पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४०३

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लता। सुवर्णनकुली ७०२३ सुवर्णसिद्ध मुवर्ण नकुली-~-सा स्त्री० [सं०] वडी मालकंगनी। महाज्योतिष्मती सुवर्णमुखरी- -सज्ञा स्त्री० [स०] एक प्राचीन नदी का नाम ! सुवर्णभेखली-सा सी० [सं०] एक अप्सरा का नाम । सुवर्णपक्ष'---सज्ञा पुं० [स०] गरुड । सुवर्णमोचा [-सज्ञा स्त्री॰ [म०] सुवर्ण कदली । चपा केला (को०] । सुवर्णपक्ष-वि• सोने के पखोवाला । जिसके पर सोने के हो। सुवण यूथिका--पञ्चा सी० [२०] सोनजुही । पीली जुही। पीतयूथिका । सुवर्णपत्र--सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का पक्षी। सुवर्णयूथो -~-सझा सी० [म.] दे० 'सुवरणयूथिका' किो०] । सुवर्णपद्म-सज्ञा पुं० [सं०] लाल कमल । रक्त कमल । सुवर्णरभा--सा मी० स० सुवरणरम्भा] चपा केला । सुवर्ण कदली। सुवर्णपद्मा-सज्ञा स्त्री० [म०] स्वर्गगगा। सुवर्णरूप्यक-~पा पु० [सं०] सुवर्ण द्वीप (सुमात्रा) का एक सुवर्णपर्ण-सज्ञा पु० [स०] दे० 'सुवर्णपक्ष' प्राचीन नाम । २ वह भूमि या स्थान जहाँ सोने चांदी की बहुलता हो (को०)। सुवर्णपाव -सज्ञा पु० [स०] एक प्राचीन जनपद का नाम । सुवर्णरेख-~-सरा स्त्री॰ [स०] १ दे० 'स्वर्णरेखा' । २ बिहार प्रदेश सुवर्णपालिका-सज्ञा स्त्री० [म०] एक प्रकार का सोने का बना की एक नदी का नाम । हुना पान्न। विशेष--यह नदी बिहार के रांची जिले से निकलकर मानमूम, सुवर्णपिजर-वि० [सं० सुवर्णपिजर] सोने के समान पीला । सिंहभूम और उडीसा होती हुई वगाल की खाडी मे गिरती है । स्वर्णाभ [को०]। इसकी कई शाखाएँ है। सुवर्णरेतस--सज्ञा पु० [स०] एक गोत्रप्रवर्तक ऋपि का नाम । सुवर्णपुष्प-सा पु० [स०] १ बडी सेवती। राजतरूणी। २ सुवर्णरेता--सज्ञा पु० [स० सुवर्ण रेतस्] शिव का एक नाम । अम्लान पुष्प (को०)। सुवर्णरोमा'-सज्ञा पु० [स० सुवर्णरोमन्] १ भेड। मेप। २ महा- सुवर्णपुष्पित-सज्ञा पु० [स०] १ स्वर्ण से परिपूर्ण । सोने से भर- रोम के एक पुत्र का नाम । पूर । २ दीप्त । तेजोमय (को०। सुवर्णरोमा-वि० सुनहरे रोएँ या बालोवाला। सुवर्णपुप्पी --सज्ञा स्त्री० [सं०] एक पौधा किो०] । सुवर्णपृष्ठ-वि० [स०] जो सोने के पत्तर से मडित हो । स्वर्णमडित। सुवर्णवणिक-सज्ञा पु० [सं०] वगाल की एक वणिक जाति । सुवर्णलता--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] मालकगनी । ज्योतिष्मती लता। जिसपर सोना चढा हो'को०] । विशेष--हिंदू राजत्वकाल मे इस जाति के लोग सोने का कारवार सुवर्णप्रतिमा--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] सोने की मूर्ति । करते थे और अब भी बहुतेरे करते है। यह जाति निम्न और सुवर्णप्रभास--सज्ञा पुं० [सं०] वौद्धो के अनुसार एक यक्ष का नाम । पतित समझी जाती है। ब्राह्मण और कायस्थ इनके यहाँ का सुवर्णप्रसर-सज्ञा पु० [सं०] एलुआ । एलवालुक । जल नही ग्रहण करते । वगाल मे इन्हे 'सोनारवेणो' कहते हैं। सुवर्णप्रसव-सशा पुं० [सं०] एलुमा। एलवालुक । सुवर्णवान्--वि० [सं० सुवर्णवत्] [वि॰ स्रो० सुवर्णवती] १ स्वरिणम । सुवर्णफला-समा स्त्री० [स०] चपा केला। सुवर्ण कदली। स्वर्णनिर्मित । सोने का। २ सोने की तरह कातियुक्त । सुवर्णबिंदु-सज्ञा ० [सं० स्वर्णविन्दु] १ विष्णु का नाम । २ शिव सौदर्ययुक्त । शोभायुक्त [को०)। का एक नाम (को०)। सुवर्णवर्ण- 1-सज्ञा पु० [स०] विष्णु का एक नाम । सुवर्णभाड, सुवर्णभाडक--सज्ञा पुं० [स० सुवर्णभाण्ड, सुवर्ण- सुवर्णवर्ण-वि० साने के रग का । सुनहरा । भाण्डक] सोना या रत्न रखने की पेटी। सुवर्णवर्णा-सज्ञा सो० [०] हलदी। हरिद्रा । सुवर्णभू सज्ञा पुं० [स०] ईशान कोण मे स्थित एक देश का नाम । सुवरणवृषभ--शा पु० [स०] स्वर्ण निर्मित वृपभ। सोने का बना विशेष-बृहत्सहिता के अनुमार सुवर्णभू, वसुवन, दिविष्ट, पौरव हुअा बैल [को०)। ग्रादि देश रेवती, अश्विनी और भरणी नक्षत्रो मे अव- सुवर्णशिलेश्वर-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्राचीन तीर्थ का नाम । सुवर्णस्त्री-सशा स्त्री॰ [सं०] यासाम की एक नदी जो ब्रह्मपुत्र की सुवर्णभूमि-तशा पु० [स०] १ सुवर्ण द्वीप (सुमाना) का एक नाम । मुख्य शाखा है। २ स्वर्ण से भरी भृमि। सुवर्णष्ठीवो-मश पु० [म० सुवर्णष्ठीविन्] महाभारत के अनुसार सुवर्णमाक्षिक-सज्ञा पुं० [स०] सोनामक्खी। स्वर्णमाक्षिक । सजय के एक पुत्र का नाम । सुवर्णमाषक-सज्ञा पु० [सं०] वारह धान का एक मान जिसका सुवर्णसज्ञ 1-मज्ञा पुं० [सं०] दे० 'सुवरणकप'। व्यवहार प्राचीन मे काल मे होता था। सुवर्णसिंदूर-ता पुं० [स० सुवर्णसिन्दूर] दे० 'स्वर्णेमिदूर'। सुवर्णमिन-सञ्ज्ञा पु० [१०] सुहागा, जिसकी सहायता से सोना सुवर्णसिद्ध -सशा पुं० [स०] वह जो इद्रजाल या जादू के वन से सोना जल्दी गल जाता है। बना या प्राप्त कर सकता है। स्थित है।