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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४६५

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सैन ७०८५ सैन्य सैनल-सज्ञा पुं० [सं० शयन, प्रा० सयण] ३० शयन' । उ० की पूरी ग्राबादी को युद्ध करनेवाली सेना के रूप में सयोजित भटन विदा करि रन मुख जाइ कीन्ह गृह सैन ।-गोपाल करना या सबल बनाना। समर्थ जनसाधारण को सैनिक (शब्द॰) । (ख) साजि सैन भूपण वसन सबकी नजर बचाय । प्रशिक्षण देने का कार्य। उ०--मार्च, १९३४ मे हिटलर ने रही पौढ़ि मिस नीद के दृग दुवार से लाय ।-पद्माकर सैनिकीकरण का कार्य कर दिया।-पा० अ० रा०, पृ०१६ । (शब्द०)। (ग) जानि परंगी जात हो रात कहूँ करि सैन । सैनिकता--मशा नो० [सं०] १ सेना या सनिक का कार्य । मैनिको का लाल ललौहें नैन लखि सुनि प्रनखौहें बैन ।-शृगार सतसई जीवन । २ युद्ध । लडाई भिडाई। (शब्द०)। सैनिकवाद--सज्ञा पु० [म० सैनिक + वाद] दे० सामरिकवाद' । सेन@--सज्ञा स्त्री॰ [स० सेना या सैन्य] दे० 'सेना' । उ०--(क) सैनिका-शा झी० [म० श्येनिका] एक छद का नाम । यथा-सो सप्त दीर के कपि दल पाए जुरी सैन अति भारी। सीता की सुजाननद सोचि वा घरी। पाइयो प्रजम पास ता घरी । सीख सुधि लेन चले कपि ढूढत विपिन मझारी ।--सूर (शब्द॰) । माँगि श्री प्रजेस सी तवं । दै निसान कूच के चमू सबै ।-- (ख) सजी सैन छवि बरनि न जाई । मनु विधि करामाति सब सूदन (शब्द)। आई।--गोपाल (शब्द०)। सैनिटरी-वि० [अ०] सार्वजनिक स्वास्थ्य, शुद्धता, रक्षा और उन्नति सैन@---सञ्ज्ञा पु० [स० श्येन] दे० 'श्येन' । बाज पक्षी । उ०--चल्यो से सवध रखनेवाला। जैसे--संनिटरी डिपार्टमेट, सैनिटरी प्रसैन ससैन सैन जिमि अपर खगन पर !--गोपाल (शब्द०)। कमिश्नर। -सैन -संज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का बगला । सैनिटेरियम--सज्ञा पुं० [अ०] दे० 'सेनेटोरियम' । सैनक-सज्ञा पुं॰ [फा० सनी, सहनक] थाली । रिकावी । तश्तरी । सैनिटेशन-तज्ञा पुं० [अ०] स्वास्थ्यरक्षा सवधी विज्ञान [को॰] । सेनपति-सचा पुं० [सं० सेनापति] दे० 'सेनापति'। उ०--चहुँ सैनी@-सा पुं० [सं०/प्ण शौचे ? अथवा हिं० सेना भगत (जो सनातीनु बुलाइ लिए। तिन सौ यह आइसु अापु दिए । जाति के नाई थे)] नाई। हजाम । उ०--दरशन हूँ नाशे यम सूदन (शब्द०)। सैनिक जिमि नह वालक सैनी। एक नाम लेत सब भाज पीर सैनभोग@--सशा पु० [सं० शयन + भोग] शयन के समय का भोग । सुभूमि रसनी।-सूर (शब्द॰) । रात्रि का नैवेद्य जो मदिरो मे चढता है। उ०--भए दिन तीनि सैनी@-सज्ञा स्त्री० [सं० सेना] दे० 'सेना'। उ०-जानि कठिन ये तो-भूख के अधीन नहिं, रहे हरि लीन प्रभु शोच परे उभारिए। कलिकाल कुटिल नृप सग सजी अध सैनी। जनु ता लगि दियो संनभोग आप लक्ष्मी जू ल पधारी, हाटक की थारी तरवार त्रिविक्रम धरि करि कोप उपनी।—सूर (शब्द)। झनझन पांव धारिए।--भक्तमाल (शब्द०)। सैनीg:-सरा गी० [#० शयनीया (= शय्या)] शय्या । सेज । उ०- सैना-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० सैन्य] ३० सेना' । उ०-मीत नीत की नददास प्रभु को नेह देखि हामी प्राव, वे बैठे री रचि रचि चाल ये चल जानतहू रैन । छवि सैना सजि धावही अबलन पै सैनी।-नद० ग्र०, पृ० ३६८ । तुव नैन ।-रसनिधि (शब्द॰) । सैनी ---सद्या स्त्री० [स० श्रेणी] श्रेणी। पंक्ति। कतार । उ०- सैना--सज्ञा स्त्री॰ [हि० सन] सकेत । इशारा। आगे चलि पुनि अवलोकी नवपल्लव सैनी। जहें पिय सुसुम सैना'--सञ्ज्ञा पुं० [अ०] एक पर्वत जो शाम मे है। कहते है, इसी पर कुसुम लै सुकर गुही है बैनी।-नद० ग्र०, पृ० १६। हजरत मूसा को ईश्वरदर्शन हुआ था [को०] । सेनानिक-वि० [सं०] सेना के अग्रभाग का। सैनी--पशा पु० [स० सेना ] एक सैनिक जाति । एक युद्धक जाति जो अपने को शूरसेन से सवधित बतलाती है। सेनानीक-वि० [सं०] ६० सैनानिक' । सैनान्य-सज्ञा पुं० [स०] सेनानी या सेनापति का कार्य । सैनापत्य । सैन-मज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का बूटेदार कपडा। नैनू । सैनेटोरियम--सरा पुं० [अ०] वह स्थान जहां लोग स्वास्थ्यसुधार के सेनापतित्व। लिये जाकर रहते है। स्वास्थ्यनिवास । सैनापति ---सज्ञा पुं० [म० सैन्यपति] दे० 'सेनापति'। सैनेय-वि० [स० सेना + इय (प्रत्य॰)] सेना के योग्य । लडने के सैनापत्य'--सशा पुं० [सं०] सेनापति का पद या कार्य । सेनापतित्व । योग्य । उ०-कैतवेय नूप चल्यो श्रेय गुनि बल अमंय तन । सेनापत्य'--वि० सेनापति सवधी। सँग अजेय मैनेय सन पर प्रान तेय रन।-गोपाल (शब्द॰) । सैनिक'-सझा पुं० [स०] १ सेना या फौज का आदमी। सिपाही। सैनेश-स पुं० [सं० सैन्य + ईश>सैन्येश] सेनापति । उ.- हसि लश्करी । तिलगा। २ सैन्यरक्षक । प्रहरी । सतरी। ३ समवेत वोले सैनेशकुमारा । कहिए नाय महित विस्तारा।-सवलसिंह सेना का भाग । व्यूहबद्ध दल । ४ वह जो किसी प्राणी का (शब्द०)। वध करने के लिये नियुक्त किया गया हो। ५ शंवर के एक सैनेस-सज्ञा पुं० [स० सैन्येश, प्रा० सेनेन] दे० 'सनेश। पुत्र का नाम। सैन्य'-श पु० [स०] १ सैनिक । सिपाही। २. मेना। फौज । सैनिक'--वि० [सं०] [वि० पी० सैनिको] सेना सवधी। सेना का। ३ रोनादल । पलटन । ४ प्रहरी। सतरी। ५ शिविर । यो०--सनिकवाद । सैनिकवादी। सैनिकीकरण = कित्ती राष्ट्र हि० श० १०-५७ छावनी।