पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४३९

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नाम। सूर्यमरिण ७०५६ सूर्यसावित्र २ रामायण के अनुसार एक गधर्व का नाम । सूर्यवल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. दधियार । अधाहुली । अर्कपुष्पी । २ क्षीर काकोली। सूर्यमणि-सज्ञा पुं० [स०] १ सूर्यकात मणि । २ एक प्रकार का पुष्पवृक्ष । सूर्यवान--सज्ञा पुं० [स० सूर्यवत्] रामायण के अनुसार एक पर्वत का सूर्यमाल--सज्ञा पु० [स०] सूर्य की माला धारण करनेवाले अर्थात् शिव । महादेव । सूर्यवार--सञ्ज्ञा स० [स०] रविवार । आदित्यवार । सूर्यमास-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'सौरमास' । सूर्यविकासी-वि० [स० सूर्यविकासिन्] सूर्योदय होने पर विकसित या प्रसन्न होनेवाला [को] । सूर्यमुखी -सञ्ज्ञा पुं॰ [स० सूर्यमुखिन्] दे॰ 'सूरजमुखी' । उ०--वह सूर्यमुखी प्रसन्न थी। -साकेत पृ० ३४८ । सूर्यविघ्न-मज्ञा पुं० [पु.] विष्णु । सूर्ययत्र-मज्ञा पु० [स० सूर्ययन्त्र] १ सूर्य की उपासना मे सूर्यस्थानीय सूर्यविलोकन-सज्ञा पुं० [स०] एक मागनिक कृत्य जिसमे बच्चे को प्रतिमा या चक्र । २ सूर्यवेध की प्रक्रिया मे व्यवहृत एक सूर्य का दर्शन कराया जाता है। यह बच्चे के चार महीने के होने पर किया जाता है। प्रकार का यत्न (को०)। सूर्यरश्मि-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सूर्य की किरन । रविकिरण। २ सविता सूर्यवृक्ष--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ आक । मदार । अर्कवृक्ष। २ दधियार । अधाहुली । अर्कपुष्पी। का एक नाम। सूर्यरुच-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] सूर्य की प्रभा या दीप्ति [को०] । सूर्यवेश्म--सज्ञा पु० [स० सूर्यवेश्मन्] सूर्यमडल । सूर्यक्ष-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह नक्षन्न जिसमे सूर्य की स्थिति हो । सूर्यव्रत-सज्ञा पुं॰ [स०] १ एक व्रत जो सूर्य भगवान् के प्रीत्यर्थ रविवार को किया जाता है । २ ज्योतिष मे एक चक्र । सूर्यलता -सज्ञा जी० [स०] हुरहुर । हुलहुल । आदित्यभक्ता लता। सूर्यशत्रु-मज्ञा पुं॰ [स०] रामायण मे वर्णित एक राक्षस का नाम । सूर्यलोक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] सूर्य का लोक । विशेष-कहते हैं, युद्ध में मरनेवाले और काशीखड के अनुसार सूर्यशिप्य-सज्ञा पु० [स०] १ याज्ञवल्क्य का एक नाम। २ जनक का एक नाम। सूर्य के भक्त भी इसी लोक को प्राप्त होते हैं। सूर्यशिष्यातेवासी-सञ्ज्ञा पु० [स० सूर्यशिष्यान्तेवासिन्] दे० 'सूर्य- सूर्यलोचना-सज्ञा स्त्री॰ [स०] एक गधर्वी का नाम । सूर्यवश-सञ्ज्ञा पुं० [स०] क्षत्रियो के दो आदि और प्रधान कुलो मे से सूर्यशोभा-सच्चा स्त्री० [स०] १ सूर्य का प्रकाश । धूप। २ एक एक जिसका प्रारभ इक्ष्वाकु से माना जाता है। प्रकार का फूल। विशेष--पुराणानुसार परमेश्वर के पुत्र ब्रह्मा, ब्रह्मा के मरीचि, सूर्यश्री-सज्ञा पु० [स०] विश्वेदेवा मे से एक । मरीचि के कश्यप, कश्यप के सूर्य, सूर्य के वैवस्वत मनु वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु थे। इक्ष्वाकु का नाम वैदिक सूर्यसक्रम--सञ्ज्ञा पुं० [स० सूर्यसडकम] दे॰ 'सूर्यसक्रमण' [को॰] । ग्रथो मे भी पाया है। ये इक्ष्वाकु त्रेता युग मे अयोध्या के सूर्यमक्रमण--सज्ञा पुं० [८० सूर्यसडक्रमण] सूर्य का एक राशि से दूसरी राजा थे । नेता और द्वापर की सधि मे इसी वश मे दशरथ के राशि में प्रवेश । सूर्य को सक्राति । विशेप दे० 'सक्राति' । यहां श्रीरामचद्र जी ने जन्म लिया था। द्वापर के प्रारभ मे सूर्यसक्राति--सञ्ज्ञा सी० [स० सूर्यसडक्रान्ति] सूर्य का एक राशि से श्रीरामचद्र के पुत्र कुश हुए। कुश के वश ने सुमिन्न तक दूसरी राशि में प्रवेश । विशेप दे० 'सक्राति । द्वापर मे एक हजार वर्ष राज्य किया। इसके बाद इस वश की सूर्यसज्ञ-सज्ञा पु० [म०] १ सूर्य । २ श्राक । अर्क वृक्ष। ३ केसर । विश्राति हुई। कुकुम । ४ ताँवा। ताम्र । ४ एक प्रकार का मानिक या सूर्यवंशी-वि० [स० सूर्यवशिन्] सूर्यवश का । जो क्षत्रियो के सूर्यवश चुन्नी। मे उत्पन्न हुआ हो। सूर्यसदृश–सञ्चा पुं० [सं०] लोलावज्र का एक नाम । (बौद्ध) । सूयवश्य-वि० [स०] सूर्यवश मे उत्पन्न । सूर्यसाम-सज्ञा पु० [स० सूर्यसामन्] एक साम का नाम । सूर्यवक्त्र-सज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार की ओषधि । सूर्यसारथि-सखा पु० [सं०] सूर्य का सारथि-अरुण । सूर्यवर-सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार की ओषधि । सूर्यसावर्णि--सज्ञा पुं० [स०] मार्कंडेय पुराण के अनुसार पाठवे मनु सूर्यवर्चस्-सज्ञा पु० [स०] १ एक देवगधर्व का नाम । २ एक ऋपि का नाम। विशेष--ये सूर्य के औरस हैं और सूर्य की पत्नी सज्ञा के गर्भ से सूर्यवर्चस्-वि० सूर्य के समान दीप्तिमान् । उत्पन्न माने जाते हैं। सूर्यवर्मा- f-सज्ञा पुं० [सं० सूर्यवर्मन्] महाभारत मे वणित निगर्त के सूर्यसावित्र-सज्ञा पु० [सं०] १ विश्वेदेवा मे से एक । २ एक प्रसिद्ध एक राजा का नाम। सूर्यवल्लभा--मञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ हुरहुर । प्रादित्यभक्ता । २ कम विशेष-इसके तत्व का उपदेश पहले पहल सूर्य से प्राप्त कहा लिनी। पद्मिनी। गया है। प्रशिय'। - का नाम। ग्रथ का नाम।