पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५०३

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सौबीर ८०२३ सौभाग्य चिंतामणि सौवीर-संज्ञा पु० [स० सौवीर] दे० 'सौवीर'। सौबन्नए-नज्ञा पुं॰ [स० सुवर्ण, प्रा० सोवण्ण] सोना । स्वर्ण । उ०- अाना नरिंद अजमेर वास । सभरिय कीन सौवन्न रास ।- पृ० रा०, ११६०५। सौभ-मज्ञा पुं० [सं०] १ महाभारत मे वरिणत राजा हरिश्चद्र की उस कल्पित नगरी का नाम जो आकाश मे मानी गई है। कामचारिपुर । २ महाभारत मे वरिणत शाल्वो के एक नगर का नाम । ३ महाभारत के अनुसार एक प्राचीन जनपद का नाम । ४ उक्त जनपद के राजा। उ०-अभिमान सहित रिसु प्रान- हर वर कृपान चमकावतो। नृप सौभ लस्यो मगधेस हित सिंह ममान हिमावतो।-गोपाल (शब्द०)। यौ०-मौमपति, सीमराज- शाल्वनरेश । सौभकि-सज्ञा पु० [सं०] द्रुपद का एक नाम । सौभग'-सज्ञा ० [मं०] १ सुभग होने का भाव । मौभाग्य । खुशकि- स्मती । खुशनमीबी। २ मुख । प्रानद । मगल । ३ ऐश्वर्य । सपदा । धन दौलत । ४ सुदरता । सौदर्य । खूबसूरती । ५ भागवत मे वणित बृहन्छ्लोक के एक पुत्र का नाम । यो०-मी मगमद = मौमाग्यगर्व । सौभाग्य का अहकार । उ०- अवधि भूत नागर नगधर कर पारस पायो । अधिक अपनपौ जानि तनक सौमगमद छायो।-नद० ग्र०, पृ० ४३ । सौभगः-वि० मुभग वृक्ष मे उत्पन्न या बना हुआ। (चरक)। सौभगत्व-सज्ञा पुं० [स०] सुख । अानद । मगल | सौभद्र'-मुज्ञा पुं० [सं०] १ सुभद्रा के पुत्र, अभिमन्यु । २ एक तीर्थ का नाम जिसका उर लेख महाभारत मे है। ३ वह युद्ध जो सुभद्राहरण के कारण हुप्रा था। सौभद्र'-वि० सुभद्रा मवधी । सौभद्रेय-सज्ञा पुं० [म०] १ सुभद्रा के पुत्र, अभिमन्यु । २ बहेडा । विभीतक वृक्ष । ३ एक तीर्थ । सौभर-नशा पु० [सं०] १ एक वैदिक ऋपि का नाम । २ एक साम का नाम। सौभर'-वि० सोमरि सबधी। सोभरि का। सौभरायग-सज्ञा पुं० [म०] वह जो सौमर के गोत्र मे उत्पन्न हुना हो । सोभर का गोत्रज। सौभरि-सज्ञा पुं० [स०] एक प्राचीन ऋपि का नाम, जो बड़े तप- म्बी थे। विशेप-भागवत मे इनका वृत्त वारणत है। कहते है, एक दिन यमुना मे एक मत्स्य को मछलियो मे भोग करते देखकर इनमे भी मोगलालमा उत्पन्न हुई। ये मम्राट माधाता के पाम पहुँचे, जिनके पचास कन्याएँ थी । ऋपि ने उनसे अपने लिये एक कन्या मांगी। माधाता ने उत्तर दिया कि यदि मेरी कन्याएँ स्वयवर मे आपको वरमाल्य पहना दें, तो आप उन्हे ग्रहण कर सकते हैं। सौभरि ने समझा कि मेरी बुढीती देखकर सम्राट ने टाल- मटोल की है। पर मैं अपने आपको ऐसा बनाऊगा कि राज- कन्याओ की तो बात ही क्या, देवागनाएँ भी मुझे वरण करने को उत्सुक होगी। तपोबल से ऋषि का वैसा ही रूप हो गया। जब वे सम्राट् माधाता के ग्रत पुर मे पहुँचे, तव राजकन्याएँ उनका दिव्य रूप देख मोहित हो गई और सब ने उनके गले मे वरमाल्य डाल दिया। ऋषि ने अपनी मनशक्ति से उनके लिये अलग अलग पचास भवन बनवाए और उनमे बाग लग- वाए। इस प्रकार ऋषि जी भोगविलास मे रत हो गए और पचास पत्नियो से उन्होने पांच हजार पुत्र उत्पन्न किए । वह्वया- चार्य नामक एक ऋपि ने उन्हे इस प्रकार भोगरत देख एक दिन एकात मे बैठकर समझाया कि यह अाप क्या कर रहे है। इससे तो आपका तपोतेज नष्ट हो रहा है। ऋपि को आत्मग्लानि हुई । वे ससार त्याग भगवच्चितन के लिये वन मे चले गए। उनकी पत्नियां उनके साथ ही गई। कठोर तपस्या करने के उपरात उन्होने शरीर त्याग दिया और परब्रह्म मे लीन हो गए। उनकी पत्नियो ने भी उनका सहगमन किया। सौभव-सज्ञा पुं० [सं०] सस्कृत के एक वैयाकरण का नाम । सौभाजन-सज्ञा [स० सौभाजन] दे० 'शोभाजन' । सौभागिनी-सज्ञा स्त्री० [स० सौभाग्य] सधवा स्त्री। सोहागिन । उ०-सौभागिनी करे क्रम खोय । तऊ ताहि वडि पति की ोय ।-विश्राम (शब्द॰) । सौभागिनेय - सज्ञा पुं० [सं०] उम स्त्री का पुन जो अपने पति को प्रिय हो। सबसे प्रिय परिणीता का पुत्र । सुभगा या सुहागिन का पुन। सौभाग्य-सज्ञा पुं० [स०] १ अच्छा भाग्य । अच्छा प्रारब्ध । अच्छी किस्मत । खुशकिस्मती। खुशनसीबी। २ सुख । पानद । ३ कल्याण। कुशलक्षेम । ४ स्त्री के सधवा रहने की अवस्था । पति के जीवित रहने की अवस्या। सुहाग। अहिवात । ५ अनुराग। ६ ऐश्वर्य । वैभव । ७ सुदरता। सौदर्य । खूबसूरती । ८ मनोहरता । ६ शुभकामना। मगलकामना। १० सफलता साफल्य । कामयावी। ११ ज्योतिष मे विष्कम ग्रादि सत्ताइस योगो मे से चीथा योग जो बहुत शुभ माना जाता है । १२. सिंदूर । १३ सुहागा। टकरण । १४ एक प्रकार का पौधा । १५ एक प्रकार का व्रत । यौ०- सौभाग्यचिह्न = (१) सधवा होने का चिह्न। सुहाग का बोध करानेवाली वस्तुएँ। (२) भाग्यवान होने का प्रतीक । सौभाग्यततु = विवाह के समय वर द्वारा कन्या के गले मे पहनाई जानेवाली सिकडी या डोरा । मगलसूत्र । सौभाग्यफल = आनदप्रदायक फल या परिणामो से युक्त। सौभाग्यमजरी = एक देवागना । सौभाग्यशयन व्रत = एत व्रत जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है । विशेष दे० 'सौभाग्य व्रत' । सौभाग्य चिंतामणि-सज्ञा पु० [सं० सौभाग्यचिन्तामणि] सनिपात ज्वर को एक प्रीपध। विशेष-इसके बनाने की विधि इस प्रकार है। सुहागे का लावा, विष, जीर, मिर्च, हड़, बहेडा, आंवला, सेधा, कर्कच, विट, 1