पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४१४

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सुस्नति ७०३४ सुहाग सुस्नात-सज्ञा पुं० [सं०] वह जिसने यज्ञ के उपरात स्नान किया हो। सुहंगा-वि० [हिं० महँगा का अनु०] सस्ता । जो महँगा न हो। २ वह जिसने भली भांति स्नान किया हो को० । उ.-मुलतानी धर मन वसी सुहँगा नइ सेलार । -ढोला०, सुस्निग्धा--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] एक लता का नाम । दू० २२६ । सुस्पर्ण-वि० [सं०] १ जिसका स्पर्श सुखद हो। २ नरम । मृदु । सुहटा-वि० [हिं० सुहावना, तुल० सुघटित] [वि० सी० सुहटी] कोमल [को०] । सुहावना। सु दर। उ०-सुनु ए कपटी दशकघ हठी दोउ राम रटी न कछूक घटी। हर धूरजटी कमठी खपटी सम तारे रटी सुस्फीत--वि० [स०] १ जो सम्यक् रूप मे स्फीत हो । २ खूब उन्नति जनवाचकटी। न ठटी रतिनाथ छटी तिनको नित नाचत मुक्त करनेवाला [को०] । नटी सुहटी। हनुमन्नाटक (शब्द०)। सुस्मित-मज्ञा पु० [स०] [वि॰ स्त्री० सुस्मिता] हँसमुख । हँसोड । सुहड़-सधा पुं० [सं० सुभट, प्रा० सुहड] सुभट । योद्धा। शूरवीर । सुस्मिता--संज्ञा स्त्री॰ [म०] मधुर हासयुक्त महिला। प्रसन्न वदनवाली (डि०)। स्त्री [को०] । सुहनी-सशा स्त्री॰ [हिं० सोहनी] ६० 'सोहनी' । सुस्रग्धर-वि० [स०] सु दर माला धारण करनेवाला [को०] । सुहनु'--सज्ञा पु० [स०] एक असुर का नाम जिसका उल्लेख महा- सुस्रोता-सशा स्त्री॰ [स० सुस्रोतस्] हरिवश के अनुसार एक नदी भारत मे है। का नाम। सुहनु-वि० जिसकी ठुड्डी सु दर या सुडौल हो [को०।। सुस्वध-- सज्ञा पु० [स०] पितरो की एक श्रेणी या वर्ग। सुहवत-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] दे० 'सोहवत' । सुस्वधा-सज्ञा स्त्री० [स०] १ कल्याण । मगल । २ सौभाग्य । सुहवती-वि० [अ० सुहवत] मेलजोल या दोस्ती रखनेवाला। साथ खुशकिस्मती। उठने बैठनेवाला। सुस्वन'--सज्ञा पु० [स०] १ शख । २ सुदर ध्वनि। सुहर-सज्ञा पु० [स०] एक असुर का नाम । सुस्वन--वि० १. उत्तम शब्द या ध्वनि से युक्त । २. बहुत ऊँचा। बुलद । ३ सु दर । ४ सुस्वर । सुहराना-क्रि० स० [हिं० सहलाना] दे० 'सहलाना' । सुस्वप्न-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ शुभ स्वप्न । अच्छा सपना । २ शिव जी सुहराब-सञ्ज्ञा पु० [फा०] ईरान का एक प्रसिद्ध वीर जो अपने पिता रुस्तम के हाथो मारा गया। का एक नाम। सुस्वर'-वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० सुस्वरा] सुदर या उत्तम स्वरयुक्त । सुहलर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० सुहल] एक तारा । जिसका सुर या कठध्वनि मधुर हो। सुकठ । सुरीला। २ अत्यत सुहल -वि० [स०] अच्छे हलवाला । ऊँचा या तीक्ष्ण । बुलद । घोर (ध्वनि)। सुहव-संवा पुं० [हिं० सूहा] दे० 'सूहा' (गग) । उ०-सारग गुड सुस्वर-सहा पु०१ सु दर या उत्तम स्वर। २ गरुड के एक पुत्र का मलार सोरठ सुहव सुधरनि वाजही। बहु भौति तान तरग मुनि नाम । ३ शख । ४ जनो के अनुसार वह कर्म जिसमे मनुष्य गधर्व किनर लाजही।-तुलसी (शब्द०)। का स्वर मधुर और सुरीला होता है । सुहवि' -सज्ञा ॰ [सं० सुहविस्] १ एक प्रागिरस का नाम । २ सुस्वरता--सज्ञा स्त्री० [स०] १ सुस्वर का भाव या धर्म। २ वशी भुमन्यु के एक पुत्र का नाम । के पाँच गुणो मे से एक। सुहविः-वि० सु दर इवि देनेवाला । धार्मिक [को०) । सुस्वरयत्रक-सज्ञा पुं० [म० सुस्वरयन्त्रक] एक प्रकार का मधुर सुहवी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'सूहा' (राग)। उ०-राग राज्ञी सांचि स्वरयुक्त तत्रवाद्य [को०] । मिलाई गावै सुघर मलार। सुहवी सारग टोडी अरु भैरवी सुस्वात-वि० [स० सुस्वान्त] अच्छे अत करणवाला। प्रसन्नचित्त । केदार ।—सूर (शब्द॰) । सुस्वाद-वि० [सं०] दे॰ 'सुस्वादु'। सुहसानन-वि० [स०] हँसमुख । विहसितवदन [को०] । सुस्वादु'-वि० [स०] अत्यत स्वादयुक्त । बहुत स्वादिष्ट । बहुत सुहस्त'-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । जायकेदार । खुशजायका। सुहस्त-वि० [वि० स्त्री० सुहस्ता] १ सु दर हाथोवाला । २ कार्य मे सुस्वादु'-सज्ञा पु० अच्छा जायका या स्वाद । कुशल हाथोवाला। सुस्वाप-सज्ञा पु० [सं०] गहरी नीद (को०] । सुहस्ती-सञ्ज्ञा पुं० [स० सुहस्तिन्] एक जैन प्राचार्य का नाम । सुस्विन्न--वि० [स०] १ अच्छी तरह उवाला या पकाया हुआ । सुहस्त्य'-सशा पु० [सं०] वैदिक काल के एक ऋषि का नाम । २ अच्छी तरह सिक्त या तर [को० । सुहस्त्य-वि० दे० 'सुहस्त" [को॰] । सुहग-वि० [हिं० महँगा का अनु०] कम मूल्य का । सस्ता । महँगा सुहा-सञ्ज्ञा पुं॰ [हिं० सुप्रा] [स्त्री० सुही] लाल नामक पक्षी। का उलटा। सुहाग'- सज्ञा पुं० [सं० सौभाग्य] १ स्त्री को सधवा रहने की अवस्था। सुहगम-वि० [स० सुगम] सहज । आसान । अहिवात । सौभाग्य।