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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३३

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संग्रहग्रहणी ४५४९ संघ यौ०-सग्रहकार = सग्रह करनेवाला । सग्रहग्रहणी । मग्रह संग्राम-मज्ञा पुं० [सं० सद गाम] युद्ध । लडाई । ममर । वस्तु = सग्रह के योग्य वस्तु । सग्रह श्लोक = पूर्वकथित प्रसग यौ०-गग्राम अगन = दे० 'सग्रामागरण'। उ०-सग्राम अगन को सक्षिप्त रूप मे बतानेवाला श्लोक । राम अग ग्रनग वहु मोमा नही ।-मानम, ६।१०२। सग्रहग्रहपी 1-सपा ग्नी० [मे० सट ग्रहग्रहणी] दे॰ 'सग्रहणो' । सग्रामकर्म = लडाई । सग्रामतुला = युद्ध की कसौटी (हार जीत सग्रहए-सशा पुं० [स० सड ग्रहण १ स्त्री को हर ले जाने को के रूप मे) । सग्रामतूर्य = लडाई या युद्ध का विगुल । रणतूयं । क्रिया । २ ग्रहण। ३ प्राप्ति । ४ नगो को जड़ने की सग्रामपटह । सग्राममूर्धा = युद्धभूमि में अगला मोर्चा | क्रिया । ५ मैथुन । सहवास । ६ व्यभिचार । सग्राममृत्यु = युद्धभूमि मे मरना । वीरगति । स्तन, कपोल, केश, जघा आदि वर्ण्य स्थानो का स्पर्श । सग्रामजित्'----सया पुं० [म० सटग्रामजित्] सुभद्रा के उदर से उत्पन्न विशेष-स्मृतियो मे इस अपराध के लिये कठोर दड लिखा श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । गया है। सग्रामजित्-वि० युद्ध मे विजयो (को०] । ८. सहारा देना । प्रोत्साहन । वढावा (को०)। ६ सकलन । सचय सग्रामपटह-सज्ञा पुं० [स० सडग्रामपटह। रण में बजनेवाला एक करना (को०) । १०. नियन्त्रण। वशीभूत या अपनी ओर प्रकार का वाजा । रणभेरी । रण डिमडिम । करना (को०)। ११ याणा करना (को०)। १२ उल्लेख करना (को०) । १२ मिलावट । मिश्रण (को॰) । सग्रामभूमि-सन्ना खो [भ० सडपाम भूमि वह स्थान जहाँ सग्राम होता हो। लटाई का मैदान । युद्ध क्षेत्र । उ०-सग्रामभूमि- संग्रहणी-सज्ञा स्त्री॰ [स० सड ग्रहणी] १ एक प्रकार का रोग जिसमे विराज रघुपति अतुलवल कोसल धनी ।-मानस, ६७० । भोजन किया हुआ पदार्थ पचता नही, बराबर पाखाने रास्ते निकल जाता है । ग्रहणी । सनामागए -सञ्चा पु० [स० सदग्रामादगण] युद्धभूमि [को०] । सग्रामार्थी-वि० [स० सडग्रामाथिन] लडाई विशेष-इसमे पेट मे पीडा होती है और दस्त दुर्गंधयुक्त, कभी चाहनेवाला । पतला कभी गाढा होता है। शरीर दुर्बल और निस्तेज हो युद्धेप्सु (को०] । जाता है। यह रोग चार प्रकार का होता है-वातज, सग्रामी-वि० [स० सडग्रामिन्] युद्ध करनेवाला । सग्रामलिप्त (को॰] । कफज, पित्तज और सन्निपातज। रात को अपेक्षा दिन के सग्राह-सञ्ज्ञा पु० [म० सडग्राह) १ ढाल का दस्ता या मूठ। २ समय यह रोग अधिक कष्ट देता है। यह रोग प्राय अधिक पकडना । बलपूर्वक पकडना। वलात् पकटना। ३. हाय की दिनो तक रहता और कठिनता से अच्छा होता है। वॅधी हुई मुट्ठा। मुष्टिवध । मुक्का। ४ मुट्ठी बाँधना । सग्रहणीय-वि० [सं० मड ग्रहणीय] १ सग्रह योग्य २ ग्रहण करने मुक्का बाँधना (को०)। ५. घोडे क उत्प्लवन का एक प्रकार । या लेने योग्य । ३ सेवन करने योग्य (रोग शाति के लिये दवा घोडे का हिनहिनाते हुए अगले पैरो से कूदना (को०)। आदि)। ४ नियन्त्रणीय (को॰] । सग्राहक-सज्ञा पुं० [स० सङग्राहक १ वह जो सग्रह करता हो। सग्रहना-क्रि० स० [सं० सट ग्रहण] १ सग्रह करना। सचय एकन्न या जमा करनेवाला। सहकारी। सकलन करनेवाला करना । जमा करना । उ०-सग्रहै सनेह वस अधम असाध (को०) । २ रथ का सारथी (को०) । ३ कब्ज करनवाला (को०) । को। गिद्ध सेवरी को कहो करिहै सराध को।-तुलसी ४ वह जो अपनी ओर खोचता या आकृष्ट करता हा (को०)। (शब्द०) । २ ग्रहण करना। पकडना । उ०-चायो सु धरह समाहित-वि० [स० सडग्राहित] सगह किया हुआ। जो ग्रहीत या विन सोसधार। सग्रह्यो बांह वामे कटार।-पृ०, रा०, ग्रा हो। ६१।२२८७ सग्रहालय-सला पुं० [स० सङ गहालय] वह स्थान जहाँ विशिष्ट सनाही-सचा पुं० [स० सडग्राहिन्] १ वह पदार्थ जो कफादि दोप, प्रकार की अलम्य प्राचीन वस्तुप्रो का संग्रह किया जाय । धातु, मल तथा तरल पदार्यों को सोचता हो। २ वह पदार्थ जो मल के पेट से निकलने मे बावक होता है। कब्जियत अजायबघर। करने वाली चीज । ३ कुटज वृक्ष । ४ दे० 'सग्राहक' (के, । सग्रही-सज्ञा पुं० [स० सडग्रहिन् ] १ सग्रह करनेवाला। जो एकन या जमा करता हो। उ०-नहिं जाचक नहि सग्रही सोम नाइ सग्राह्य-वि० [से० सदग्राह य] १ सग्रह करने योग्य । जो मग्रह या नहिं लेइ। ऐसे मानी मांगनेहिं को वारिद बिनु देइ । -तुलसी एकत्र करने योग्य हो। २ जमा करने लायक । ३ ग्रहण या ग्र०, पृ० १२७ । २ महसूल या लगान आदि उगाहनेवाला स्वीकरण योग्य (को०)। ४. किसी कार्य मे लगान, या रखने कर्मचारी । कर एकत्र करनेवाला। योग्य । ५. जिसे समझा जा सके । जिसे हृदयगम किया जा सके। सग्रहीता-सज्ञा पुं० [सं० सद्धगहीत] १ वह जो संग्रह करता हो । (शब्दसाति)। ६, जिसका अवरोध किया जा सके । रोकने जमा करनेवाला। एकत्र करनेवाला । २ स्वीकार या ग्रहण ताव अादि)। करनेवाला (को०)। ३ घोडे आदि का नियमन करनेवाला। ' सडप] १. समूह । समुदाय। दल। गण। सारथी (फो०)। । वह यमुदाय जो किसी विशेष उद्देश्य से एकत्र ।