पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४१५

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मांग भरना। सुहाग' ७०३५ सुहाव मुहा०-सुहाग उजडना = पति की मृत्यु होना । वेवा होना । सुहाग सुहाता-वि० [हिं० सहना] जो सहा जा सके । सहने योग्य । सह्य । उतरना = (१) दे० 'सुहाग उजडना' । (२) पति की मृत्यु पर उ०-वही (वायु) मध्याह्नकालीन सूर्य की तीक्ष्ण तपन को सधवा स्त्री के सौभाग्यचिह्न सिंदूर, आभूपण आदि का उतारा सुहाता करती है ।--गोल विनोद (शब्द०)। (ख) तेल जाना । सुहाग मनाना = अखड भाग्य की कामना करना । पति को तपाकर सुहाता सुहाता कान मे डालो।-नूतनामृतसागर सुख के अखड रहने के लिये कामना करना । सुहाग भरना = (शब्द०)। सुहान-सहा पु० [सं० शोभन] १ वैश्यो की एक जाति । २ दे० २ वह वस्त्र जो वर विवाह के समय पहनता है। जामा । ३ मगल 'सोहाल'। गीत जो वरपक्ष की स्त्रियां विवाह के अवसर पर गाती हैं। सुहाना'-क्रि० अ० [स० शोभन] १ शोभायमान होना। शोभा ४ वे आभपण, वस्त्र आदि जो सौभाग्यवती स्त्रियाँ पहनती हैं। देना । उ०-(क) शकर शैल शिलातल मध्य किधौ शुक की ५ एक प्रकार का इन्न । ६ प्यार भरी बाते । अवली फिरि पाई। नारद बुद्धि विशारद दीप किधी यौ०-सुहाग डला = वह डलिया जिसमे विवाह के समय की आव तुलसीदल माल सुहाई।-केशव (शब्द॰) । (ख) यज्ञ नाम श्यक सामग्री जैसे,-रोली, मेहदी, नगरा आदि रखकर बग्पक्ष की हरि तव चलि आए। कोटि अर्क सम तेज सुहाए।-गि० ओर से कन्या के घर जाता है। सुहाग घोडी = विवाह के समय दास (शब्द॰) । (ग) कामदेव कहें पूजती ऐसी रही सुहाय । दूल्हे के घर पर गाए जानेवाले गीत । सुहाग पिटरिया, सुहाग नव पल्लव युत पेड जनु लता रही लपटाय । -बालमुकुद गुप्त पिटारा, मुहाग पिटारी - वह पेटी जिनमे गहने आदि तथा सोहाग (शब्द०)। २ अच्छा लगना। भला मालूम होना । उ०- की अन्य सामग्री विवाह के समय कन्या के लिये वरपक्ष से भेजी (क) भयो उदास सुहात न कछु ये छन सोवत छन जागे।- जाती है । सुहागपुडा या पुडिया = एक प्रकार की कागज को सूर (शब्द॰) । (ख) फूली लता द्रुम कुज सुहान लगे।-- पुडिया जिसमे मागलिक वस्तुएँ रख कर वरपक्ष की ओर से दी सुदरीसर्वस्व (शब्द०)। जाती हैं। सुहाना'-वि० [वि॰ स्त्री० सुहानी] दे० 'सुहावना' । उ०—(क) सारी सुहाग-सज्ञा पुं० [हिं० सुहागा] दे० 'सुहागा'। पृथ्वी इस वसत की वायु से कैसी सुहानी हो रही है। हरि- सुहागन-सज्ञा स्त्री० [हिं० सुहाग] दे॰ 'सुहागिन' । श्चद्र (शब्द०)। (ख) सौतिन दियो सुहाग ललन हू आजु सुहागा'-सज्ञा पुं० [स० सुभग] एक प्रकार का क्षार जो गरम गधकी सयानी। जामिनि कामिनि स्याम काम की समै सुहानी।- स्रोतो से निकलता है। कनकक्षार। टकरण । व्यास (शब्द०)। विशेष-यह तिब्बत, लद्दाख और कश्मीर मे बहुत मिलता है । सुहाया@-वि० [हिं० सुहाना] [वि० खो० सुहाई] जो देखने मे भला यह छोट छापने, मोना गलाने तथा प्रोपधि के काम मे पाता जान पडता हो । सुहावना । सुदर। उ०--(क) सबै सुहाये है। इसे घाव पर छिडकने से घाव भर जाता है। मीना इसी ही लगै बसे सुहाये ठाम । गोरे मुंह बंदी लसे अरुन पीत सित का किया जाता है और चीनी के वर्तनो पर इसी मे चमक दी स्याम ।-बिहारी (शब्द०)। (ख) यमुना पुलिन मल्लिका जाती है । वैद्यक के अनुसार यह कटु, उप्ण तथा कफ, विप, मनोहर शरद सुहाई यामिनि । सुंदर शशि गुण रूप राग निधि खांसी और श्वाम को हरनेवाला है। अग अग अभिरामिनि ।—सूर (शब्द०) । (ग) भयह बतावत पर्या०-लोहदावी । टकण। नुभग। स्वर्णपाचक । रसशोधन । राह सुहाई। तब तिहि सौ बोले दुहु भाई।-पद्माकर (शब्द०)। (घ) मेरे तो नाहिंने चचल लोचन नाहिने केशव कनकक्षार आदि। बानि सुहाई । जानो न भूपण भेद के भाव न भूलहू नैनहिं भौह सुहागा - मज्ञा पुं० [२० समभाग] १ हेंगा। २ दे० 'सोहागा' । चढाई।--केशव (शब्द०)। सुहागिन-सश स्त्री० [हिं० सुहाग + इन (प्रत्य॰)] वह स्त्री जिसका पति जीवित हो । सघवा स्त्री । सौभाग्यवती स्त्री। उ०-(क) सुहारी--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० सु+ पाहार] सादी पूरी नामक पकवान जिसमे पीठी आदि नही भरी रहती।--उ०--(क) कान्ह मान कियो सपने में मुहागिन भौहें चढी मतिराम रिसोंहे ।- कुंवर को कनछेदनो है हाथ सुहारी भेली गुर की।-सूर मतिराम (शब्द॰) । (ख) तब मुरली नंदलाल पै भई सुहागिन आइ।-रसनिधि (शब्द०)। (शब्द०) । (ख) घी न लगे, सुहारी होय । (कहा०)। सुहागिनि, सुहागिनी-सश स्त्री० [हिं० मुहाग + इनी (प्रत्य॰)] सुहाल--सज्ञा पुं० [सं० सु + आहार] एक प्रकार का नमकीन पकवान जो मैदे का बनता है । यह बहुत मोयनदार होता है और इसका दे० 'सुहागिन' । उ०—जाय मुहागिनर्ना वसति जो अपने पीहर आकार प्राय तिकोना होता है। धाम । लोग बुरी शका कर यदपि सती हू वाम । -लक्ष्मणसिंह सुहाली-सञ्चा स्त्री० [हिं० सुहारी] दे॰ 'सुहारी' । सुहागिल-सशा स्त्री० [हिं० मुहाग + इल (प्रत्य॰)] दे० 'सुहा- सुहावल:--वि० [हिं० सुहाना] सुहावना । सुदर। भला । अच्छा । गिन' । उ० -तोसो दुरावति हौं न कछू जिहि ते न सुहागिल उ०--(क) सरवर एक अनूप सुहावा। नाना जतु कमल सौति कहावै। व्यगार्यकौमुदी (शब्द॰) । बहु छावा ।-सवल (शब्द॰) । (ख) देखि मानसर रूप सुहागी-वि० [हिं० सुहाग] सौभाग्यशील । भाग्यशाली । सुहावा । हिय हुलास पुरइन होइ छावा ।--जायसी (शब्द०)। (शब्द०)।