पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४८५

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सोमवारी-वि० सोमवार सबधी। सोमवार का । जैसे,—सोमव सामसुत्वा-सञ्चा पुं० [स० सोमसुत्वन्] वह जो यज्ञ मे सोमरस चढ़ाता सोमहूति सोमवती अमावस्या ८००५ सोमवती अमावस्या-सज्ञा खौ० [म०] सोमवार को पड़नेवाली अमा सोमवेश -सज्ञा पु० [स०] एक प्राचीन मुनि का नाम । वस्या जो पुराणानुसार पुण्यतिथि मानी जाती है। प्राय सोमव्रत--सज्ञा पु० [म०] १ एक साम का नाम । २ दे० 'सोमप्रदोषा लोग इस दिन गगास्नान और दान पुण्य करते है। विशेषत सोमशकला--सज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की ककडो । स्त्रियां इस तिथि पर वासुदेव का पूजन और उनकी १०८ सोमशुप्म-सज्ञा पु० [स०] एक वैदिक ऋषि का नाम । परिक्रमा किसी फल, मिष्ठान्न, अन्न प्रादि से करती है। सोममज्ञ सज्ञा पुं० [म०] कपूर । कपूर । मोमवतो तीर्थ-सचा पु० [स०] एक प्राचीन तीर्य का नाम । सोममभवा--सज्ञा जी० [म० सोमसम्भवा] १ नर्मदा । सोमोद्भवा । सोमवचस्'--मज्ञा पु० [म०] १ विश्वेदेवाप्रो मे से एक का नाम । २ गधपलाशो। कपूरकचरी। २ हरिवश के अनुसार एक गधर्व का नाम । सोमसस्था-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] सोमयज्ञ का का एक प्रारम्भिक कृत्य । सोमवर्चस्-वि० सोम के समान तेजयुक्त । सोमवस्क-शा पु० [स०] १ सफेद सैर। श्वेत खदिर । २ काय- सोमद--मज्ञा पु० [०] मनु के अनुसार विराट के पुत्र और साध्य- गण के पितर। फल । कटफल । ३ करज। ४ रीठा करज । गुच्छपुष्पक । सोमसलिल-सक्षा पु० [मक्षा] सोम का जल । सोमरस । ५ बबूर । बबूं। सोमवल्लरी-सशा स्त्री० [स०] १ ब्रह्मा । २ एक वृत्त का नाम सोमसव--सचा पु० [म०] यज्ञ मे किया जानेवाला एक प्रकार का जिसके प्रत्येक चरण मे रगण, जगण, रगण, जगण और रगण. कृत्य जिसमे सोम का रस निक ला जाता था। होते हैं । इसे 'चामर' और 'तूण' भी कहते है । उ०-रोज सोमसवन-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ वह जिससे सोम का रस तैयार किया रोज राधिका सखीन सग आइक । खेल रास कान्ह सग चित्त जाय । २ दे० सोमसव' [को०)। हर्प लाडकं । वाँमुरी समान बोल सप्त ग्वाल गाइक । कृष्णही सोमसाम-सज्ञा पुं॰ [स० सोमसामन् | एक साम का नाम । रिझावही सु चामरै डुलाइक । --छद प्रभाकर (शब्द०)। सोमसार-सशा पु० [सं०] १ सफेद खैर। श्वेत खदिर । २ उबूल । ३ दे० 'सोम'-१। कीकर । बबर। सोमवल्लिका-सज्ञा स्त्री० [स०] वकुची। सोमराजी । २ दे० 'सोम' । सोमवल्ली-मशा स्त्री० [स०] १ गिलोय। गुडूची । २ बकुची । - सोमसिधु-सशा पुं० [स० सोमसिन्धु] विष्णु का एक नाम । सोमपिद्धात-सञ्चा पु० म० सोमसिद्धान्त] १ एक बुद्ध का नाम । सोमराजी। ३ छिरेंटी। पाताल गारुडी। ४ ब्राह्मी। ५ २ वह शास्त्र जिससे भविष्य की बाते जानी जाती है । ३ शैव - सुदर्शन। ६ लताकरज । कठकरजा। ७ गजपीपल । गज कापालिको का एक मत या सिद्धात (को०)। पिप्पली। ८ वन कपास । वनकास । दे० 'सोम' । सोमवामोर-वि० [म० सोमवामिन्] सोम वमन करनेवाला ।' सोमसु दर-वि० [स० सोमसुन्दर चद्रमा के समान सुदर । बहुत सुदर । सोमवामी'-सज्ञा पुं० वह ऋत्विज् जो खूब सोमपान करता हो। सोमसुत्-नज्ञा पुं० [स०] १ सोमरस निकालनेवाला। २ यज्ञ मे सोम रस चढानेवाला ऋत्विज् । सोमवायव्य-पा ० [स०] एक ऋपिवश का नाम । सोमवार-सञ्ज्ञा पु० [म०] सात वारो मे से एक वार जो सोम अर्थात् मोमसुत-सञ्ज्ञा पुं० [म०] चद्रमा का पुत्र बुध । चद्रमा का माना जाता है । यह रविवार के बाद और मगलवार सोमसुता-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] चद्रमा की पुत्री, नर्मदा नदी। के पहले पडता है। चद्रवार । सोमसुति-सहा खौ० [स०] सोम का रस निकालने की क्रिया । सोमवारी'-मज्ञा सी० [हिं० सोमवार + ई (प्रत्य॰)] दे॰ 'सोमवती सोमसुत्या-सज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'सोममुति' । अमावस्या'। हो । सोमरस चढानेवाला: वाजार, सोमवारी अमावस्या। सोममूक्त -सज्ञा पु० [स०] सोम से संबधित ऋचाएं या मन । सोमवासर-शा पुं० [स०] सोमवार । चद्रवार । सोमसूक्ष्म-पञ्चा पु० [स० जोमसूक्ष्मन् ] एक प्राचीन वैदिक ऋषि का सोमविक्रयी-सञ्ज्ञा पु० [स० सोमविक्रयिन्] सोमरस बेचनेवाला । नाम। विशेष--मनु मे सोमरस बेचनेवाला दान के अयोग्य कहा गया सोमसूत्र--सञ्चा पु० [सं०] शिवलिंग की जलधरी से जल निकलने है । उसे दान दो मे दाता दूसरे चन्म मे विष्ठा खानेवाली का स्थान या नाली। योनि मे उत्पन्न होता है। यौ०--सोमसून प्रदक्षिणा = इस प्रकार परिक्रमा करना जिससे सोमवीथी-सज्ञा स्त्री० [२०] चद्रमडल । चद्रमा की बीथी। सोमसूत्र का लघन न हो। सोमवीर्य-वि० [स०] सोम की तरह वीर्य अर्थात् शक्तिवाला (को०। सोमसेन-सचा पु० [स०] शवर के एक पुत्र का नाम । सोमवृक्ष--सज्ञा पु० [सं०] १ कायफल । कटफल । २. सफेद खैर। सोमहार-वि० [म०] सौमहरण या निष्पीडन करनेवाल।। श्वेत खदिर। सोमहारी-वि० [स० सोमहारिन्] दे० 'सोमहार' । सोमवृद्ध--वि० [स०] जो खूब सोमपान करता हो। जिसकी उमर सोमनान करने मे ही वीती हो । सोमहूति--सचा पु० [स०] एक प्राचीन ऋपि का नाम ।