पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/६६

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संरक्षा ४८८२ गलक्षण 1 यो०--गरदचेष्ट%जिमकी चोटा या पिया रोक दी गई। सरक्षा--क्षा स्रो[म०] दे॰ 'सरक्ष' । रद्ध चेप्टावाला। सास प्रजनन % जिमीन तिमा सरक्षित-वि० [स०] [वि॰ स्त्री० मरक्षिता]। १ भलीभांति रक्षित । दी गई हो। हिफाजत से रखा हुना । २ अच्छी तरह बचाया हुआ । सरक्षितव्य-० [सं०] १ जिसका सरक्षण करना हो । २ जिमका सरुपित--वि० [सं०] चिना या । यापयुया । ३५४, | सरुढ--वि० [सं०] १ घन्छा तरनतामा। २ जना प्रा। सरक्षरण उचित हो। सरक्षितो-वि० [म० सरक्षितिन्] रक्षा करनेवाला। जिसने रक्षण अन्छी तरह लगाना। जिना गर किया है को०)। अारित । जमातृया। ८ अगर पेराया। गाया। राखता या अन्छा होगा या (पान)। " प्रस्ट । मानिन । सरक्षी-वि० [स० सरक्षिन् ] [वि० सी० सरक्षिणी १ सरक्षण करने निकल पडा एमा। धृष्ट । प्रग । प्रो ।।८ वाला । २ देखभाल करनेवाला। गहराई तक घुमा दया । जंग, वागण (का०) । सरक्ष्य-वि० [सं०] १ जिमका सरक्षण करना हो। २ जिमका सरोचन---या पु० [सं०] रामायण म योगान पयत ना। सरक्षण उचित हो। सरोदन--यमा पु. 10र जारी गा । सरव्ध-वि० [स०] १ यूब मिला हुआ । पूर्व जुडा हुआ। प्रापि नष्ट । २ जो एक दूसर को यूब पकडे हुए हा । ३ हाय सरोध-श' [सं०११ ।। ८ । २ न. प्रादि को मे हाथ मिलाए हुए । ४ क्षुब्ध । उद्विग्न । ५ जोश में आया चाग पोर में पेरना। परा। ३ परिरामी।।४ हुया । उत्तजित । ६ कोष से भरा हुआ। कापपूर्ण । जैगे, - वद फरा या मूदने को दिया । ५ प्रावन । नाप्रपा सरब्ध वचन । ७ क्रुद्ध । नाराज । ८ नूजा हुडा | फूना ६ हिमा। नाग। क्षेप ।। 2717 हुप्रा । ६ वढा हुा । वधित (को॰) । (को०)। ६ क्षनि । हानि (को) । १० १३ । वचन (710) | सराग-पमा पु० [सं०] १ लाली। २ राग । प्रेम । प्यार । ३ सरोधन--सा पुं० [म०] [वि० नगवनीय, गगेच, मरन] १ उग्रता । क्रोध को०)। रोगना। ठेकना। मावट सनना। सराद्ध-वि० [स०] १ सपन्न । पूरा किया हुना। २ लब्ध । वधिना ! ८ बद करना । मृदना । ५ पाधा । माप में प्राप्न [को०] । हानि पहुँचाना । ६ यदी यरना । ना। सराद्धि-मचा स्त्री० [स०] १ कार्य को पूर्णता । सफलता । सरोपनीय -वि॰ [म०] रोकने, जने गा घेरने चोय । २. प्राप्ति यो०)। सरोव्य-वि० [सं०] १. जो गेका, हा या पेग जानवाना हो। सरावक--पञ्चा पुं० [म०] ध्यान करनेवाला । अाराधना करने वाला। २ जिसे रोकना या घेरना उचित हो। सोबा में डालने पूजा करनेवाला। योग्य हो (यो०)। सरावन-पज्ञा पुं० [स०] [वि. सरावनोय, सराधिन, मराध्य] १ सरोपए-या पु[•] [4० मगेपणीय, मोपित, गाय] १ तुष्टोकरण । प्रसन्न करना। २ पूजा करना । पूजा द्वारा पड पौधा लगाना। जमाना। बैठाना । २ घार सुवाना। प्रसन्न या तुष्ट करना । ३ ध्यान । ४ जय जयकार । पाव अच्छा करना । ३ घार पूजना । फोटा भरना । सरावनीय-वि० [स०] पूजा के योग्य । सरोपित-वि० [सं०] जमाया, रोपा या गाया हुन।। सराधित-वि० [स०] जिसे पूजा अादि के द्वारा प्रसन्न किया गया सरोप्य-वि० [सं०] १ जो जमाया या लगाया जानेवाला हो। २ हो (को० ॥ जिमे जमाना या लगाना उनिन हो। सराव्य--वि० (०] १ जो ध्यान के द्वारा प्राप्य हा । २ तुष्ट या सरोपित--वि० [सं०] १ ऊपर लगाया मा। छोपा हमा। नेप प्रसन्न करने योग्य । ३ जिसे अनुकूल किया जा सके [को०] । किया हुआ । (सुश्रुत)। सराव, सरावए--सञ्ज्ञा पु० [सं०] [वि० सरावो] १ कोलाहल । सरोह-सपा पुं० [सं०] १ जमना । ऊपर जना या पंढना। २ शोर । २ हलचल | धूम । घाव पर पपडो जमना। पाव मूखना। अगूर फेना। ३ सरावी--वि० [स० सराविन्) कोलाहल करनेवाला [को०] । अारित होना । जमना । ४ प्रकट होना । याविभू त होना । सरिहाए-सज्ञा पुं० [स०] प्रेमपूर्वक चाटने की क्रिया । जैसे, गौ का सरोहए-सपा पुं० [40] [वि० मरोहणीय, सरोही। १ जमना । वछडे को चाटना [को०] । ऊपर छाना । २ घाव पर पपडी जमना। घाय सूखना। ३ सरुग्ण--वि० [स०] छिन्न भिन्न । खडित । चूर चूर । (पेड पौधा) जमाना । लगाना । सरुजन- पहा पुं० [सं०] दर्द । पोडा व्यया को०] । सलघन--या पुं० [सं० सलउपन] बीत जाना। व्यतीत रोना योग। सरुद्ध--वि० [१०] १ अच्छो तरह रोका हुमा । २ घेरा हुया । सलचित--वि० [सं० सलदिधत] बीता हुआ। यतोत । गत पो०] । अच्छी तरह बद । ४ अाच्छादित । ढंका हुग्रा । ५ ठसाठस सलक्षए-पमा पु० [म०] [वि० सलक्षणीय, सलक्षित, सलक्ष्य] १ भरा हुआ। ६ मना किया हुआ। वजित । ७ रुका हुआ रूप निश्चित करना । विशेष लक्षणो द्वारा भेद स्पष्ट करना । (को०)। ८ अवरुद्ध । घिरा हुना (को॰) । २ लखना। पहचानना । तमीज करना । ताडना । 3