पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४७३

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सोज ७०६३ सोत ममिध सोज लक जग्यकुड लखि जातधान पुग फल जव तिल सोटा-मज्ञा पुं० [हिं० सुग्रटा] दे॰ 'मुग्रटा'। उ०-ल संदेम सोटा धान है।—तुलसी (शब्द॰) । गा तहाँ । मूली देहि रतन को जहाँ। -जायसी (शब्द॰) । सोज-मज्ञा पुं० [फा० सोज] १ जलन । ज्वाला। उ०-अगन • सोठ --संज्ञा स्त्री० [म० शुण्ठि] दे० 'नोट'। दिया सोज सो रोशनी। जमीन कू दिया खिलात गुलशनी । सोठ मिट्टी-सज्ञा स्त्री० [हिं० सोठ+ मिट्टी] दे० 'सोंठ मिट्टी'। -दक्विनी, पृ० ११७ । २ बेदना । मनस्ताप । पीडा [को०] । सोडा-सज्ञा ० [अ०] एक प्रकार का क्षार पदार्थ जो मज्जी को सोजन-सज्ञा पुं० [फा० सोजन] १ सूई । उ०- अरे निरदई रामायनिक प्रिया से माफ करके बनाया जाता है। मालिया कहुँ जताय यह बात । केहि हित सुमनन तोरि ते विशेप--इसके कई भेद है। जिसे लोग सिर धोने के काम मे छेदत सोजन गात ।-रसनिधि (शब्द०) । २ कटक । काँटा । लाते हैं, उसे अंगरेजी मे 'सोडा क्रिस्टल' कहते है। यह सज्जी (लश०) । को उबालकर बनाते हैं। ठढा होने पर साफ सोडा नीचे बैठ सोजन'-सञ्ज्ञा पु० [फा० सोजनी ] बिछाने का बिस्तर । उ०---भाई जाता है। जो सोडा साबुन, कागज, कांच ग्रादि बनाने के काम साहेब, अपने तो ऊ पछी काम का जे भोजन सोजन दूनो दे। मे आता है, उसे 'सोडा कास्टिक' कहते है। यह चूने और सज्जी -भारतेदु ग्र०, भा० १, पृ० ३२८ । के सयोग से बनता है। दोनो को पानी में घोल और उबालकर सोजनकारी-सञ्ज्ञा स्त्री० [फा० सोज़नकारी] सूई का काम । सूईकारी। पानी उडा देते है। इसी प्रकार 'बाइकारबोनेट ग्राफ सोडियम' उ०--लहंगे के खूब दाब देकर सिए पल्लो पर फूलो और भी साबुन, कांच आदि बनाने के काम मे आता है। यह नमक पक्षियो की सोजनकारी की हुई थी। जनानी०, पृ० ३ । को अमोनिया मे घोलकर कारवोनिक गैस की भाप का तरारा सोजनी-सज्ञा नी० [फा० सोजनी] दे॰ 'सुजनी' । देने से निकलता है। इसे एकत्न करके तपाने से पानी और सोजॉ-वि० [फा० सोजाँ] १ ज्वलनशील । दाहक । २ पीडा कारवोनिक गैम उड जाता है। जो सोडा खाने के काम मे दायक । दुखद [को०]। आता है, उसे 'बाइकारबोनेट आफ सोडा' कहते हैं । यह सोरे सोजाक-सञ्ज्ञा पुं० [फा० सूजाक] दे॰ 'सूजाक' । पर कारवोनिक गैस का तरारा देने से बनता है। सोजिण-सज्ञा स्त्री० [फा० सोजिश] १ सूजन । फुलाव । शोय । २ सोडावाटर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] एक प्रकार का पाचक पानी जो प्राय. दे० 'सोज। मामूली पानी मे कारवोनिक एसिड का सयोग करके बनाते हैं सोम-वि०, क्रि० वि० [हिं० सोझा] १ दे० 'सोझा' । उ०—(क) और बोतल मे हवा के जोर से बद करके रखते हैं। विलायती पानी । खारा पानी। वहल भार बोझ, काहु वाट कहल सोझ ।-कीर्ति०, पृ० २४ । (ख) कहै कबीर नर चले न सोझ। भटकि मुए सोढ-वि० [ स०] १ सहनशील । सहिष्णु । २ जो सहन किया गया जस वन के गेझ।-कबीर (शब्द०)। २ ठीक सामने की हो। ३ @ समर्थ । शक्तिमान् । उ०-सोढ हुनी तूं भाण मुत पोर गया हुआ । सीधा । उ०-सोझ बान अस प्रावहिं राजा । रावां सिरहर राव ।--बांकी० ग्र०, भा० १, पृ० ८३ । वासुकि डरै सीस जनु बाजा।-जायसी (शब्द०)। सोढर-वि० [ देश० ] भोदू । बेवकूफ। उ०--(क) गदहो मे हम सोझनाg+-क्रि० म० [सं० शोधन] शोधना। खोजना। उ० सोढर गहा है। बालकृष्ण भट्ट (शब्द०)। (ख) भगति (का) वारड वहतई आपणई। कुँवर परणावी, सोझउ वीद । मुतिय के हाथ सुमिरिनी सोहत टोडर । सोढर खोडर बूढ ऊठ -वी० रासो, पृ० ६ । (ख) अवघेसरा मे सुभट आया सोझवा द्विज खोडर प्रोडर।-सुधाकर (शब्द०)। सीता।- रघु० रू०, पृ० १६१ । सोढवत्-वि० [स०] जिसने सहन किया हो । सहनेवाला। सोमा'-वि० [स० सम्मुख, म०प्रा० समुज्झ ?, अथवा म० शुद्ध, प्रा० सोढ-य-वि० [सं०] सहन करने के योग्य । सह्य। सुद्ध, सुझ] [वि० सी० सोझी] १ सीधा । सरल । उ०-(क) दादू सोझा राम रम अम्रित काया कूल।-दादू (शब्द॰) । सोढा-वि० [सं० सोढ] १ दे० सहनशील । 'सोढ' । २ शक्तियुक्त। (ख) है वहँ डोर सुरति कर सोझी गुरु के शब्द चढि जइए ताकतवर [को०] । हो।-धरम० श०, पृ० ११। २ ठीक सामने की ओर गया सोढी-वि० [म० सोढिन्] जिमने सहन किया हो । महनफारी। हुअा। दे० 'सोझ'-२ सोएक---वि० [म० शोण] लाल रग का । रक्त । सोमा'--सज्ञा खी० [सं० शोध ( = अन्वेषण), शुद्ध, प्रा० सुज्झ] सोएत-सज्ञा पुं० [सं० शोरिणत] खून । लोहू । रक्त । (डिं० ) । सुधि । शोध । स्मृति । स्मरण । याद । उ०-ईत ऊत को सोत-मशा स० [स० स्रोत] दे० 'स्रोत' या 'सोता' । उ०—(क) लोन सोझो पर। कौन कर्म मेरा करि करि मरै।-कबीर ग्र०, लोचनी कठ लखि सख समुद के सोत । अरु उडि कानन पृ० ३२७॥ को गए केकी गोल कपोत ।--शृगारसतमई (शब्द०) । (ख) सोझोवा-मचा पु० [सं० सोढव्य ( = सहनशील)] जवान बछडा। धन कुल की मरजाद कछु प्रेम पय नहिं होत। राव रक सव सोटा-मरा पु० [स० शुण्ड] दे० 'सौटा' । एक से लगत प्रेम रस नोत । हरिश्चद्र (शब्द०)। (ग) काहु - हिं० १० १०-५८