पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संशब्दन ४८८ संगीलन सशब्दन-मञ्चा पु० [म.] १ ध्वनि या शब्द करना। २ प्रशसा सशयित -वि० [म०] १ सशययुक्त । दुबधा मे पड़ा हुआ । करना। ३ ललकारना या पुकारना। ४ उरलेख करना। • सदिग्ध । अनिश्चित । ३ अापत्तिग्रस्त । खतरे मे पडा हवाला देना [को०)। हुआ (को०)। सशम-ज्ञा पुं० ( म०] १ पूर्ण तुष्टि । कामना की पूर्ण निवृत्ति । सशयिता मज्ञा पु० [स० सयितृ| नशयकर्ता । सशय करनेवाला। स शमन-पज्ञा पुं० [म०J१ गान करना । निवृत्त करना । २ नष्ट सशयो-वि० [म. मशपि] १ सशय करनेवाला । सदेह करने- करना। न रहने देना। ३ वह प्रीपध जो दोपो को विना वाला । २ शक्की। घटाए बढाए शोधन करे। ४ स्थिर करना । म गयोच्छेदो-वि० [सं० सशयोच्छेदिन] सदेह को दूर करने वाला । सशमन वर्ग -मला पुं० [स०] वे प्रोपधियाँ जो सशमन करे । जैसे, - मदेहनाशक । देवदारु, कुट, हल्दी आदि । सशयोपमा-पया ली[म०] एक प्रकार का उपना अलकार जिसमे सशय -मवा ० [स०११ लेट रहता। पड रहना। २ दो या कई कई वस्तुप्रो के साथ समानता सशय के रूप मे कहो बातो मे से किसी एक का भी मन मे न वैठना। अनिश्च- जाती है। यात्मक ज्ञान । अनिश्चय । सदेह । शक । शुबहा । दुबधा । विशेष-यह न्याय के सोलह पदार्यों में से एक है। सशयोपेत-वि० [स०] सशययुक्न । सदिग्ध । अनिश्चित । ३' आशका । खतरा। डर । जैसे,—प्राण का सशय मे पडना । सशर-पज्ञा पु० [स० | तोडना । विशोर्ण करना । चूर्ण करना को०)। ४ सदेह नामक काव्या नकार । ५ सभावना (को०)। ६ सगरण - पञ्चा पु० [म०] १ दलित करना। चूर्ण करना। २ भग विवाद का विषय (को०)। करना । तोडना । ३ युद्ध का प्रारभ। दे० 'मसरण'। ४ शरण मे जाना । पनाह लेना। यौ०-सशयकर = कठिनाई मे डालनेवाला । खतरे से भरा हुआ। विपत्तिकर । सशयगत = जो विपत्ति या खतरे में पड़ गया हो। सशारुक-व० [स०] १ तोडनेवाला। भग करनेवाला । २ दलन या सशयच्छेद = सशय का विनाश । सदेह नारा । सशयच्छेदी = • मर्दन करनेवाला। सशय दूर करनेवाला। सदेह का निराकरण करनेवाला । सशासन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ अच्छा शासन । उत्तम राज्यप्रबध । सशयसम। सशयस्थ । २ आदेश । मन्त्र । अनुशासन । सशयसम-मञ्ज्ञा पुं० [सं०] न्याय दर्शन मे २४ जातियो अर्थात् खडन सशासित-वि० [स०] १ सुशासित । अच्छे ढग से शासित । २ की असगत युक्तियो मे से एक । वादी के दृप्टात को लेकर आदिष्ट । अनुशासित । निर्देश प्राप्त (को०] । उसमे साध्य और असाध्य दोनो धर्मो का आरोप करके सशित-व० [म०। १ सान पर चढाया हुअा। तेज किया हुआ। वादी के साध्य विषय को सदिग्ध सिद्ध करने का प्रयत्न । चोखा या तीखा किया हुआ। टेया हुअा । तीक्ष्ण । तेज । २ विशेप-वादी कहता है --'शब्द अनित्य है, उत्पत्ति धर्मवाला उद्यत । उतारू । तत्पर । आमादा । ३ दक्ष। निपुण । पटु । होने से, घडे के समान' । इसपर यदि प्रतिवादी कहे-'शब्द ४ नोकदार । नुकोला। अनोदार । ५ सर्वथा पूरा किया नित्य और प्रनित्य दोनो हुग्रा, मूर्त होने के कारण, घट हुआ। निप्पन्न' (को०)। ६ निर्णीत । सुनिश्चित (को०)। और घटस्व के समान' तो उसका यह असगत उत्तर 'सशयशम' ७ अपने सकल्प को दृढतापूर्वक निभानेवाला (को०)। ८ होगा। कर्कश । कटु । अप्रिय । कठोर । जैसे,—सशित वचन । सशयस्थ-वि• [म०] १ जो सदेह मे पडा हो । २ जो खतरे मे यौ०-सशितवचन = (१) अप्रिय कथन । (२) कटुवक्ता । सशित- पडा हो (को॰] । वाक् = कटुभाषी । सशितव्रत । सशयाक्षेप-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ सशय का दूर होना। २ एक प्रकार मशितव्रत-पञ्चा पु० [स०] वह जो नियम व्रत के पालन मे पक्का का काव्यालंकार। हो । कठोरता से नियम या व्रत आदि का पालन करनेवाला। सशयात्मक-वि० [स०] जिसमे सदेह हो। सदिग्व। शुबहे का। मशितात्मा-वि० [म० सशितात्मन्] १ दृढ मनवाला। २ अनुशासित अनिश्चित । मनवाला किो॰] । सशयात्मा-पज्ञा पुं० [स० सशयात्मन् ] जिसका मन किसी वात पर सशिति-पक्षा स्त्री॰ [स०] १ सशय । सदेह । शक । २ खूब टेना या तेज विश्वास न करे । विश्वासहीन । सदेहवादी। करना । खूब सान पर चढाना । सशांन-वि० [म.] सदेह करनेवाला । सशयालु को०] । सशिष्ट-वि० [स०] बचा हुया । वाकी रहा हुआ। सशयापन्न-सज्ञा पुं० [म.] सशययुक्त । अनिश्चित । सशोत-वि० [सं०] १ जो ठढा हुआ हो । २ ठढ से जमा हुआ। संशयालु-वि० [स०] १ विश्वास न करनेवाला । २ वात बात मे सशोति-मज्ञा स्त्री॰ [स०] सदेह । सशय । अनिश्चय (को०] । सदेह करनेवाला । शक्की। सशीलन-पज्ञा पु० [म०| १ नित्य अभ्यास। नियमित अभ्यास । सशयावह-० [स०] १ सशययुक्त । सदेहासद । २ खतरनाक । २ नित्य सपर्क या साहचर्य । - 1 -- 1