सौम्यगिरि ८०२६ सौरनक्त सौम्यगिरि सञ्ज्ञा पुं० [सं०] एक पर्वत का नाम । (हरिवश)। सौरभ-सज्ञा पुं० [सं० सौरभ] दे० 'सौरभ'। उ०-मनो कमल सौम्यगोल -सज्ञा पु० [स०] उत्तरी गोलार्ध । सौरभ काज, प्रति प्रीति भ्रमर विराज।-पृ० रा०, १४११५७ । सौम्यग्रह - सज्ञा पु० [स०] शुभ ग्रह । जैसे,—चद्र, बुध, बृहस्पति और सौर'-वि० [स०] १ सूर्य सवधी। सूर्य का । २ सूर्य से उत्पन्न । शुक्र । फलित ज्योतिप मे ये चारो शुभ माने गए है। ३ सूर्य के निमित्त अर्पित (को०)। ४ सूर्य की भक्ति या उपा- सौम्यज्वर-सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार का ज्वर जिसमे कभी शरीर सना करनेवाला । सूर्योपासक (को०)। ५ मदिरा या सुरा सबधी गरम हो जाता है और कभी ठढा । (को०)। ६ सूर्य का अनुसारी। जैसे,—सौर मास । ७ दिव्य सुर या देवता सबधी। विशेष--चरक द्वारा यह वात और पित्त अथवा वात और कफ के प्रकोप से उत्पन्न कहा गया है। सौर-सज्ञा पुं० १ सूर्य के पुन, शनि । २ वह जो सूर्य का पूजक या सौम्यता-सज्ञा स्त्री० [स०] १ सौम्य होने का भाव या धर्म। २ उपासक हो। सूर्य का भक्त । ३ वीसवें कल्प का नाम । ४ शीतलता। ठढक । ३ सुशीलता। शातता। साधुता । ४ तुबुरु नामक पौधा। ५ धनिया। ६ एक साम का नाम । ७ सुदरता । सौदर्य । ५ परोपकारिता । उदारता । दयालुता । सौर दिवस (को०)। ८ सौर मास (को०)। ६ मूर्य के पुत्र, यम (को०) । १० सूर्य सवधी ऋग्वेद के मत्रो का सग्रह । सूर्य सबधी सौम्यत्व--सज्ञा ० [स०] दे० 'सौम्यता' । मूक्त (को०) । ११ दाहिनी आँख । सौम्यदर्शन---वि० [स०] जो देखने मे सुदर हो । प्रियदर्शन । सौर-सज्ञा स्त्री॰ [स० शाट, हिं० सोड] चादर । अोढना । उ०- सौम्यघातु-सशा पुं० [सं०] वलगम । कफ । श्लेष्मा। अपनी पहुँच विचारि के करतब करिए दौर । तेतो पांव पसा- मौम्यनाम, सौम्यनामा-वि० [म० सौम्यनामन्] जिसका नाम प्रिय रिए जेती लांबी सौर ।--रहीम (शब्द०)। हो। जिसका नाम सुनने मे मला लगे किो॰] । सौर'-सन्ना स्त्री० [स० शफरी] सौरी मछली। सौम्यप्रभाव--वि० [म०] जिमका प्रभाव सौम्य हो। कोमल स्वभाव- विशेष—यह मझोले प्राकार की होती है और इसके शरीर मे एक वाला को०] । ही कांटा होता है। दे० 'सौरी' का विशेष । सौम्यमुख-वि० [सं०] जिसकी मुखाकृति सुदर या प्रियदर्शन हो । सौर -- सम्रा स्री० [हिं० सौरी] सूतिकागृह । सौरी। उ०-सौर से सौम्यरूप-वि० [स०] १ सुदर रूप एवं प्राकृतियुक्त । २ जिसका एक तीखी चीख सुनकर एक चेतना लौट आई।-वो दुनियाँ, व्यवहार सौम्य हो। पृ०२१। सौम्यवपु-वि० [स० सौम्यवपुस्] जिसके शरीर की गठन या स्वरूप सौरऋए-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] वह ऋण जो मद्य पीने के लिये लिया जाय। सुदर एव आह्लादक हो। सौम्यवार-सज्ञा पु० [स०] बुधवार । सौरग्रीव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] एक प्रावीन देश का नाम । (बृहत्स हिता)। सौम्यवासर-सज्ञा पुं० [स०] बुधवार । सौरज-सज्ञा पुं० [स०] १ तुबुरु । तुवरू। २ धनिया । धान्यक । सौम्यशिखा-तशा स्त्री० [स०] छद शास्त्र मे मुक्तक विषम वृत्त के सौरजल-सञ्ज्ञा पुं० [सं० शौर्य] दे० 'शौर्य' । उ०-सौरज धीरज दो भेदो मे से एक जिसके पूर्व दल मे १६ गुरु वर्ण और उत्तर तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ ध्वजा पताका । -मानस, दल मे ३२ लघु वर्ण होते हैं। उ०—पाठी यामा शभू गावो। ६७६॥ भव फदा ते मुक्ती पावो। सिख मम धरि हिय भ्रम सव तजि- मौरठवाल-मज्ञा पुं० [सं० सौराष्ट्र, हिं० सोरठ+ वाला] वैश्यो की कर भज नर हर हर हर हर हर हर। इसका दूसरा नाम एक जाति । अनगत्रीडा भी है। सौरण-वि० [स०] सूरन सबधी। सौम्यश्री--वि॰ [स०] श्रीसपन्न । सौदर्यशाली । सौरत'–तश पुं० [सं०] १ रतिक्रीडा । केलि । सभोग । २ वीर्य । सौम्या--सज्ञा स्त्री० [स०] १ दुर्गा का एक नाम । २ बडी इद्रायन । रेतस् (को०) । ३ धीमी हवा । मद वायु । मद समीरण (को॰) । महेंद्रवारुणी लता। ३ रुद्रजटा। शकरजटा। ४ वडी माल- सौरत'-वि० सुरत सबधी । रतिक्रीडा सबधी कगनी। महाज्योतिष्मती लता। ५ पातालगारुडी। महिप- सौरतीर्थ--सज्ञा पुं० [सं०] एक तीर्थ [को०] । वल्ली। ६ घुघुची। गुजा । चिरमटी। ७ सरिवन । शाल- सौरत्य--सज्ञा पु० [सं०) रतिसुख । सभोग। पर्णी। ८ ब्राह्मी । ६ कचूर । शटी । १० मल्लिका । मोतिया। ११ मोती। मुक्ता। १२ मृगशिरा नक्षत्र । १३ मृगशिरा सौरथ-सञ्ज्ञा पुं० [स०] वीर । योद्धा (फो०] । नक्षत्र पर रहनेवाले पाँच तारो का नाम । १४ प्रार्या न्द का सौर दिन, सौर दिवस--सज्ञा पुं० [स०] एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय एक भेद । तक का समय । ६० दड का समय । सौम्याकृति-वि० [स०] सुदर प्राकृति या आकार प्रकारवाला (को०] । सौर द्रोएि--सना स्त्री० [स०] छोटी तलैया । सौम्यो-सज्ञा स्त्री० [सं०] चाँदनी। चद्रिका । सौरध्री-सज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का तवूरा या सितार । सौयवस-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ कई सामो के नाम । २. तृण या घास सौरनक्त--सज्ञा पुं० [सं०] एक व्रत जो रविवार को हस्त नक्षत्र होने की प्रचुरता। पर सूर्य के प्रीत्यर्थ किया जाता है । (नरसिंह पुराण) ।
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