पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४०

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४८५६ ज्ञाहीन सजीवित और अनेक कठिनाइयाँ सहने के उपरात अत मे उनसे यह सज्ञपित-वि० [सं० मज्जपित] १ बलि चटा टुमा । जिगकी बनि विद्या सीखकर पाए। कर दी गई हो। २ ससूचित । जो ज्ञापित किया 11 सजीवित-वि० [स० सञ्जीवित] फिर से जिलाया हुआ [को०] । हो (को०)। सजीवी-सज्ञा पु० [सं० सञ्जीविन्] वह जो मृतको को जीवनदान सज्ञप्त -वि० [म० सज्जप्त] २० सझपित' [को०] । देता हो । मुरदो को जिलानेवाला । सज्ञप्ति-पसा स्त्री॰ [म० सज्जप्ति] दे० 'मज्ञापन' । सजुक्त पु-वि० [स० सयुक्त दे० 'सयुक्त'। उ०-जय प्रनतपाल संज्ञा-पघा सी० [स० सज्ञा १ चेतना। होश । २ हि । अक्ल । दयाल प्रभु सजुक्त सक्ति नमामहे ।-मानस, ७११३ । ३ ज्ञान । ४ किसी पदार्थ आदि का बोधक शब्द । नाम । सजुगल-सज्ञा पुं० [स० सयुग] सग्राम । युद्ध। लडाई। उ०- प्राय्या। ५ व्याकरण मे वह विकारी शब्द जिमने किमी जोतेहु जे भट सजुग माहो। सुनु तापस में तिन्ह सम नाही । यथार्य या कल्पित वस्तु का बोध होता है। जैसे,--मकान, -मानस, ६१८६ नदी, घोडा, राम, कृष्ण, खेल, नाटक आदि । ६ हाय, मांख या सिर आदि हिलाकर कोई भाव प्रकट करना । सकेत । सजुत पु-वि० [स० ययुत] मयुक्त । मिश्रित । मिला हुआ। उ०- इशारा । ७ गायत्रो। सूर्य को पल्गे का नाम जा विश्वकर्मा (क) उहँई कीन्हेउ पिंड उरेहा। भइ सजल अादम के देहा । को कन्या थो । मार्क डेय पुराण के अनुसार यम और यमुना -जायसी (शब्द०)। (ख) श्रुति समत हरिभक्ति पथ का जन्म इसो के गर्भ से हुआ था। विशेप दे० 'छाया'-७। सजुत विरति विवेक ।--मानस, ७।१०० । ६ पदचिह्न (को०) । १० आज्ञा । आदेश (को॰) । सजुता--मवा ली० [स० सयुक्ता] एक प्रकार का छद जिसके प्रत्येक यौ०-मज्ञाकरण = (१) नामकरण । नाम वरना। (२) चेतना चरण मे स, ज, ग, होते है। इसे 'सयुत' या 'सयुता' भी लाना। होश में लाना । सज्ञापुन = यम । सज्ञापुत्री । सज्ञा कहते है। विपर्यय = होश गायब होना। सजासुत । मज्ञाहीन । सजोग-सञ्ज्ञा पुं० सं० सयोग] अवसर । मौका । सयोग । सज्ञाकरएरस-सज्ञा पुं० [स• सजाकरण रस) वैद्यक के अनुसार सजोगिता-सचा स्त्री० [हिं०] जयचद की कन्या का नाम जिसका चेतना लानेवाली एक औपच का नाम । पृथ्वीराज चौहान ने हरण किया था। विशेष-इस प्रौपध मे शुद्ध सिंगीमुहग, सेंधा नमक, काली मिर्च सजोगिनी प्री-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० सयोगिनी] वह स्त्री जो अपने पति या रुद्राक्ष, कटाली, कायफल, महुआ और समुद्र फल आदि पडते प्रेमी के पास अथवा साथ हो। सयोगिनी । वह स्त्री जो है। इनको माना वराव ( होती है । कहते हैं कि इसके सेवन से वियोगिनी न हो। मनुष्य का सनिपात रोग दूर हो जाता है। सजोगी-सक्षा पुं० [सं० सयोगिन्] १, वह जो सयुक्त या मिला सज्ञात-वि० [स० सज्जात] ठीक ढग से जाना या समझा हुआ। हुआ हो। २ वह जो भार्या सहित हो। प्रिया के सहित सुज्ञात [को०। दे० सयोगी'। ३ दो जुड़े हुए पिंजडे जो बहुधा यौ०-सज्ञातरूप = जिसका आकार प्रकार या रूपन्खा सर्व- तीतर पालनेवाले रखते है। विदित हो। सजोगो ---वि० दे० 'सयोगी' । सज्ञान-समा पु० [स० सज्जान] १ सकेत । इशारा। २ सम्यग् सज्ञ'--सक्षा पु० [सं० सज्ज] १ वह जो सब बातें अच्छी तरह जानता अनुभूति । ३ ज्ञान । समझ । बोध । हो। वह जो सब विपयो का अच्छा जानकार हो। २ सज्ञापन-सझा पुं० [१० सज्जापन] १ दूसरो पर कोई वात प्रक्ट पीतकाष्ठ । झाऊँ। करना । विज्ञापन । २ कथन । ३ शिक्षित करना । बतलाना। सज्ञ-वि०१ सञ्चा का। नाम का । नामवाला। नामक । २ होश मे सिखाना (को०) । ४. मारना । वध (को०) । आया हुआ । चेतनायुक्त। ३ जिसके दोनो घुटने परस्पर सज्ञापुत्रो-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० सज्जापुनी] यमुना का एक नाम । उ०- टकराते हो। ४ पूर्णत जानकार। पूरी तौर से जानने सज्ञापुत्री स्फुरच्छाया चद्रावलि चद्र लेख्या। तापकारनी नयनी वाला [को॰] । चद्र कातिका स्मृता ।-गिरधर दाम (शब्द०)। सज्ञक-वि० [सं० सज्जक] १ सज्ञावाला। जिसकी सज्ञा हो। २ सज्ञासुत-सञ्ज्ञा पुं० [सं० सज्ञासुन] शनि का एक नाम । विनाशक (को०)। सज्ञासूत्र-सहा पुं॰ [स० सज्नासूत्र] व्याकरण के अनुसार वे सूत्र जो विशेष--इस शब्द का प्रयोग प्राय यौगिक बनाने मे शब्द के सज्ञा का विधान करते हैं। प्रत मे होता है। सज्ञावान्-वि० [सं० सज्जावत्] १ नामवाला। २ सचेत। होश मज्ञपन-मज्ञा पुं॰ [स० सज्जपन] १ मार डालने की क्रिया। हत्या। मे आया हुया । चेतनायुक्त (को०)। बलि देना। २ कोई वात लोगो पर प्रकट करने की क्रिया। सज्ञाहीन-वि० [स० सज्जाहीन] जिसे सज्ञा या चेतना न हो। चेतना- विज्ञापन । ३ प्रतारणा । धोखाधडी (को०)। रहित । वेहोश । वेसुध । व्यक्ति ।