पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/५०४

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वाला। । सौभाग्य तृतीया ८०२४ सीमनसा सोंचर और सांभर नमक, अभ्रक और गधक ये सब चीजें लोहा पाठ पाठ तोले, सोठ का चूर्ण एक सेर, मिश्री तीस पल, बराबर लेकर खरल करते है फिर संभालू निर्गु डी), शेफालिका, घी एक सेर और गाय का दूध पाठ सेर इन मबको मिलाकर भंगरा (भृ गराज), अडूसा (वासक) और लटजीरा (अपामार्ग) पाक विधि के अनुसार पाक करते हैं । माता एक तोला है। के पत्तो के रस में अच्छी तरह भावना देने के उपरात एक एक सौभासिक-वि० [स०] चमकीला । प्रकाशवान् । समुज्वल । रत्ती की गोली बनाते हैं। सनिपातिक ज्वर की यह उत्तम सौभासिनिक-सज्ञा पु० [म०] एक प्रकार का समुज्वल रत्न (को०] । औषध मानी गई है। सौभिक-सज्ञा पु० [स०] जादूगर । इद्रजालिक । सौभाग्य तृतीया-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] भाद्र शुक्ल पक्ष की तृतीया जो सोभिक्ष'-वि० [स०] सुभिक्ष या सुसमय लानेवाला । बहुत पवित्र मानी गई है। हरितालिका । तीज । सोभिक्ष'-सशा पु० घोडो को होनेवाला एक प्रकार का शूल रोग जो सौभाग्यफल-वि० [स०] जिसका फल सौभाग्य हो । भारी और चिकने पदार्थ खाने से होता है। यौ०-सौभाग्यफलदायक = सौभाग्य, कल्याणरूपी फल देने- सौभिक्ष्य--सञ्ज्ञा पु० [स०] खाद्य पदार्थ की प्रचुरता । अन्न की अधिकता प्रादि के विचार मे अच्छा समय । सुकाल । सौभाग्य व्रत-सज्ञा पुं० [सं० सौभाग्यवत] एक व्रत जिसके फागुन सौभय--सज्ञा पुं० [स०] सौभ जनपद के निवासी जन । शुक्ल तृतीया को करने का विधान है। सौभेषज-वि० [सं०] जिसमे सुभेषज या उत्तम ओपधियाँ हो। विशेष-वाराह पुराण मे इसका वडा माहात्म्य वर्णित है। यह उत्तम प्रोपधियो से युक्त । व्रत स्त्री पुरुष दोनो के लिये सौभाग्यदायक बताया गया है। सौभ्रात्र-सज्ञा पुं० [स०] सुभ्राता का भाव या धर्म। सुभ्रातृत्व । अच्छा भाईचारा। सौभाग्य मडन-सञ्ज्ञा पु० [सौभाग्यमण्डन] हरताल । सौमगल्य-सञ्ज्ञा पुं० स० सौमडगल्य] १ सुमगल । कल्याण । २ सौभाग्य मद सज्ञा पुं० [स०] सौभाग्य, समृद्धि, कल्याण आदि के मगल सामग्री। कारण उत्पन्न उल्लास या गौरव । सौमत्रिए-सज्ञा पुं० [स० सौमन्त्रिण] अच्छे मन्त्रियो से युक्त । अच्छे सौभाग्यवती-वि० सी० [स०] १ (स्त्री) जिसका सौभाग्य या सुहाग सलाहकारो से युक्त । वह जिसके अच्छा मनी हो । बना हो। जिसका पति जीवित हो । सधवा । सुहागिन । २ सौम-वि० [सं०] १ सोमलना सवधी । २ चद्र सबधी । अच्छे भाग्यवाली। सौम-वि० [स० सौम्य] ३० 'सौम्य' । सौभाग्यवान्-वि० [सं० सौभाग्यवत्] [वि० सी० सौभाग्यवती] १ सौम--सञ्ज्ञा पु० [अ०] अरबी रमजान मास का व्रत । रोजा [को०] । जिसका भाग्य अच्छा हो । अच्छे भाग्यवाला। खुशकिस्मत । सौमक्रतव-सज्ञा पु० [स०] एक साम का नाम । खुशनसीब । २ सुखी और सपन्न । खुशहाल । सौमदत्ति-सज्ञा पु० [स०] सोमदत्त के पुत्र, जयद्रथ । सौभाग्यविलोपी-वि० [स० सौभाग्यविलोपिन्] सौदर्य नष्ट करने विशेष--यह दुर्योधन का बहनोई था और अभिमन्यु को मारने मे वाला । अच्छे भाग्य या सौभाग्य को नष्ट करनेवाला (को॰] । प्रमुख था। महाभारत युद्ध मे अभिमन्यु के निधन के दूसरे दिन सौभाग्यशयन व्रत-सज्ञा पुं० [स०] सौभाग्यदायक एक व्रतविशेष । के घमासान युद्ध मे यह अर्जुन के हाथो मारा गया। दे० 'सौभाग्य व्रत'। सौमन--सज्ञा पुं० [सं०] १ रामायण मे वर्णित एक प्रकार का अस्त्र । उ०--ता सम सबर्तास्त्र बहुरि मौसल सौमन हूँ। सत्यास्त्रहु, सौभाग्य शु ठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० सौभाग्यशुण्ठी] आयुर्वेद मे एक प्रसिद्ध मायास्त्र, त्वाष्ट्र अस्त्रहु पुनि गनहू ।-रघुराज (शब्द०)। पाक जो सूतिका रोग के लिये बहुत उपकारी माना गया है । २ फूल । पुष्प। विशेष- इसके बनाने की विधि इस प्रकार है-घी ८ तोले, दूध सौमनस'--वि० [सं०] १ फ्लो का। प्रसून या पुष्प सबधी। २ १२८ तोले, चीनी २०० तोले, इनको एक मे मिला ३२ तोले मनोहर । रुचिकर । अनुकूल अच्छा लगनेवाला । प्रिय । सोठ का चूर्ण डाल गुडपाक की विधि से पाक करते हैं। फिर सौमनस'---सचा पु० १ प्रफुल्लता । आह्लाद । आनद । खुशदिली। इसमे धनिया १२ तोले, सौफ २० तोले, तेजपत्ता, वायविडग, २ पश्चिम दिशा का हाथो। (पुराण) ३ कर्म मास या सावन सफेद जीरा, काला जीरा, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागरमोथा, नाग- की आठवी तिथि। ४ एक पर्वत का नाम । ५ अनुग्रह । केसर, दालचीनी और छोटी इलायची ४-४ तोले डालकर पाक कृपा। प्रसन्नता। इनायत । ६ जातीफल । जायफल । ७ करते है । 'भावप्रकाश' के अनुसार इसका मेवन करने से सूतिका सतुष्टि । सतोष (को०)। ८ अस्त्रो का एक सहार । अस्त्र रोग, तृषा, वमन, ज्वर, दाह, शोष, श्वास, खांसी, प्लीहा आदि निष्फल करने का एक अस्त्र । उ०--अरु विनीद्र तिमि मत्तहि का नाश होता है और अग्नि प्रदीप्त होती है। प्रसमन तसहि सारचित्राली। रुचिर वृत्ति मत पितृ सौमनस इसके निर्माण की दूसरी विधि यह है - कसेरू, मिंघाडा, कमलगट्टा, धन धानहु घृति माली। अस्त्रन को सहार सफल ये लीजै राज- नागरमोथा, नागकेसर, सफेद जीरा, कालाजीरा, जायफल, कुमार ।--रघुराज (शब्द०)। जावित्री, लोग, भूरि छरीला (शैलज), तेजपत्ता, दालचीनी, सौमनसा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ जावित्री। जातीपत्नी। २ रामायण घौ के फूल, इलायची, सोया, धनिया, सतावर, अभ्रक और मे वरिणत एक नदी का नाम ।