पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५००

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सीत्रामगधनु ८०२७ सौदायिक सौत्रामएधतु-सशा पुं० [सं० सौत्रामणधनुस्] इद्रधनुष । आज्ञा के राँगा, हाथीदांत, सौसा इत्यादि का कोई सौदा नही सौत्रामएिक-वि० [सं०] सौनामणी यज्ञ से सबद्ध या उक्त यज्ञ मे कर सकता ।-शिवप्रसाद (शब्द॰) । उपस्थित [को०] । यौ० -सौदागर = व्यापारी। सौदासुलुफ = खरीदने की चीज । सौत्रामणी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ इद्र के प्रीत्यर्थ किया जानेवाला एक वस्तु । सौदासूत = व्यवहार । उ०-सुहृद समाजु दगावाजी ही प्रकार का यज्ञ। २ पूर्व दिशा का एक नाम जिसके स्वामी को सौदासूत जब जाको काजु तव मिले पाय परि सो।- इद्र है (को०)। तुलसी (शब्द०)। सौत्रि-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] ततुवाय । जुलाहा [को०] । क्रि० प्र०—करना ।-पटना ।-लेना ।-होना । सौत्रिक-मशा पुं० [स०] १ जुलाहा। ततुवाय । २ वह जो वुना सौदा'--सञ्ज्ञा पुं० [फा०] १ पागलपन । बावलापन । दीवानापन । जाय । बुनी हुई वस्तु । उन्माद। २ उर्दू के एक प्रसिद्ध कवि का नाम। ३ प्रेम । सौत्वन-सज्ञा पुं॰ [स०] सुत्वन के अपत्य या वशज । मुहब्बत । इश्क (को०)। ४ यूनानी चिकित्सा शान मे कथित सौदति--मञा पु० [स० सौदन्ति] सुदत के अपत्य या वशज । चार दोपो में एक जो स्याह या काला रग का होता है (को०) । सौदतेय-सज्ञा पुं० [सं० सौदन्तेय] सुदत के अपत्य । सौदा-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] वे काट छांटकर साफ किए हुए पान के सौदक्ष--वि० [स०] १ सुदक्ष सबधी। सुदक्ष का। २ सुदक्ष से पत्ते जो ढोली मे सड़ गए हो। (तवोली)। उत्पन्न। सौदाई-मचा पुं० [अ० सौदा + ई (प्रत्य०)। जिसे सौदा या पागल- सौदक्षेय--सज्ञा पुं० [सं०] सुदक्ष के अपत्य या वशज । पन हुमा हो। पागल । बावला। उ०-भाग पड़ी कुएँ मे सौदत्त-वि० [सं०] १ सुदत्त सबधी । सुदत्त का । २ सुदत्त से उत्पन्न । जिसने पिया बना सौदाई है।-भारतेंदु ग्र०, भा० २, सौदर्य'--वि० [सं०] १ सहोदर या सगे भाई सवधी। २ सोदर या पृ० ५५१ । भाई का सा। मुहा०—किसी का सौदाई होना = किसी पर बहुत अधिक प्रासक्त होना । सौदाई बनाना = अपने ऊपर किसी को आसक्त करना। सौदर्य-सज्ञा पुं० भ्रातृत्व । भाईपन । सौदर्शन--सज्ञा पुं० [सं०] वाहीक जाति के एक गांव का नाम । सौदागर-सशा पु० [फा०] व्यापारी। व्यवसायी। तिजारत करने- वाला । जैसे,--कपडो का सौदागर, घोडो का सौदागर । सौदा--सज्ञा पुं० [अ०] १ वह चीज जो खरीदी या बेची जाती हो। क्रय विक्रय की वस्तु । चीज । माल । जैसे,—(क) चलो सौदागर बच्चा-सशा पुं० [फा० सौदागर + हिं० वच्चा] सौदागर बाजार से कुछ सौदा ले आवे। (ख) तुम्हारा सौदा अच्छा अथवा सौदागर का लडका। नही है। (ग) आप क्या क्या सौदा लीजिएगा? उ०-(क) सौदागरी--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा०] सौदागर का काम । व्यापार । व्यव- व्योपार तो यां का बहुत किया, अब वा का भी कुछ सौदा लो। साय । तिजारत । रोजगार । -नजीर (शब्द०)। २. लेन देन । व्यवहार । उ०--(क) सौंदामनी-सशा सी० [सं०] १ विजली। विद्युत् । २ एक प्रकार की क्या खूब सौदा नक्द है उस हाथ दे इस हाथ ले।-नजीर (शब्द०)। विद्युत् या विजली। मालाकार विद्युत् । ३ विष्णुपुराण मे (ख) दरजी को खुरपी दरकार नही, वह गेहूँ लेना चाहता है, उल्लिखित कश्यप और विनता को एक पुत्री का नाम । ४ अत उन दोनो का सौदा नही हो सकता। मिश्रवधु (शब्द॰) । एक अप्सरा का नाम । (वाल रामायण)। ५ एक रागिनी जो (ग) प्राय सभी बैके। एक दूसरे से हिसाब रखती है। इस मेघ राग की सहचरी मानी जाती है। ६ एक यक्षिणी (को०) । प्रकार सौदे का काम कागजी घोडो (चेको) द्वारा चलता है । ७ हाहा गधर्व की एक कन्या का नाम (को०)। ८ ऐरावत -मिश्रवधु (शब्द०)। (घ) जरासुत सो और कोउ नहिं हाथी की स्त्री (को०)। मिले मोहि दलाल । जो कर सौदा समर को सहज इमि या सौदामनीय-वि० [सं०] १ सौदामनी या विद्युत् के समान । सौदा- काल ।-गोपाल (शब्द०)। मनी या विद्युत् सा । २ सौदामनी या विद्युत् सयधी। मुहा०-सौदा पटना = क्रयविक्रय की बातचीत ठीक होना। सौदामिनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'सौदामनी'। उ०-वर्षा बरनहे जैसे,--तुमसे सौदा नही पटेगा। उ०-आखिर इसी बहाने हस वक दादुर चातक मोर । केतक कज कदव जल सौदामिनि मिला यार से नजीर। कपडे बला से फट गए सौदा तो पट घनघोर ।-केशव (शब्द॰) । गया।-नजीर (शब्द०)। ३ क्रय-विक्रय । खरीद फरोख्त । व्यापार। उ०--और बनिज मैं सौदामिनीय-वि० [सं०] दे॰ 'सौदामनीय' । नाही लाहा होत मूल मे हानि। सूर स्वामि को सौदो सांचो सौदामेय--सज्ञा पु० [सं०] सुदामा के अपत्य या वशज । कहो हमारो मानि |--सूर (शब्द०)। ४ खरीदने या बेचने सौदाम्नी-सञ्चा स्त्री० [+] दे० 'सौदामनी' । की बातचीत पक्की करना। जैसे,--उन्होने पचास गाँठ का सौदायिक'—सज्ञा पुं० [सं०] वह धन आदि जो स्त्री को उसके विवाह सौदा किया। उ०-राजा खुद तिजारत करता है, बिना उसकी के अवसर पर उसके पिता माता या पति के यहां से मिले।