमस्त = मदमत्त । नशे मे चूर । सियाह- मस्ती- अत्यधिक मस्ती। सियाहरू = (१) पापी । वदकार। (२) काले मुंह का। कृष्णमुख । सियाहसफेद = हित अहित । बुराई भलाई। सियाह-सशा पु० [अ०] १ चीख पुकार । वावे ना। चिल्लाहट । २ जोर की आवाज । निनाद । ३ रोना पीटना [को०] । सियाहगोश-सशा पु० [फा०] १ काले कानवाला। २ बिल्ली की जाति का एक जगली जानवर । वनविलाव । विशेप-इसके अग लवे होते है, पूंछ पर बालो का गुच्छा होता है और रग भूरा होता है। खोपडो छोटी और दाँत लवे होते है । कान बाहर की ओर काले और भीतर की ओर सफेद होते है। इसकी लवाई प्राय ४० इच होती है। यह घास की झाडियो मे रहता और चिडियो को मारकर खाता है। इसकी कुदान पांच से छह फुट तक की होती है । यह सारस और तीतर का शत्रु है। यह बडी सुगमता से पाला और चिडियो का शिकार करने के लिये सिखाया जा सकता है । इसे अमीर लोग शिकार के लिये रखते है। सियाहत-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ देश देश घूमना । पर्यटन । २ यात्रा। सफर (को०] । सियाहपोश--वि० [फा० सियाह + पोश] १ काला या नीला कपडा पहननेवाला । २ अशुभ या भद्दा पोशाक पहने हुए। उ०- हरवक्त सियाहपोश मू मे लूको लगाए।-प्रेमघन०, भा०२, पृ० १५५ । सियाहा-सज्ञा पु० [फा० सियाहह.] १ आय व्यय की वही । रोजना- मचा। वही खाता। २ सरकारी खजाने का वह रजिस्टर जिसमे जमीदारी से प्राप्त मालगुजारी लिखी जाती है। ३. वह सूची जिसमे काश्तकारो से प्राप्त लगान दर्ज करते है। मुहा०-सियाहा करना = हिसाब की किताब मे लिखना । टाँकना । चढाना। सियाहा होना = सियाहा मे दर्ज होना। लिखा जाना। सियाहानवीस--सज्ञा पु० [फा०] सियाहा का लिखनेवाला । सरकारी खजाने मे सियाहा लिखने के लिये नियुक्त कर्मचारी। सियाही-सज्ञा स्त्री॰ [फा०] दे॰ 'स्याही' । यौ०-सियाहीचट, सियाहीसोख = सोखता। ब्लाटिंग पेपर। सिरग--सञ्ज्ञा पु० [हिं० सिर] शीर्ष अग। दे० 'सिर'। उ०- सेतीस सहस सज्जे फिरग। तिन लव झूल टोपी सिरग। -पृ० रा०, १३।१८। सिर-सञ्ज्ञा पुं० [स० शिरस्] १. शरीर के सबसे अगले या ऊपरी भाग का गोल तल जिसके भीतर मस्तिष्क रहता है। कपाल । खोपडी। २ शरीर का सबसे अगला या ऊपर का गोल या लबोतरा अग जिसमे आँख, कान, नाक और मुंह ये प्रधान अवयव होते है और जो गरदन के द्वारा धड से जुडा रहता है। उ०--उत्थि सिर नवइ सब्ब कइ ।-कीर्ति०, पृ० ५० । मुहा०—सिर अलग करना = सिर काटना। प्राण ले लेना । सिर ऑखो पर होना = सहर्ष स्वीकार होना । माननीय होना । जैसे,—आपकी आज्ञा सिर आँखो पर है। सिर ऑखो पर विठाना, बैठाना या रखना = बहुत आदर सत्कार करना। (भूत प्रेत या देवी देवता का) मिर आना = प्रावेश होना। प्रभाव होना। खेलना। सिर उठाना = (१) ज्वर आदि से कुछ फुरसत पाना । जैसे,—जव से बच्चा पडा है, तब से सिर नही उठाया है । (२) विरोध मे खड़ा होना। शत्रुता के लिये सनद्ध होना। मुकाबिल के लिये तैयार होना । जैसे,- बागियो ने फिर सिर उठाया। (३) ऊधम मचाना । देगा फसाद करना । शरारत करना । उपद्रव करना । (४) इतराना। अकड दिखाना। घमड करना। (५) सामने मुंह करना। घरावर ताकना। लज्जित न होना। जैसे,--ऊँची नीची सुनता रहा, पर सिर न उठाया। (६) प्रतिष्ठा के साथ खडा होना। इज्जत के साथ लोगो से मिलना । जैसे,—जब तक भारतवासियो की यह दशा है, तब तक सभ्य जातियों के बीच वे कैसे सिर उठा सकते है ? उ०-मान के ऊँचे महल मे या जिसे, सिर उठाये जाति के बच्चे घुसे ।-चुभते०, पृ० ५ । सिर उठाने की फुरसत न होना = जरा सा काम छोडने को छुट्टी न मिलना। कार्य की अधिकता होना। सिर उठाकर चलना = इतराकर चलना । घमड दिखाया। अकडकर चलना। सिर उतरवाना = सिर कटाना। मरवा डालना । सिर उतारना = सिर काटना । मार डालना । (किसी का) सिर ऊँचा करना = समान का पान बनाना। इज्जत देना। (अपना) सिर ऊँचा करना=प्रतिष्ठा के साथ लोगो के बीच खड़ा होना। दस आदमियो मे इज्जत बनाए रखना । सिर प्राधाकर पड़ना= चिता भोर शोक के कारण सिर नीचा किए पड़ा या बैठा