पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३५

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संघरना सधारना सघरना-क्रि० स० [स० सहार+हिं० ना (प्रत्य॰)] १ सहार सघात'-सबा पु० [स० सडघात] १ जमाव । समूह । समष्टि । २. करना। नाश करना। २ मार डालना। उ०-गरगज चूर आघात । चोट । ३ हत्या। बध । ५ इक्कीस नरको मे से चूर होइ परही। हस्ति घोर मान्प सघरही।-जायसी एक नरक का नाम। ५ कफ। ६ नाटक मे एक प्रकार की (शब्द०)। गति । ७ शरीर। उ०-सो लोचन गोचर मुखदाता । देखत सघर्प-सज्ञा पु० [सं० सडघर्ष] १ एक चीज का दूसरी चीज के साथ चरण तमहुँ सघाता। स्वामी रामकृष्ण (शब्द०)। ८ निवास- स्थान । उ०-हो मुख राते सत्य के वाता। जहाँ सत्य तहँ रगड खाना। सघर्पण। रगड । घिस्सा। २ दो विरोधी व्यक्तियो या दलो आदि मे स्वार्थ के विरोध के कारण होनेवाली धर्म सघाता।-जायसी (शब्द॰) । ६ युद्ध। सघर्ष (को॰) । १० यात्रियो का दल। कारवाँ (को०)। ११ अस्थि । हड्डी प्रतियोगिता या स्पर्धा । ३ वह अहकारसूचक वाक्य जो (को०) । १२ कठोर अश (को०)। १३ ओघ। गति । प्रवाह अपने प्रतिपक्षी के सामने अपना वडप्पन जतलाने के लिये कहा (को०) । १४ (व्या०) समास (को०)। १५ घनीभूत करना । जाय । ४ किसी चीज को घोटने या रगडने की क्रिया। ठोस वनाना (को०)। १६ समिश्रणो का निर्माण (को०)। रगडना । घिसना। ५ असूया। ईर्ष्या । डाह (को०)। ६ सघात–वि० सघन । निविड । घना । कामोद्दीपन । कामोत्तेजना (को०)। ७ शत्रुता। वैर भाव (को०)। ८ धीरे धीरे चलना। टहनना । ९ शर्त लगाना। यौ०-सघातकठिन = (१) एक साथ मिलने पर कठिन हो वाजी लगाना। जानेवाला । (२) जो जम जाने से कठोर हो जाय । संघर्षण-सञ्ज्ञा पुं० [स० सङ्घर्पण] १ दे० 'सघर्ष' । २ अभ्यजन । सघातक-सञ्ज्ञा पु० [स० सडघातक] १ घात करनेवाला। प्राण अनुलेपन । उबटन (को०)। लेनेवाला । २ वह जो बरबाद करता हो। नष्ट करनेवाला। सघर्पजनन-वि० [स० सडपर्पजनन] सघर्ष पैदा करनेवाला । ३ एक प्रकार का नाटकीय अभिनय (को॰) । जिमने सथप हो। सघातचारो-सक्षा पुं० [स. सडघातचारिन्। वह जो अपने वर्ग के और प्राणियो या लोगो के साथ मिलकर, या उनका सघ सघर्पशाली-वि० [स० सर्पशालिन्] १ द्वेप करनेवाला । द्वेष्टा। २ होड करनेवाला [को०] । वनाकर रहता हो। सघर्षा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० सा] तरल या गीली लाह (को०] । सघातज-वि० [सं० सदघातज] त्रिदोप से उत्पन्न । सान्निपातिक । सनिपातवाला (को०] । सघर्षी-सञ्ज्ञा पुं० [स० सदपिन्] १ वह जो किसी प्रकार का संघर्ष करता हो । २ वह जो किसी के साथ प्रतियोगिता करता सघातपत्रिका-सक्षा स्त्री॰ [स० सङघातपत्रिका] १ शतपुष्पा | सोना । हो । प्रतिस्पर्धा करनेवाला। ३ रगडने या घिसनेवाला । २ सौ फ। मिश्रेया। सघातन-सचा पु० [स० सडघातन] मारना । वध करना। नाश सघवृत्त-सज्ञा पुं० [म० सडघवृत्त] कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार श्रेणी, समूह, सब की प्राचारविधि या व्यवहार (को०] । करना [को०] । सघवृत्ति [-सञ्चा औ० [स० सडघवृत्ति] साथ कार्य करने के निमित्त सघातबलप्रवृत्त-सञ्चा पु० [स० सङघातवल प्रवृत्त] सुश्रुत के अनुसार एकन्न होने या समिलित होने की क्रिया । सहयोग । एक प्रकार का आधिभौतिक और आगतुक रोग । सघस-सञ्ज्ञा पु० [स० सम् (उप०)+Vघस् ( = खाना)] भोजन सघातमृत्यु-पञ्चा स्त्री॰ [स० सद्धघातमृत्यु। सामूहिक मृत्यु । बहुतो की की वस्तु । ग्राहार [को०)। एक साथ मौत होना [को०] । सघाट-सञ्ज्ञा पु० [स० सङघाट] १ दल, समूह या सघ आदि मे रहने- सघातशिला -सज्ञा म्बी० [स० सडघातशिला] १ पत्थर जैसा कडा वाला । वह जो दल वाँधकर हो। २ लकडी ग्रादि को पिंड 1२ ठोस या बहुत कडा पत्थर (को०] । जोडना या मिलाना । जोडने का काम । बढईगिरी (को॰) । संघातिका-सशा प्री० [स० सडधातिका] अरणि को लकडी। अररिण- काष्ठ जिससे आग पैदा की जाती है [को०] । सघाटि-सज्ञा सी० [स० सडघाटि] दे॰ 'सघाटी' [को०] । सघाती'-सञ्ज्ञा पु॰ [स० सघ, हिं० सग+ग्राती (प्रत्य॰)] १ साथी । सघाटिका--सज्ञा स्त्री० [स० सडपाटिका] १ स्त्रियो का प्राचीन काल सहचर । २ मिन्न। का एक प्रकार का पहनावा। २ वह स्त्री जो प्रेमी प्रेमिका को मिलावे। दूती। कुट्टिनी। कुटनी । ३ युग्म । जोडा । सघाती'–सञ्चा पु० [स० सडघातिन्] सघातक । प्राणनाशक । सिंघाडा। ५ कुभी। ६ गध। महक । वास (को०) । सघात्य-सज्ञा पुं० [स० सडपात्य] दे० 'सघातक' । ७ घ्राणेंद्रिय । नाक (को०)। सघाधिप-सञ्ज्ञा पु० [स० सडधाधिप] सघ का स्वामी या प्रधान सघाटी-सदा सी० [स० सङघाटी] बौद्ध भिक्षुप्रो के पहनने का एक भिक्षु (जैन)। प्रकार का वस्त्र । सघार-सञ्ज्ञा पु० [म० सहार] दे० 'सहार'। सघाएक-सञ्ज्ञा पुं० [स० सदघाणक] श्लेष्मा । कफ जो नाक से सघारना -क्रि० स० [मं० सहार] १ सहार करना। नाश करना। निकलता है। २ मार डालना । हत्या करना । उ०-तह निपाद इक